हुबली (कर्नाटक) : उत्तरी कर्नाटक के सात जिलों में कांग्रेस की जबरदस्त जीत को भाजपा के उसके ही गढ़ में बड़े झटके के रूप में देखा जा रहा है. क्षेत्र की 56 में से 40 सीटों पर (दलबदल के बाद) भाजपा का कब्जा था, लेकिन मतगणना के रुझानों में वह कई निर्वाचन क्षेत्रों में पीछे चल रही थी. बेलगावी, उत्तर कन्नड़, हावेरी, गडग, विजयपुरा, बागलोकोट और धारवाड़ में लिंगायत समुदाय की उपस्थिति अधिक है. यह समुदाय पारंपरिक रूप से भाजपा का समर्थक रहा है, लेकिन नतीजों से लगता है कि उसने इस बार कांग्रेस का समर्थन किया है.
भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आए पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार भले ही हुबली-सेंट्रल धारवाड़ की इस सीट से हार गए, लेकिन जिस तरह से उन्हें भाजपा छोड़ने के लिए मजबूर किया गया, वह लिंगायत समुदाय को अच्छा नहीं लगा. लिंगायतों के अखिल भारतीय वीरशैव समुदाय ने भी खुले तौर पर कांग्रेस को अपना समर्थन दिया और चुनाव से पहले कांग्रेस के लिए यह मनोबल बढ़ाने वाला था.
पूर्व उपमुख्यमंत्री लक्ष्मण सावदी भी भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आए थे. वह बेलगावी जिले में अथानी की अपनी पारंपरिक सीट से जीत गए हैं. सावदी लिंगायत समुदाय के एक शक्तिशाली नेता हैं और उन्हें भी पार्टी के बड़े नेताओं बीएल संतोष और बसवराज बोम्मई द्वारा भाजपा छोड़ने के लिए विवश किया गया. इन दोनों बड़े नेताओं के भाजपा छोड़ने से वर्षो से भाजपा का गढ़ रहे उत्तर कर्नाटक में भगवा पार्टी का प्रदर्शन प्रभावित हुआ है. यह पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व के लिए कई सवाल खड़े करेगा.