बेंगलुरु : कर्नाटक का हाईवोल्टेज निर्वाचन क्षेत्र वरुणा दिन-ब-दिन और भी गर्म होता जा रहा है. भाजपा से वरिष्ठ मंत्री वी. सोमन्ना के चुनाव मैदान में उतरने से यहां मुकाबला रोचक हो गया है. इसकी एक वजह जातिगत समीकरण है. वहीं, पहली बार यहां राकेश सिद्धारमैया की पत्नी, स्मिता राकेश अपने ससुर पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के लिए चुनाव प्रचार कर रही हैं (Smita Rakesh canvassing for her father in law). स्मिता के पति राकेश का निधन 2016 में हो गया था. बीजेपी का लक्ष्य वरुणा सीट जीतना है.
दरअसल पूर्व सीएम सिद्धारमैया के गृह निर्वाचन क्षेत्र वरुणा को राजनीतिक क्षेत्र में काफी महत्व मिला है. पूर्व सीएम का परिवार यहां मजबूती से अपनी जड़ें जमाए हुए है. इस बार यहां पूर्व मित्रों के बीच कड़ा मुकाबला है.
प्रदेश में चुनावी सरगर्मी के बीच सभी का ध्यान आकर्षित करने वाले वरुणा विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस और भाजपा प्रत्याशी कई गांवों में रोड शो और छोटी सभाएं कर चुनाव प्रचार कर रहे हैं. इसके जरिए प्रत्याशी मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं.
वरुणा निर्वाचन क्षेत्र में पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और भाजपा के वरिष्ठ मंत्री वी. सोमन्ना के लिए चुनाव प्रचार जोरों पर है. यहां पहली बार सिद्धारमैया की बहू स्मिता राकेश ने अपने ससुर के लिए प्रचार कर रही हैं. इससे पहले, सिद्धारमैया के सबसे बड़े बेटे राकेश सिद्धारमैया ने वरुणा और चामुंडेश्वरी के निर्वाचन क्षेत्रों का जिम्मा संभाल रखा था, लेकिन राकेश की 2016 में मौत हो गई थी.
स्मिता राकेश जनता के बीच जाकर वोट देने की अपील कर रही हैं. वह कह रही हैं कि 'मैं आप सभी से अनुरोध करती हूं कि सिद्धारमैया को जिताने के लिए उनका समर्थन करें. आपका समर्थन हर बार उनके साथ रहा है. इस बार अधिक वोटों से जीत चाहिए. सभी उनकी जीत के लिए वोट करें.'
यह वह निर्वाचन क्षेत्र हैं जहां अब तक सिद्धारमैया के बेटे ही चुनाव प्रचार कर रहे थे, पत्नी और बहू इसमें शामिल नहीं थीं. लेकिन पहली बार राकेश सिद्धारमैया की पत्नी स्मिता राकेश अपने ससुर की ओर से वरुणा विधानसभा क्षेत्र के गांवों में घर-घर जाकर उनसे कांग्रेस को वोट देने की अपील कर रही हैं. सिद्धारमैया ने एक जनसभा में कहा कि वह अपना नामांकन पत्र जमा कर रहे हैं, उनके पोते धवन राकेश राजनीति में प्रवेश करेंगे.
सिद्धारमैया ने पहले कहा था कि जब वे वरुणा से जीते तो मुख्यमंत्री बने, इसलिए एक निर्वाचन क्षेत्र के भाग्यशाली या दूसरे के अशुभ होने जैसी कोई बात नहीं है. इसमें उनका कोई विश्वास नहीं है. उनका गृहनगर वरुणा निर्वाचन क्षेत्र में पड़ता है. वरुणा होबली की उपस्थिति के कारण इसे वरुणा निर्वाचन क्षेत्र कहा जाता है. चूंकि यह उनका आखिरी चुनाव है, इसलिए वह अपना आखिरी चुनाव अपने गृहनगर में लड़ना चाहते हैं.
सिद्धारमैया ने कहा, 'पोते धवन राकेश वरुणा निर्वाचन क्षेत्र के भावी नेता हैं, वे मेरे उत्तराधिकारी हैं. यह मेरा आखिरी चुनाव है. धवन आने वाले दिनों में मेरे बेटे यतींद्र (वर्तमान विधायक वरुणा) के साथ राजनीति में आएंगे. वह अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद आपकी सेवा में आएगा. वरुणा और चामुंडेश्वरी विधानसभा क्षेत्र के लोग मेरे बेटे राकेश को प्यार करते थे. वैसा ही प्यार पोते को दें, कृपया उसे आशीर्वाद दें.'
वहीं, वरुणा विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी के उम्मीदवार वी. सोमन्ना इस बार जुलूस के माध्यम से गांव-गांव जाकर वोट मांग रहे हैं. वह वादा कर रहे हैं कि अगर वे जीते तो वरुणा विधानसभा क्षेत्र को विकास के रास्ते पर लाएंगे. वरुणा सीट पर पहली बार बीजेपी जीत के लिए सभी जरूरी रणनीति बना रही है.
कुल मिलाकर राज्य का ये निर्वाचन क्षेत्र काफी चर्चा में है. यहां भाजपा से सोमन्ना के चुनाव मैदान में उतरने से मुकाबला रोचक हो गया है. बीजेपी का लक्ष्य वरुणा सीट जीतना है. सामान्य तौर पर यह तो परिणाम के बाद ही पता चलेगा कि वोटर किसका साथ देते हैं.
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