बेंगलुरु: डेयरी उत्पाद कंपनी अमूल ने अब कर्नाटक में दूध और दही बेचने की घोषणा की है. कंपनी ने बताया कि वह दूध और दही की बिक्री क्विक-स्टोर (ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म) के माध्यम से घरों तक पहुंचाएगी. लेकिन कर्नाटक की जनता ने सोशल मीडिया पर इसका कड़ा विरोध जताया है. साथ ही विपक्षी नेताओं ने भी अपना विरोध जताया है. कर्नाटक के बाजार में उतरने की जानकारी अमूल ने ट्वीट के जरिए दी है.
अमूल ने दो पहले एक ट्वीट में लिखा था कि 'अमूल आपके लिए दूध और दही के रूप में नई ताजगी लेकर आ रहा है. क्विक-स्टोर कॉमर्स प्लेटफार्मों पर उपलब्ध है, उन्हें आपके दरवाजे पर डिलीवर किया जा सकता है. इसी के मद्देनजर कर्नाटक के ब्रैंड नंदिनी को झटका लगने से हड़कंप मच गया है. इस मामले में विपक्ष के नेता सिद्धारमैया ने विधानसभा में मांग की कि कर्नाटक की जनता को सर्वसम्मति से अमूल उत्पादों को नहीं खरीदने का संकल्प लेना चाहिए.
उन्होंने आगे कहा कि मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई को तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए और अमूल को पिछले दरवाजे से प्रवेश करने से रोकना चाहिए. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को राज्य के जनमत संग्रह पर ध्यान देना चाहिए और विश्वासघात के बारे में सोचना बंद करना चाहिए. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि प्रदेश भाजपा के कमजोर नेतृत्व के चलते केएमएफ को खत्म करने की कोशिशें शुरू हो गई हैं, जो देश के लाखों डेयरी फार्मिंग परिवारों की आजीविका है.
इसके अलावा उन्होंने कहा कि इसके लिए सीधे तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह जिम्मेदार हैं. जिस दिन से अमित शाह ने केएमएफ और अमूल के विलय का प्रस्ताव रखा है, राज्य का डेयरी उद्योग उथल-पुथल में है. राज्य में नंदिनी का दूध और दही पिछले कुछ दिनों से बाजार से गायब हो रहा है. अमूल के उत्पादों की बिक्री जोरों पर है. साफ है कि यह सब अमित शाह की सीधी निगरानी में हो रहा है.