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बेंगलुरु के बाद हिंदू संगठनों ने की हुबली के ईदगाह मैदान में गणेशोत्सव मनाने की मांग - ganesh idols installation in hubli idgah

कर्नाटक में हुबली के ईदगाह मैदान को लेकर एक बार फिर विवाद बढ़ता दिख रहा है. हिंदू संगठनों ने हुबली ईदगाह में गणेश प्रतिमा स्थापित करने की मांग की है और सरकार को तीन दिन का अल्टीमेटम दिया है.

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हुबली ईदगाह मैदान

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Published : Aug 18, 2022, 10:11 PM IST

हुबली : कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु के चामराजपेट क्षेत्र में स्थित ईदगाह मैदान में गणेशोत्सव मनाने की हिंदू संगठनों की मांग को लेकर जहां सरकार पर काफी दबाव है. इस बीच हुबली में ईदगाह मैदान का विवाद एक बार फिर सामने आ गया है. हिंदू समर्थक संगठनों ने सरकार को तीन दिन का अल्टीमेटम दिया है. हिंदू संगठनों की मांग है कि हुबली के ईदगाह मैदान में सार्वजनिक गणेशोत्सव समारोह की अनुमति दी जाए. हुबली के कई हिंदू समर्थक संगठन पिछले एक सप्ताह से इसकी मांग उठा रहे हैं.

इस संबंध में हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं ने निगम अधिकारियों से ईदगाह मैदान में अपील कर गणेशोत्सव की अनुमति देने की मांग की थी. हालांकि नगर निगम के अधिकारियों की ओर से कोई जवाब नहीं आने पर कार्यकर्ताओं ने अब अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को तीन दिन का समय दिया है, जिससे ईदगाह विवाद फिर से सामने आ गया है.

रानी चेन्नम्मा मैदान गजाननोत्सव समिति के कार्यकर्ताओं सहित विभिन्न हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं ने अब दूसरे चरण की लड़ाई शुरू करने का मन बना लिया है. बता दें कि हुबली ईदगाह मैदान को लेकर दो दशक पहले भी विवाद हुआ था. 90 के दशक में कई गुटों के नेतृत्व में हुए संघर्ष ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था.

क्या है सुप्रीम कोर्ट का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने हुबली के ईदगाह मैदान में मुस्लिम समुदाय को साल में दो बार प्रार्थना करने और साल में दो बार झंडा फहराने का आदेश दिया था. वहीं, हिंदू समर्थक संगठनों के कार्यकर्ताओं की मांग है कि अगर मुसलमानों को धार्मिक समारोहों की अनुमति दी गई है तो हिंदू समुदाय को भी सार्वजनिक रूप से गणेशोत्सव मनाने की अनुमति दी जानी चाहिए, क्योंकि ईदगाह मैदान नगर निगम की संपत्ति है.

हिंदू संगठनों के मुताबिक, इस मामले में, निगम के अधिकारियों को उचित निर्णय लेने का स्वतंत्र अधिकार है, साथ ही जनप्रतिनिधियों को भी. चूंकि अब तक अधिकारियों की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई है, इसलिए तीन दिन की समय सीमा दी गई है. वहीं, निगम आयुक्त ने कहा कि वे जनप्रतिनिधियों के साथ बैठक कर निर्णय लेंगे.

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