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Karnataka High Court: अपराध स्वीकार करने पर कर्नाटक HC ने वृद्ध की सजा घटाई, आंगनबाड़ी केंद्र में सेवा करने का आदेश - undefined

कर्नाटक हाईकोर्ट ने 81 वर्षीय दोषी की दो साल की सजा को घटाकर 3 दिन कर दिया है. साथ ही 10 हजार का जुर्माना लगाकर एक साल तक स्वेच्छा से आंगनबाड़ी केंद्र में सेवा करने का आदेश दिया है. जानिए क्या है मामला ?

Karnataka High Court
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Published : Feb 26, 2023, 8:02 AM IST

बेंगलुरु:कर्नाटक हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले में संशोधन करते हुए 81 वर्षीय दोषी की सजा को घटाकर 3 दिन कर दिया है. निचली अदालत ने 81 वर्षीय ऐतप्पा को हथियार से हमला करने के मामले में दो साल की सजा सुनाई गई थी. दोषी के वृद्ध होने और अपराध स्वीकार करने के कारण अदालत ने दो साल कैद की सजा को तीन दिन में बदल दिया है. साथ ही एक वर्ष तक स्वेच्छा से आंगनबाड़ी में सेवा करने का आदेश दिया है.

मामला साल 2008 का है, दक्षिण कन्नड़ जिले के बंटवाला तालुक के बुजुर्ग आरोपी ऐतप्पा नाइक ने एक व्यक्ति पर हथियार से हमला कर उसे घायल कर दिया था. इस मामले में आरोपी ऐतप्पा को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. उसके बाद बंटवाला ट्रायल कोर्ट ने दोषी ऐतप्पा नाइक को 2 साल की जेल और 5000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई थी. इस आदेश पर सवाल उठाते हुए ऐतप्पा नाइक ने कर्नाटक उच्च न्यायालय में अपील दायर की. न्यायमूर्ति आर नटराज ने मामले की सुनवाई की.

उच्च न्यायालय की पीठ ने अपने आदेश में कहा कि 'याचिकाकर्ता ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया है. निचली अदालत के आदेश के अनुसार वह पहले ही तीन दिन के साधारण कारावास की सजा काट चुका है. साथ ही, वह 81 वर्ष के हैं, उनकी कोई संतान नहीं है और उन्हें अपनी वृद्ध पत्नी के स्वास्थ्य का ध्यान रखना है. उन्होंने स्वीकार किया है कि वह समाज सेवा करने को तैयार हैं. इसलिए, उनकी याचिका पर विचार करते हुए सजा को संशोधित किया जा रहा है.'

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आपको बता दें कि 7 जून, 2012 दक्षिण कन्नड़ जिले के अतिरिक्त सिविल कोर्ट ने यह आदेश पारित किया था, जिसको कर्नाटक हाईकोर्ट ने संशोधित किया है. हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक याचिकाकर्ता को तीन दिनों के लिए साधारण कारावास भुगतना होगा और 10 हजार रुपये का जुर्माना देना होगा. साथ ही उन्हें 20 फरवरी, 2023 से एक साल तक बिना वेतन के आंगनबाड़ी में सेवा करनी होगी.

याचिकाकर्ता के वकील की अपील: इस मामले में याचिकाकर्ता के वकील ने हाईकोर्ट में दलील रखी कि माननीय अदालत को आवेदक की उम्र को ध्यान में रखते हुए उनकी सजा पर विचार करना चाहिए. दोषी की कोई संतान नहीं है. वृद्ध ऐतप्पा नाइक को अपनी पत्नी की देखभाल करनी है. उन्होंने अपनी गलती स्वीकार कर ली है और वो समाज सेवा करने को तैयार है. याचिकाकर्ता के वकील ने बेंच से सजा रद्द करने क अपील की. इस बिंदु पर विचार करते हुए बेंच ने सजा में संशोधन किया है.

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