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कर्नाटक में कैबिनेट विस्तार को हरी झंडी, लीडरशिप में कोई बदलाव नहीं - एक घंटे तक चली मैराथन बैठक

बीजेपी हाईकमान ने राज्य मंत्रिमंडल के विस्तार को हरी झंडी दे दी है. साथ ही नेतृत्व नहीं बदलने की पुष्टि की है. मंत्रिमंडल विस्तार के पहले हाईकमान ने सुझाव दिया कि राज्य सरकार भाजपा विधायकों के साथ ही बाहर से आए विधायकों के साथ मंत्रिमंडल विस्तार कर सकती है. इससे यह लगता है कि येदियुरप्पा ने अपनी ताकत दिखाते हुए राज्य और भाजपा में जीत हासिल की है.

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Published : Jan 11, 2021, 6:28 PM IST

बेंगलुरु : कर्नाटक में बीजेपी के मुख्य स्तंभ और मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने नेतृत्व में बदलाव की अटकलों पर विराम लगा दिया है. येदियुरप्पा समर्थक हाईकमान की ओर से मंत्रिमंडल विस्तार व नेतृत्व परिवर्तन की आशंका से ग्रस्त थे, लेकिन बीजेपी हाईकमान ने राज्य मंत्रिमंडल के विस्तार को हरी झंडी दे दी. साथ ही नेतृत्व नहीं बदलने की पुष्टि की है.

बीएस येदियुरप्पा ने रविवार को नई दिल्ली में अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सहित भाजपा के शीर्ष नेताओं से मुलाकात की. उन्हें राज्य मंत्रिमंडल विस्तार के लिए हरी झंडी मिल गई है. कई चुनौतियों के बीच बीएसवाई ने सीएम की कुर्सी हासिल की और पार्टी के मुद्दों को हल करने की कोशिश की. लेकिन दो प्रमुख बातें, मंत्रिमंडल विस्तार और नेतृत्व बदलने की अटकलें उन्हें पिछले डेढ़ साल से परेशान कर रहीं थीं. 26 जुलाई 2019 को येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली, लेकिन मंत्रिमंडल के गठन में महीनों लग गए. आखिरकार 20 अगस्त को 17 विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली.

दिल्ली के लगाए कई चक्कर

दिसंबर 2019 में उपचुनाव जीतने वाले विधायकों ने सीएम बीएसवाई का प्रचार करके भाजपा सरकार में मंत्री पद पाने के लिए तीन महीने का इंतजार किया. इस दौरान सीएम ने मंत्रिमंडल विस्तार के बारे में चर्चा करने के लिए हाईकमान से मिलने की कोशिश की और तीन से अधिक बार दिल्ली गए. लेकिन महीनों तक मंत्रिमंडल विस्तार के लिए उन्हें अनुमति नहीं मिली. सीएम येदियुरप्पा ने फरवरी 2020 के बाद मंत्रिमंडल विस्तार के लिए लगभग एक साल का इंतजार किया. जब एमटीबी नागराज और आर शंकर को परिषद में नियुक्त किया गया था तब सीएम कई बार दिल्ली गए थे, लेकिन हाईकमान ने उन्हें अनुमति दिए बिना ही वापस भेज दिया था.

एक घंटे तक चली मैराथन बैठक

राजनीतिक विशेषज्ञों और भाजपा नेताओं के अनुसार हाईकमान संक्रांति पर्व के बाद ही मंत्रिमंडल विस्तार के लिए सहमत था. भाजपा आलाकमान ने मकर संक्रांति के बाद मंत्रिमंडल विस्तार के बारे में चर्चा करने के लिए बीएसवाई को आने के लिए कहा, लेकिन अचानक उन्होंने अपना निर्णय बदल दिया और बीएसवाई को तुरंत दिल्ली बुलाया गया. साथ ही राज्य में मंत्रिमंडल विस्तार की अनुमति भी दे दी गई. आमतौर पर येदियुरप्पा को पहले हाईकमान के साथ चर्चा करने के लिए पांच या 10 मिनट का समय मिलता था, लेकिन इस बार उन्होंने एक घंटे से अधिक समय हाईकमान के साथ बिताया. मंत्रिमंडल विस्तार के पहले हाईकमान ने सुझाव दिया कि राज्य सरकार भाजपा विधायकों के साथ ही बाहर से आए विधायकों के साथ मंत्रिमंडल विस्तार कर सकती है. इससे यह लगता है कि येदियुरप्पा ने अपनी ताकत दिखाते हुए राज्य और भाजपा में जीत हासिल की है.

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अरुण सिंह बने सीएम के संकटमोचक

जनवरी की शुरुआत में पार्टी की राज्य कार्यकारिणी समिति की विशेष बैठक और शिवमोगा में आयोजित कोर कमेटी की बैठक येदियुरप्पा के लिए वरदान बन गई. वे अक्सर पार्टी में नेता बदलने की अटकलों की समस्या का सामना करते रहे, लेकिन राज्य के प्रभारी मंत्री अरुण सिंह ने बैठक के दौरान स्पष्ट कह दिया कि येदियुरप्पा यह कार्यकाल पूरा करेंगे. राज्य में कोई नेतृत्व परिवर्तन नहीं होगा. अरुण सिंह ने बैठक में राज्य में नेतृत्व परिवर्तन के बारे में विधायक बसावना गौड़ा पाटिल को चेतावनी भी दी. येदियुरप्पा ने मंत्रिमंडल विस्तार करने और राज्य में नेतृत्व नहीं बदलने के लिए बुद्धिमानी से कदम उठाए और सब कुछ संभाल कर बहुत सावधानी से अंततः राज्य की राजनीति में वापसी की.

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