नई दिल्ली:कर्नाटक में विधानसभा चुनाव की तैयारियों को सभी राजनीतिक दल अब अंतिम स्वरूप देने लगे हैं. यह माना जा रहा है कि इसी महीने चुनाव आयोग किसी भी दिन राज्य में होने वाले विधान सभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर सकता है. हालांकि अपनी छवि के मुताबिक भाजपा ने काफी पहले ही राज्य में विधान सभा चुनाव को लेकर तैयारियां शुरू कर दी थी.
भारतीय जनता पार्टी आलाकमान ने राज्य में 150 सीटें जीतने के अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए अपने भरोसेमंद और रणनीति बनाने में माहिर नेताओं की फौज को राज्य में उतार रखा है, जो पर्दे के पीछे रहकर वॉर रूम स्टाइल में चुनाव की रणनीति को जमीनी धरातल पर अमली जामा पहनाने में जुटे हुए हैं. इसमें सबसे पहला नाम आता है, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का. भाजपा आलाकमान ने प्रधान को पिछले ही महीने कर्नाटक का चुनाव प्रभारी नियुक्त किया है.
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से राजनीति की शुरूआत करने वाले धर्मेंद्र प्रधान का चुनावी रणनीति बनाने का ट्रैक रिकॉर्ड शानदार रहा है. प्रधान को 2022 में उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, जहां उन्होंने मुख्य विपक्षी दल सपा की सक्रियता के बावजूद भारी बहुमत के साथ दोबारा योगी सरकार की वापसी को सुनिश्चित किया था. प्रधान इससे पहले 2013 में कर्नाटक के साथ-साथ बिहार और झारखंड के अलावा अन्य कई राज्यों के चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं.
अमित शाह के करीबी धर्मेंद्र प्रधान मीडिया से दूर रहकर चुपचाप अपना काम करते रहते हैं और पार्टी आलाकमान उनकी इसी स्टाइल को पसंद करता है. सबसे खास बात यह है कि प्रधान को आपसी गुटबाजी खत्म कर सभी गुटों के नेताओं को एक मंच पर लाने में माहिर माना जाता है और कर्नाटक में जिस तरह से पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सीटी रवि और अन्य कई नेताओं ने पूर्व मुख्यमंत्री और दिग्गज नेता बीएस येदियुरप्पा के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है, उसे देखते हुए प्रधान की भूमिका काफी अहम हो जाती है.
ऐसा इसलिए क्योंकि पार्टी को यह पता है कि येदियुरप्पा के समर्थन के बिना चुनाव जीतना तो नामुकिन ही है, लेकिन पूर्ण बहुमत प्राप्त करने के लिए राज्य के दूसरे प्रभावशाली समुदाय वोक्कालिंगा का भी समर्थन जरूरी है. गुजरात से आने वाले केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया और तमिलनाडु भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के अन्नामलाई चुनाव सह प्रभारी के तौर पर कर्नाटक की जमीनी राजनीति का विश्लेषण कर रणनीति बनाने में धर्मेंद्र प्रधान की सहायता कर रहे हैं.
के अन्नामलाई भाजपा में शामिल होने से पहले कर्नाटक कैडर के ही आईपीएस रह चुके हैं और बतौर आईपीएस लगभग 10 साल के अपने पुलिस करियर में अन्नामलाई कर्नाटक के उडुपी, चिकमंगलूर, मंगलुरु और बेंगलुरु जैसे शहरों में अपनी धाक जमा चुके हैं. कर्नाटक में सिंघम के नाम से मशहूर आईपीएस अन्नामलाई राज्य के कई जिलों में काफी लोकप्रिय रहे हैं. कई जिलों में तो लोगों ने उनका ट्रांसफर होने के बाद ट्रांसफर रुकवाने के लिए उस समय जोरदार प्रदर्शन भी किया था.
बतौर एसपी कुरान का अध्ययन करने वाले अन्नामलाई युवाओं, लड़कियों और महिलाओं के साथ ही राज्य के मुस्लिम समुदाय के बीच भी काफी लोकप्रिय माने जाते हैं. उन्हें आईपीएस के तौर पर काम करने के कारण राज्य के कई जिलों के जमीनी हालात और विभिन्न समुदायों के प्रभावशाली नेताओं की पूरी जानकारी है और इसलिए ही उन्हें धर्मेंद्र प्रधान के साथ बतौर चुनाव सह प्रभारी कर्नाटक में तैनात किया गया है.