बेंगलुरु :कर्नाटक विधानसभा चुनाव में मतदान की तारीख जैसे-जैसे पास आ रही है सियासी सरगर्मी बढ़ती जा रही है. यहां की सोराबा सीट (Soraba constituency) पर राजनीतिक पारा कुछ ज्यादा बढ़ा हुआ है. इसकी वजह ये है कि यहां पूर्व मुख्यमंत्री एस. बंगारप्पा के दो बेटे चुनावी मुकाबले में आमने-सामने हैं.
अगर सोराबा सीट के बारे में अतीत में जाते हैं तो एक नाम जेहन में आता है, वह हैं पूर्व मुख्यमंत्री एस. बंगारप्पा. वह ऐसे नेता थे जो हमेशा मानते थे कि वह जिस पार्टी में होंगे, वह पार्टी जीतेगी. उनके बाद उनके दोनों बेटे कुमार बंगारप्पा और मधु बंगारप्पा सोराबा निर्वाचन क्षेत्र में प्रतिस्पर्धी राजनीति कर रहे हैं.
एस बंगारप्पा के बेटे कुमार बंगारप्पा और मधु बंगारप्पा पिछले पांच चुनावों से एक-दूसरे के विरोधी रहे हैं. दरअसल जब एस बंगारप्पा ने राज्य की राजनीति से राष्ट्रीय राजनीति में प्रवेश किया तो सोराबा निर्वाचन क्षेत्र में अपने उत्तराधिकारी के रूप में अपने बड़े बेटे कुमार बंगारप्पा को लाए. कुमार बंगारप्पा ने 1999 में सोराबा निर्वाचन क्षेत्र से राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश किया.
पिता के आशीर्वाद से कुमार बंगारप्पा कांग्रेस पार्टी से चुनाव जीते. लेकिन बाद में बंगारप्पा परिवार में दरार आ गई और दोनों भाई अलग हो गए. 2004 में कुमार बंगारप्पा भाजपा में शामिल हो गए. फिर मधु बंगारप्पा पहली बार राजनीति में आए हालांकि अपने भाई के खिलाफ चुनाव हार गए.
भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे कुमार बंगारप्पा का कहना है कि वह विकास के नाम पर वोट मांग रहे हैं. कुमार बंगारप्पा का दावा है कि वह न केवल सोराबा बल्कि जिले की सात विधानसभा सीटों पर जीत हासिल करेंगे.
कुमार बंगारप्पा ने कहा कि 'मेरे भाई कांग्रेस से चुनाव लड़ रहे हैं. कांग्रेस डूबता जहाज है, जिस पर सवार कोई भी व्यक्ति किनारे तक नहीं तौर सकता, इसलिए कांग्रेस गारंटी कार्ड बांट रही है.'
पांच बार हो चुका है मुकाबला : अब तक दोनों भाइयों में पांच बार मुकाबला हो चुका है. 2013 में केवल एक बार मधु बंगारप्पा जीते हैं. परिवार में साथ मिलने की बात की जाए तो इस मामले में एक तरफ कुमार बंगारप्पा हैं, वहीं मधु बंगारप्पा की तरफ बंगारप्पा की बेटियां भी हैं.
कुमार बंगारप्पा का राजनीतिक सफर :कुमार बंगारप्पा ने 1999 से 2013 तक कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़ा. 2018 में उन्होंने बीजेपी से चुनाव लड़ा और जीते. कहा जा सकता है कि यह उनकी राजनीति का टर्निंग प्वाइंट है. अब कुमार बंगारप्पा दूसरी बार बीजेपी से चुनाव लड़ रहे हैं. वह लघु सिंचाई मंत्री के रूप में भी काम कर चुके हैं.
मधु बंगारप्पा का राजनीतिक सफर :मधु बंगारप्पा अपने कारोबार के साथ-साथ राजनीति भी कर रहे हैं. उन्होंने बीजेपी से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी. समाजवादी पार्टी, जेडीएस से चुनाव लड़ने और हारने के बाद वह डीके शिवकुमार के कांग्रेस अध्यक्ष बनने पर कांग्रेस में शामिल हो गए. वह इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतरे हैं.
मधु बंगारप्पा का कहना है कि 'पिता ने खुद मुझे विधायक कुमार बंगारप्पा के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए कहा था. हम रिश्तों के बीच प्रतिस्पर्धा नहीं कर रहे हैं, यहां हम दूसरी पार्टियों के उम्मीदवारों की तरह चुनाव लड़ रहे हैं. सोराबा में करीब 70 फीसदी बीजेपी कांग्रेस में शामिल हो गई है.'
सोराबा निर्वाचन क्षेत्र के जातीय गणित की बात की जाए तो यहां केवल एक समुदाय है, जिसका दबदबा है. आजादी के बाद से ही यहां के एडिगा समुदाय से काफी प्रतिस्पर्धा रही है. गौरतलब है कि इस निर्वाचन क्षेत्र से एडिगा समुदाय के अलावा कोई अन्य समुदाय का व्यक्ति निर्वाचित नहीं हुआ. कुल मिलाकर 13 मई को चुनाव नतीजे आने के बाद ही पता चलेगा कि जनता दोनों भाइयों में से किसका साथ देती है.
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