बेंगलुरु/ नई दिल्ली:कांग्रेस के वोटर आईडी संग्रह का आरोप लगाते हुए कर्नाटक नेता प्रतिपक्ष सिद्धारमैया ने कहा कि चुनाव आयोग ने हमारी शिकायत को गंभीरता से लिया. उन्होंने शिवाजीनगर, महादेवपुरा और चिकपेट निर्वाचन क्षेत्रों के 3 निर्वाचन अधिकारियों के साथ 2 वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों को निलंबित कर दिया. यह कदाचार का सबूत है. उन्होंने कहा कि मैं चुनाव आयोग से बेंगलुरू के सभी 28 निर्वाचन क्षेत्रों की जांच करने का अनुरोध करता हूं.
अब वे (भाजपा) कहते हैं कि मेरी सरकार के कार्यकाल में भी छेड़छाड़ की गई, तो उन्हें न्यायिक जांच करनी चाहिए. हमारे कार्यकाल में कोई शिकायत नहीं हुई. उन्होंने आरोप लगाया कि इस वोटर आईडी छेड़छाड़ मामले में किंगपिन सीएम बसवराज बोम्मई हैं. कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की निगरानी में चुनाव आयोग पर लोगों का भरोसा बरकरार रखने के लिए जांच होनी चाहिए. बेंगलुरु में कर्नाटक के नेता प्रतिपक्ष सिद्धारमैया ने कहा कि बीजेपी ने गरीबों और दलितों के लिए क्या किया है? उन्होंने आरक्षण का विरोध किया, उन्होंने अल्पसंख्यक का विरोध किया, उन्होंने मंडल आयोग का विरोध किया, उन्होंने हर चीज का विरोध किया... भाजपा कभी भी सामाजिक न्याय के पक्ष में नहीं थी - पहले भी नहीं, अभी भी नहीं और भविष्य में वह कभी नहीं रहेगी.
सिद्धारमैया ने कहा कि अब वे (भाजपा) नाटक कर रहे हैं. क्या स्वतंत्रता संग्राम में RSS से किसी की मृत्यु हुई थी? वास्तव में वे अंग्रेजों के साथ थे. वे उनके साथ घुलमिल रहे थे. कांग्रेस की कर्नाटक राज्य इकाई के प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने आरोप लगाया है कि भाजपा की अगुवाई वाली केंद्र सरकार मतदाता पहचान पत्र घोटाले में शामिल है. सुरजेवाला ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार मतदाताओं का डेटा चोरी करने में सीधे तौर पर शामिल है.
केंद्र सरकार द्वारा संचालित एक कंपनी के बैंक खाते से कई व्यक्तियों को धन हस्तांतरित किया गया है, जो उस जगह से आते हैं, जहां घोटाले के मुख्य आरोपी चिलूम इंस्टीट्यूट के रविकुमार हैं. उन्होंने कहा कि यह सबूत है जो घोटाले में केंद्र सरकार की सीधी संलिप्तता साबित करता है. कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया, केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही एक कंपनी के खाते से बड़ी रकम ट्रांसफर की गई है. उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट है कि केंद्र सरकार मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के साथ मतदाता पहचान पत्र घोटाले में शामिल है.
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सुरजेवाला ने कहा, घोटाले में धन के अवैध हस्तांतरण का भी मामला है. यह केवल डेटा चोरी के बारे में नहीं है. कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की निगरानी में जांच की जानी है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डी. के. शिवकुमार ने कहा कि घोटाले का सरगना रविकुमार से संबंधित स्थानों के किसानों के खातों में धन हस्तांतरण किया गया है. उन्होंने आरोप लगाया कि किसानों से पैसा वापस ले लिया गया है. कांग्रेस नेताओं को निर्देश दिया गया है कि वे अल्पसंख्यक समुदायों, अनुसूचित जातियों और जनजातियों और अन्य के मतदाताओं के नाम हटाए जाने का पता लगाएं.
कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि कर्नाटक में भाजपा सरकार द्वारा 20 लाख से अधिक मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटा दिए गए हैं. उधर, भाजपा ने कहा है कि कांग्रेस डुप्लीकेट मतदाताओं को हटाने से चिंतित है, जिन्हें उसने अन्य पड़ोसी राज्यों से बेंगलुरु विधानसभा क्षेत्रों में बसाया था. इससे पहले कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने गुरुवार को आरोप लगाया था कि कर्नाटक के सीएम बसवराज बोम्मई, बीबीएमपी अधिकारी और राज्य चुनाव प्राधिकरण मतदाता डेटा की चोरी, धोखाधड़ी और प्रतिरूपण के लिए जिम्मेदार हैं.
गुरुवार को कांग्रेस ने मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई, बीबीएमपी आयुक्त और अन्य अधिकारियों के खिलाफ पुलिस आयुक्त के पास उनके आरोप के संबंध में शिकायत भी दर्ज कराई है. सुरजेवाला ने कहा कि चुनावी धोखाधड़ी का पर्दाफाश हो गया है. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र को कुचलने में अपराध में साथ देने के लिए कर्नाटक के सीएम बोम्मई के इस्तीफे की मांग की. कांग्रेस का आरोप है कि नागरिक एजेंसी बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका ने अगस्त में एक निजी फर्म को मतदाताओं के घर-घर जाकर सर्वेक्षण करने के लिए अधिकृत किया था. जिन्होंने उनके लिंग, मातृभाषा, मतदाता पहचान पत्र और आधार विवरण के बारे में जानकारी एकत्र की.
सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि डेटा को सरकार के गरुड़ एप्लिकेशन में नहीं, बल्कि निजी फर्म के एक एप्लिकेशन 'डिजिटल समीक्षा' में फीड किया गया. फर्म ने सैकड़ों बूथ स्तर के अधिकारियों (बीएलओ) को भी नियुक्त किया, जो तकनीकी रूप से सरकार द्वारा नियुक्त व्यक्ति होने चाहिए थे. सुरजेवाला ने कहा कि इन बीएलओ को पहचान पत्र भी दिया गया था जैसे कि वे सरकारी कर्मचारी हों. उन्होंने कहा कि हम जानना चाहते हैं कि बीबीएमपी की ओर से एक निजी संस्था को सर्वेक्षण करने की अनुमति किसने दी? एक निजी संस्था को इस तरह का ठेका देने के लिए सरकार को किसने सिफारिश की और ठेकेदार के पूर्ववृत्त की जांच क्यों नहीं की गई?