बेंगलुरु : राज्य के शिमोगा में हुए जिलेटिन विस्फोट मामले ने अवैध खनन के काले चेहरे को उजागर कर दिया है. राज्य में अवैध खनन को लेकर अक्सर शोर सुनाई देता है. स्थानीय स्तर पर भी अवैध खनन के खिलाफ संघर्ष चल रहा है, लेकिन अफसर और जनप्रतिनिधि केवल नाममात्र की कार्रवाई कर खानापूर्ति करते हैं. हकीकत में अवैध खनन चल रहा है. यही वजह है कि शिमोगा में हुए विस्फोट ने राज्य में अवैध खनन की समस्या को उजागर कर दिया है. इसकी सच्चाई से रूबरू कराती करुनाडु में खनन की स्थिति पर एक रिपोर्ट.
राज्य में अत्यधिक अवैध खनन
प्रदेश के खान और भूविज्ञान विभाग ने स्वीकार किया है कि शिमोगा में बड़े स्तर पर अवैध खनन किया गया है. विभाग ने स्वीकार किया कि जिले में बिना लाइसेंस के खनन किया जा रहा है. विभाग के अनुसार उसने तीन वर्षों में लगभग 11 लोगों को खनन के लिए लाइसेंस दिए हैं.
3 साल में अवैध पत्थर खनन के 1083 मामले
खान और भूमि विज्ञान विभाग द्वारा मुहैया कराए गए आंकड़ों के मुताबिक, बीते तीन वर्षों में राज्य में 1,083 अवैध खनन के मामले सामने आए हैं. इनमें 2017-18 में राज्य में 404 अवैध पत्थर खनन के मामलों का पता चला. जिसमें 114 मामले दर्ज करने के साथ 6.13 करोड़ रुपये जुर्माना वसूल किया गया.
इसी प्रकार शिमोगा जिले में 2018-19 में 413 अवैध पत्थर खनन के मामले सामने आए. जिन पर 108 मामले दर्ज कर कुल 12.13 करोड़ रुपये जुर्माना वसूल किया गया. वहीं 2019-20 में, 266 अवैध पत्थर खननकर्ताओं की पहचान की गई थी. साथ ही 117 मामले दर्ज कर 9.08 करोड़ जुर्माना वसूला गया.
लाइसेंस के लिए कितने आवेदन ?
राज्य सरकार ने कर्नाटक सबकॉन्ट्रैक्ट कंसेशन (Karnataka Subcontracted Concession ) (संशोधन) नियमावली 2016 को लागू किया है. इसे एक नियम के रूप में, सरकारी भूमि पर उप-निर्माण खनन को नीलामी द्वारा अनुमोदित किया जाना है. राजस्व और वन विभाग को भूमि या खनिज सुधार के लिए भूमि और भूमि सुधार अध्यादेश और पर्यावरण मंजूरी प्रमाण पत्र को खदानों या उन व्यक्तियों के लिए लाइसेंस दिया गया है जो भूमि में उपलब्ध खनिज को हटाने के लिए सहमति देते हैं.
पिछले 3 वर्षों में, पट्टे की जमीन में पत्थर की खदानों के पट्टे के लिए 306 आवेदन प्राप्त हुए. वहीं पत्थर की खदान के लिए दी गई याचिकाओं की संख्या 88 है, जबकि लंबित आवेदनों की संख्या 218 है.
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पट्टे के क्षेत्र से हटकर खनन
कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि खदान के ठेकेदार अपने निर्धारित पट्टे या पट्टा समाप्त होने के बाद भी खनन कर रहे हैं. कैग ने अपनी रिपोर्ट में दक्षिण कन्नड़, विजयपुरा, बेलगाम, बेंगलुरु ग्रामीण और चामराजनगर जिलों में ऐसे मामले मिलने का उल्लेख किया है.
खान और भूविज्ञान विभाग द्वारा 379 पट्टा धारकों को मुख्य खनिज (लौह अयस्क) दिया गया. साथ ही 97107.28 एकड़ क्षेत्र में खनन किया जा रहा है. इसके अलावा विशिष्ट उप खनिज (ग्रेनाइट) के कुल 470 पट्टे जारी किए गए हैं और 2353.06 एकड़ में खनन करने की अनुमति दी गई है.
अफसरों ने अवैध खनन की बात मानी
2493 पट्टे में गैर-विशिष्ट उप-खनिज (रेत को छोड़कर) 10567.31 एकड़ जमीन पर खनन किया जाता है. विभाग के अफसरों ने स्वीकार किया है कि आधिकारिक तौर पर पट्टे वाले क्षेत्रों को छोड़कर, कुछ क्षेत्रों में अवैध रूप से खनन किया जा रहा है.