बेंगलुरु :कर्नाटक उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से उस कानून के प्रावधानों की व्याख्या करने को कहा जिसके तहत मस्जिदों में लाउडस्पीकर और सार्वजनिक संबोधन प्रणाली की अनुमति दी गई है.
मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सरकार से पूछा कि उनके उपयोग को प्रतिबंधित करने के लिए क्या कार्रवाई की जा रही है. दरअसल गिरीश भारद्वाज ने बेंगलुरु के थानीसांद्रा में मस्जिदों के कारण ध्वनि प्रदूषण के संबंध में याचिका दायर की है. उन्होंने ध्वनि प्रदूषण पर कानून को प्रभावी ढंग से लागू करने की गुहार लगाई है.
याचिकाकर्ता के वकील श्रीधर प्रभु ने कहा कि 'प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) और अन्य सरकारी अधिकारी ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं कर रहे हैं. हालांकि, वक्फ बोर्ड ने कानूनी इकाई नहीं होने के बावजूद मस्जिदों में कम डेसिबल लाउडस्पीकर का उपयोग करने के लिए एक परिपत्र जारी किया है. लेकिन यह पर्याप्त नहीं है.'
श्रीधर प्रभु ने कोर्ट से कहा कि ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण दिशानिर्देश 2000 के अनुसार, रात 10 बजे से सुबह 6 बजे के बीच किसी भी स्पीकर की अनुमति नहीं है. इसी तरह, सालाना सार्वजनिक त्योहारों के दौरान केवल 15 दिनों के लिए माइक के उपयोग की अनुमति है लेकिन, किसी भी दिशा-निर्देश का पालन नहीं किया जाता है.
इस पर पीठ ने कहा कि अगर मौजूदा स्थिति को ध्यान में रखा जाए तो लगता है कि सरकार ने इस दिशा में कोई कार्रवाई शुरू नहीं की है. मस्जिदें अदालत को सूचित कर रही हैं कि वे वक्फ बोर्ड के निर्देशों के अनुसार माइक का उपयोग कर रही हैं. हालांकि बोर्ड के पास अनुमति देने का कोई अधिकार नहीं है, उसे यह स्पष्ट करना होगा कि वक्फ बोर्ड किस कानूनी प्रावधान के तहत सर्कुलर जारी कर रहा है.
वाहनों और नाइट क्लब से पैदा हो रहे वायु प्रदूषण का स्वत: संज्ञान
वहीं, कोर्ट ने दो और चार पहिया वाहनों से जुड़े मॉडीफाइड साइलेंसर के कारण होने वाले ध्वनि प्रदूषण का स्वत: संज्ञान लिया, जो मोटर वाहन अधिनियम के अनुसार नहीं हैं. पीठ ने कहा ध्वनि प्रदूषण बदले हुए वाहनों के कारण होता है और नाइट क्लब भी कोई अपवाद नहीं हैं. संबंधित अधिकारियों को इस दिशा में कार्य करना चाहिए. उन्हें नाइट क्लबों, वाहनों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करनी चाहिए और अदालत को एक रिपोर्ट सौंपनी चाहिए.
पीठ ने मौखिक रूप से कहा, 'यदि आप किसी मुख्य सड़क के पास रहते हैं तो आपको एहसास होगा कि इन वाहनों के कारण मुख्य सड़क के पास रहना कितना मुश्किल है.' तदनुसार, अदालत ने राज्य सरकार और पुलिस को यह बताने का निर्देश दिया कि इस तरह के खतरे को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं और निर्देश दिया कि ऐसे वाहनों की पहचान करने के लिए एक अभियान चलाया जाना चाहिए और कार्रवाई की जानी चाहिए. इसके अलावा अदालत ने यह भी कहा कि, 'राज्य के प्राधिकरण ऐसे सभी नाइट क्लबों और संगठनों के संचालन पर भी विचार करेंगे जो ध्वनि प्रदूषण नियम, 2000 का उल्लंघन कर रहे हैं.
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