बेंगलुरू: ट्विटर इंडिया (Twitter India) के एमडी मनीष माहेश्वरी के खिलाफ गाजियाबाद (यूपी) पुलिस द्वारा धारा 41 A के तहत भेजे गए नोटिस के खिलाफ मंगलवार को कर्नाटक हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. इससे पहले जस्टिस जी. नरेंद्र (G Narender) की एकलपीठ ने अंतरिम आदेश जारी कर यूपी पुलिस की ट्विटर इंडिया पर कार्रवाई को लेकर रोक लगाई थी. इस आदेश को यूपी पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
- माहेश्वरी ने कोर्ट से कहा
कर्नाटक हाईकोर्ट ने 24 जून को मामले पर सुनवाई करते हुए ट्विटर इंडिया के एमडी को अंतरिम राहत दी थी. याचिका पर माहेश्वरी के वकील ने कहा कि यदि प्रतिवादी केवल यह जानना चाहते है कि कंपनी का प्रभारी कौन है तो धारा 41 A के तहत एमडी मनीष माहेश्वरी को नोटिस जारी करने का मतलब क्या है. इसमें एक झूठा एजेंडा छिपा है. उन्होंने कहा कि प्रतिवादी द्वारा मनीष माहेश्वरी को लेकर इस तरह कोई शिकायत नहीं की गई है और न ही कोई अपराध दर्ज किया गया है.
गाजियाबाद बुजुर्ग पिटाई मामला : लोनी थाने में तय समय पर नहीं पहुंचे ट्विटर के एमडी !
- अपराध केवल एक कंपनी के खिलाफ दर्ज: वकील
ट्विटर इंडिया एमडी के वकील ने हाईकोर्ट में कहा कि यह अपराध केवल एक कंपनी के खिलाफ दर्ज किया गया है. जिसे एक बोर्ड द्वारा चलाया जा रहा है. कंपनी के डायरेक्टर्स के नाम उपलब्ध है. पुलिस कंपनी के प्रतिनिधित्व करने वालों के तौर पर ट्विटर इंडिया का नाम नहीं ले सकती.
- क्या है मामला, क्यों शुरु हुआ विवाद
यूपी के लोनी बॉर्डर के पास एक बुजुर्ग की पिटाई की गई थी साथ ही उसकी दाढ़ी काटी गई थी. पुलिस की जांच में यह तथ्य सामने आया कि पीड़ित व्यक्ति अब्दुल समद बीते बुलंदशहर के रहने वाले हैं. बीते 5 जून को वे लोनी बॉर्डर के बेहटा पहुंचे थे. अब्दुल समद वहां से एक अन्य व्यक्ति के साथ आरोपी प्रवेश गुज्जर के घर बंथला गए थे. पुलिस का कहना है कि पीड़ित अब्दुल समद ताबीज बनाने का काम करते हैं, उनके द्वारा बनाए गए ताबीज का उल्टा असर होने पर आरोपी व उसके सहयोगियों ने यह कृत्य किया. इसके पीछे किसी तरह का सांप्रदायिक कारण नहीं है. पुलिस ने वीडियो वायरल होने से रोकने के कोई उपाय न करने पर ट्विटर और वीडियो वायरल करने के आरोप में कुल सात लोगों पर एफआईआर दर्ज की थी.
कल होगी अगली सुनवाई
याचिका पर मंगलवार को सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यूपी पुलिस से कहा कि आप एक कंपनी की जांच कर रहे हैं. इस याचिका का तब तक कुछ मतलब नहीं है जब तक आप यह नहीं दिखा सकते कि वह (ट्विटर इंडिया एमडी) इसे रोक सकता था. इस मामले की अगली सुनवाई बुधवार को होगी.