बेंगलुरु: 'खाकी पैंट' जलाने के मुद्दे ने राज्य में बड़े पैमाने पर बहस छेड़ दी है. दो राष्ट्रीय दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप की श्रृंखला शुरू हो गई है. यह सब तब शुरू हुआ जब एनएसयूआई कार्यकर्ताओं ने पाठ संशोधन को लेकर शिक्षा मंत्री बीसी नागेश के तिप्तूर आवास के पास प्रदर्शन किया. छात्र कांग्रेस नेताओं द्वारा सांकेतिक रूप से खाकी पैंट जलाकर आरएसएस के प्रति विरोध जताने पर अब राज्य स्तर पर बहस हो रही है. भाजपा और कांग्रेस अब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी आमने-सामने हो गए हैं. एनएसयूआई कार्यकर्ताओं और भाजपा नेताओं के बीच मारपीट की भी घटनाएं सामने आई हैं.
कांग्रेस का आरोप है कि राज्य सरकार की शिक्षा नीति आरएसएस के एजेंडे को बढ़ाने में लगी है. विपक्षी दलों ने सरकार की पाठ्यक्रम समिति का विरोध करते हुए इसे बर्खास्त करने की मांग की है. लेकिन सरकार ने विपक्ष की मंगों को मानने से इनकार कर दिया. छात्र कांग्रेस नेताओं द्वारा राज्य के पाठ्यक्रम का विरोध, अब एक अलग रूप ले रहा है. सीएम बसवराज बोम्मई ने कहा कि अशांति फैलाने वाले छात्रों और शिक्षाविदों को माफ नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि आरोपितों पर मुकदमा चलाया जाएगा.
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आरएसएस बीजेपी के साथ आए तो राख में होगी कांग्रेस: सिद्धारमैया के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया देने वाले पूर्व मंत्री केएस ईश्वरप्पा ने चेतावनी दी कि अगर आरएसएस और बीजेपी साथ आती है तो कांग्रेस जलकर राख हो जाएगी. आप सभी ने हनुमान की पूंछ पर आग लगा दी है, अब आपकी पार्टी जलकर राख हो जाएगी. कांग्रेस नेताओं के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए ऊर्जा मंत्री सुनील कुमार ने राज्यव्यापी अभियान की निंदा की. उन्होंने कहा कि देश भर में चुनाव हार चुकी कांग्रेस के पास अब करने के लिए कोई काम नहीं है. युवा कांग्रेस ने शनिवार को बेंगलुरु में भारी विरोध प्रदर्शन किया. सरकार से एनएसयूआई कार्यकर्ताओं के खिलाफ मामला वापस लेने की मांग की. प्रदर्शन के दौरान युवा कांग्रेस अध्यक्ष मोहम्मद नलपद ने भाजपा सरकार को चुनौती दी.
हम एक राज्यव्यापी 'चड्डी जलाओ-खाकी हाफ पंत' अभियान शुरू करेंगे : कांग्रेस नेता सिद्धारमैया :सिद्धारमैया भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ (NSUI) के कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के खिलाफ बोलते हुए कहा कि शिक्षा मंत्री बीसी नागेश के आवास के सामने विरोध प्रदर्शन करने पर एनएसयूआई कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है. वे पाठ्यपुस्तकों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की विचारधारा को शामिल करने का विरोध कर रहे थे. सिद्धारमैया ने कांग्रेस की एक बैठक में कहा कि हमने विरोध के दौरान केवल एक खाकी हाफ पैंट जलाई. इसे एक बड़े अपराध के रूप में देखा गया.
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उन्होंने कोई असामाजिक कार्य नहीं किया. यह कैसे एक अवैध कार्य है? सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करना कानून का उल्लंघन नहीं है. संविधान हमें न्याय के लिए लड़ने का अधिकार देता है. यदि राज्य सरकार हमारे कार्यकर्ताओं को रिहा नहीं करती है, तो हम राज्यव्यापी अभियान शुरू करेंगे. उन्होंने कहा कि शिमोगा में हर्ष की हत्या के समय धारा 144 लागू होने पर पूर्व मंत्री ईश्वरप्पा ने विरोध किया और मार्च निकाला. क्या यह कानून के खिलाफ नहीं था? उन्होंने क्या कार्रवाई की थी? गृह मंत्री ने क्या कार्रवाई की?