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मैसूरु दशहरा में भाग लेने वाले हाथी 'अर्जुन' का बनेगा स्मारक - स्वर्ण हौदा अर्जुन हाथी

Elephant Arjun memorial in Karnataka : कर्नाटक सरकार ने अर्जुन नाम के हाथी का स्मारक बनवाने का फैसला किया है. यह मैसूरु दशहरा समारोह के दौरान देवी चामुंडेश्वरी का स्वर्ण हौदा लेकर चलता था.

arjun elephant
अर्जुन हाथी

By IANS

Published : Dec 6, 2023, 2:22 PM IST

बेंगलुरु : कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने 63 वर्षीय हाथी 'अर्जुन' के लिए एक स्मारक बनाने की घोषणा की. एक जंगली हाथी को पकड़ने के लिए जंगल में एक ऑपरेशन के दौरान एक दिसंबर को अर्जुन की मौत हो गई थी. सिद्दारमैया ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि एक स्मारक जंगल में उस जगह बनाया जायेगा जहाँ अर्जुन की मौत हुई थी और दूसरा मैसूरु जिले के एच.डी. कोटे शहर में होगा. इनका निर्माण राज्य सरकार करायेगी.

ऐतिहासिक मैसूरु दशहरा समारोह के दौरान अर्जुन देवी चामुंडेश्वरी का स्वर्ण हौदा लेकर जाता थ. सीएम ने दोहराया, "मैंने अर्जुन हाथी की मौत के संबंध में सारी जानकारी मांगी है. हमने सकलेशपुर के जंगल में एक स्मारक बनाने के लिए कहा है, जहां उसकी मौत हुई थी और हमने एचडी कोटे में एक स्मारक बनाने के भी निर्देश दिए हैं."

सिद्दारमैया ने कहा, "दशहरा के दौरान अर्जुन आठ बार गोल्डन हौदा लेकर गया था. उसकी दुर्घटना में मृत्यु हो गई. हाथी को लंबे समय तक जीवित रहना चाहिए था. उसकी मृत्यु हो गई क्योंकि उसका इस्तेमाल जंगली हाथी पकड़ने के ऑपरेशन में किया गया था."

अर्जुन की देखभाल करने वाले महावत वीनू ने बताया कि ऑपरेशन के दौरान अर्जुन के पैर में चोट लग गई और खून बहने लगा. इसके बावजूद वह एक जंगली हाथी से भिड़ गया. इसके बाद मिसफायर में गोली उसके पैर में लग गयी. अर्जुन अकेले ही लड़ता और जीतता, लेकिन पैर में चोट के कारण वह जीत नहीं सका. जंगली हाथी ने उसे मार डाला. उन्होंने कहा, अर्जुन ने 10 लोगों की जान बचाई और अपनी जान दे दी.

मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने पहले दुःख व्यक्त करते हुए कहा था कि अर्जुन ने आठ बार जंबू सावरी में भाग लिया था. वह आराम से 750 किलोग्राम के गोल्डन हौदा को पीठ पर लेकर चलता था. वह सबका चहेता बन गया था.

अर्जुन को 1968 में काकानाकोटे जंगल में खेड्डा ऑपरेशन के दौरान पकड़ा गया था. 60 साल की सेवा पूरी करने के बाद 2020 में सेवानिवृत्त होने से पहले तक वह आठ बार गोल्डन हौदा लेकर जुलूस के आगे-आगे चला.

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