बेंगलुरु: कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली एक पीठ ने उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार को निर्देश दिया है कि वह पुलिस उपनिरीक्षक भर्ती घोटाले (Karnataka PSI scam) के संबंध में दायर जनहित याचिका को किसी अन्य पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करे. जनहित याचिका में सरकार को घोटाले में अब तक दर्ज प्राथमिकी और जांच के दस्तावेज अदालत में पेश करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.
मुख्य न्यायाधीश प्रसन्ना बालचंद्र वराले और न्यायमूर्ति अशोक एस किनागी की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष कांग्रेस विधायक प्रियांक खड़गे द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई होनी थी. चीफ जस्टिस वराले यह कहकर सुनवाई से हट गए कि अर्जी को उन दोनों की गैरमौजूदगी वाली बेंच के समक्ष सूचीबद्ध किया जाए.
याचिका में क्या : याचिका में अपील की गई है कि सीआईडी को निर्देश दिया जाए कि पीएसआई घोटाले में अब तक दर्ज एफआईआर और शिकायतों से जुड़े जांच के पूरे दस्तावेज पेश करें. मामले की जांच करने वाली सीआईडी को अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) अमृत पॉल की गिरफ्तारी के बाद की स्थिति के बारे में जानकारी देने का निर्देश दिया जाना चाहिए. याचिका में मांग की गई है कि राज्य सरकार और सीआईडी को निष्पक्ष, स्वतंत्र और पारदर्शी जांच कराने का निर्देश दिया जाए.
पुलिस भर्ती विभाग के कुछ अधिकारियों ने राजनेताओं की मदद से अवैध तरीकों से कुछ उम्मीदवारों का पक्ष लिया है. इस वजह से मेरिट के आधार पर पीएसआई की परीक्षा पास करने वाले अभ्यर्थियों का जीवन और करियर दुविधा में पड़ गया है. जांच के दौरान खुलासा हुआ कि भर्ती विभाग के एडीजीपी, भर्ती समिति और गृह मंत्री को परीक्षा के हर चरण की जानकारी दी गई थी. साथ ही परीक्षा में शामिल होने वाले परीक्षार्थियों ने भी अवैध होने की शिकायत की है. कैबिनेट सदस्यों, विधान परिषद सदस्यों, विधायकों और गृह मंत्री के खिलाफ अवैधता के आरोप लगाए गए हैं. हालांकि, गृह विभाग, जो दूसरा प्रतिवादी है, ने तर्क दिया कि पीएसआई की नियुक्ति में कोई अवैधता नहीं थी.