मेट्रो पिलर हादसे में पीड़ित ने ₹10 करोड़ मुआवजे का किया दावा, HC ने कर्नाटक सरकार, BMRCL को नोटिस दिया - मुआवजे के लिए हाई कोर्ट
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार, बेंगलुरु मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BMRCL) और अन्य को एक पीड़ित की द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी किया. पीड़ित ने इस साल की शुरुआत में नम्मा मेट्रो खंभा ढहने के कारण हुए हादसे में अपनी पत्नी और नाबालिग बच्चे को खो दिया था. अब पीड़ित ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करके 10 करोड़ रुपये मुआवजे की मांग की है. पढ़ें पूरी खबर...
प्रतिकात्मक तस्वीर
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Published : Jul 26, 2023, 1:12 PM IST
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Updated : Jul 26, 2023, 1:17 PM IST
बेंगलुरु: शहर के नागवारा के पास एक निर्माणाधीन मेट्रो पिलर गिरने से मां और बच्चे की मौत हो गई थी. इस मामले में पीड़ित परिवार के मुखिया और महिला के पति की ओर से 10 करोड़ रुपये मुआवजे की मांग की गई है. पीड़ित व्यक्ति ने इस संबंध में कर्नाटक हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है.
इस मामले में सुनवाई करते हुए होई कोर्ट के जज न्यायमूर्ति कृष्णा एस. ने राज्य सरकार के मुख्य सचिव, बेंगलुरु मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीएमआरसीएल) के प्रबंध निदेशक, बेंगलुरु के जिला कलेक्टर और मेट्रो कार्य ठेकेदार कंपनी मर्कस नागार्जुन कंस्ट्रक्शन के प्रबंध निदेशक सहित 8 प्रतिवादियों को आपातकालीन नोटिस जारी कर दो हफ्ते में अपना पक्ष रखने के लिए कहा है.
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि लोहित कुमार और तेजस्विनी की शादी 2017 में हुई थी. दम्पति के घर जुड़वां बच्चे पैदा हुए. दावणगेरे का रहने वाला दंपति रोजगार के लिए बेंगलुरु आया था. 10 जनवरी, 2023 को सुबह 10 बजे, लोहित कुमार अपनी पत्नी और बच्चों के साथ होरमावु स्थित अपने घर से अपने कार्यालय तक दोपहिया वाहन पर यात्रा कर रहे थे.
नागवारा के एचबीआर बारंगे में रिंग रोड पर एक्सिस बैंक के सामने यात्रा करते समय निर्माणाधीन मेट्रो का खंभा दोपहिया वाहन पर गिर गया. घटना में दुपहिया वाहन पर पीछे सवार उनकी पत्नी तेजस्विनी और बेटा विहान गंभीर रूप से घायल हो गए. दोनों को अस्पताल में भर्ती कराया गया लेकिन इलाज बेअसर रहा और दोनों की मौत हो गई. उनके वकील ने कोर्ट को बताया कि इस दुर्घटना में उनके मुवक्किल और उनकी बेटी भी घायल हो गई थी.
इसमें कहा गया है कि सॉफ्टवेयर इंजीनियर तेजस्विनी प्रति माह 75,748 रुपये कमा रही थीं. याचिकाकर्ता ने आगे कहा कि मुआवजा 'पर्याप्त नहीं है, और यह केवल सुरक्षा कार्य में उनकी लापरवाही को छिपाने के लिए एक मात्र मुआवजा है. यह देखते हुए कि तेजस्विनी परिवार में कमाने वाली महिला थी, जो हाल ही में ऋण पर खरीदे गए फ्लैट में रहने आई थी. याचिका में पीड़ित परिवार के लिए ₹10 करोड़ के मुआवजे की मांग की गई थी.
अदालत ने उत्तरदाताओं को अपनी आपत्तियां दर्ज करने के लिए नोटिस जारी करने के बाद मामले को स्थगित कर दिया. याचिका में अन्य प्रतिवादियों में बीएमआरसीएल के एमडी, मुख्य अभियंता और ऑपरेशन इंजीनियर, आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस, नागार्जुन कंस्ट्रक्शन कंपनी के एमडी और इसके प्रोजेक्ट मैनेजर शामिल हैं.