बेलगाम: कर्नाटक के बेलगाम जिले में पार्टी से ज्यादा व्यक्तिगत और पारिवारिक रसूख चुनाव में काम आता है. यहां के ज्यादातर राजनेता किसी भी पार्टी से चुनाव लड़ें, लेकिन वे जीतने का दम रखते हैं. जी हां जराकीहोली परिवार, सावदी परिवार, कट्ठी परिवार, हुक्केरी परिवार और जोले परिवार, यहां के परिवारों की प्रतिष्ठा किसी भी पार्टी से ज्यादा है. साथ ही उनके विधानसभा क्षेत्र के मतदाता पार्टी के बजाय इन परिवारों को प्राथमिकता देते रहे हैं.
बेलगाम के नेता हैं रमेश: लगातार छह बार जीत चुके रमेश जराकीहोली अब सातवीं बार चुनाव लड़ रहे हैं. वे पांच बार कांग्रेस से जीते और उपचुनाव में बीजेपी से जीते. व्यक्तिगत रसूख से किसी भी पार्टी में चुनाव लड़कर जीतने में रमेश को महारत हासिल है. लेकिन इस बार तस्वीर थोड़ी बदली हुई है, गोकाका में पंचमसाली समुदाय की बड़ी संख्या की पृष्ठभूमि में कांग्रेस ने डॉ. महंतेश कडाडी को टिकट दिया है. इससे खिन्न अशोक पुजारी का विद्रोह शांत हो गया.
जेडीएस उम्मीदवार चंदन गिद्दनवारा ने भी कांग्रेस को समर्थन देने का ऐलान किया है. लक्ष्मण सावदी मूक क्रांति के नाम पर रमेश जरकीहोली को हराने के लिए तैयार हो रहे हैं, जो अठानी में लक्ष्मण सावदी को हराने के लिए पूरी तरह तैयार हैं. साथ ही, लक्ष्मी हेब्बलकर के रमेश जरकीहोली की जीत में बाधा बनने की संभावना है. इन सब से परे, हमें इंतजार करना होगा और देखना होगा कि क्या रमेश फिर से अपने दम पर जीत पाएंगे.
यमकनमर्दी में सतीश का दबदबा: सतीश जरकीहोली ने यमकनमर्दी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के गठन के बाद से लगातार तीन बार जीत हासिल की है, जो एक अनुसूचित जनजाति आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र है. यहां के मतदाताओं ने निर्वाचन क्षेत्र में पार्टी के बजाय सतीश के व्यक्तिगत रसूख को ठीक बताया है. इस बार सतीश के प्रतिद्वंद्वी के रूप में भाजपा प्रत्याशी बसवराज हुंदरी मैदान में हैं, जबकि पिछली दो बार भाजपा से चुनाव लड़ चुके मारुति जेडीएस से मैदान में उतरे हैं, क्योंकि उन्हें इस बार भाजपा से टिकट नहीं मिला. हालांकि सीएम बसवराज बोम्मई, किच्छा सुदीप और अन्य ने प्रचार किया है, सतीश जराकीहोली के फिर से जीतने की संभावना अधिक है. क्योंकि मारुति की टक्कर से वोट बंट सकता है और बीजेपी हार सकती है.
अथानी में सावदी का व्यक्तिगत प्रभाव: भाजपा का टिकट नहीं मिलने पर कांग्रेस में शामिल हुए पूर्व डीसीएम लक्ष्मण सावदी का भी अठानी में अपना निजी प्रभाव है. लगातार तीन बार जीत चुके सावदी पिछली बार हारे थे. अब रमेश जरकीहोली फिर से चुनाव लड़ रहे लक्ष्मण सावदी को हराने की कोशिश कर रहे हैं और बीजेपी के तमाम नेताओं ने अठानी पर निशाना साधा है. बीजेपी टीम किसी भी कीमत पर महेश कुमथल्ली को जिताने की रणनीति बना रही है.
हुक्केरी में कट्ठी परिवार का वर्चस्व: स्वर्गीय उमेश कट्टी, जो सात बार विधायक चुने गए, जनता दल से दो बार, जद (यू) से एक बार, जद (एस) से एक बार, भाजपा से तीन बार जीत चुके हैं. साथ ही उमेश कत्थी के राजनीति में आने से पहले उनके पिता विश्वनाथ कत्थी एक बार जनता पार्टी से जीते थे. बाद में उनकी मृत्यु हो गई. अब उमेश कट्टी के निधन के बाद उनके बेटे निखिल ने बीजेपी प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा है. कांग्रेस की तरफ से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री एबी पाटिल फिर चुनाव लड़े हैं. कुल मिलाकर देखना यह होगा कि क्या कट्ठी परिवार का दबदबा फिर कायम रहेगा या वोटर एबी पाटिल के आगे झुकेंगे.
बेलगाम ग्रामीण के लिए लक्ष्मी हेब्बलकर की पुष्टि?