बेंगलुरु:कर्नाटक उच्च न्यायालय (Karnataka High Court) ने दो नाबालिगों के परिवारों के बीच समझौते की अनुमति दी है. दरअसल यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत लड़के पर आरोप लगाया गया था. कोर्ट ने POCSO के तहत केस खारिज कर दिया है.
न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना (Justice M Nagaprasanna) ने उस लड़के के खिलाफ निचली अदालत में लंबित कार्यवाही को रद्द कर दिया जो नाबालिग था जब दिसंबर 2021 में शिकायत दर्ज की गई थी. साथ पढ़ने वाले लड़का-लड़की भाग गए थे. इस संबंध में शिकायत दर्ज कराई गई. बाद में दोनों दूसरे जिले में मिले थे. लड़के पर भारतीय दंड संहिता (IPC) और POCSO अधिनियम की धारा 5 के तहत दुष्कर्म का आरोप लगाया गया था. जबकि मामला निचली अदालत में लंबित है, हाल ही में मामले को रद्द करने के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया गया था. दोनों के परिवार समझौता कर चुके थे और मामले को आगे नहीं बढ़ाना चाहते थे. एचसी ने कहा कि इस स्थिति में लड़के को अंततः बरी कर दिया जाएगा.
अदालत ने कहा, 'मैं समझौते पर ध्यान देकर इसे स्वीकार करना और याचिकाकर्ता को उस अपराध के जाल से मुक्त करना उचित समझता हूं, जिसमें वह फंसा हुआ है, ऐसा नहीं करने पर छात्र का भविष्य खतरे में पड़ जाएगा.'