बेंगलुरु : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह समेत भाजपा नेता कर्नाटक चुनाव के दौरान मुस्लिम रिजर्वेशन का मुद्दा बार-बार उठा रहे हैं. क्योंकि बोम्मई सरकार ने मुसलमानों का आरक्षण खत्म कर दिया है, लिहाजा भाजपा नेता इसे अपनी उपलब्धि मान रहे हैं. ये अलग बात है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले पर रोक लगा रखी है. लेकिन बात चुनाव की हो रही है, तो जाहिर है सबकुछ सियासत के नाम पर चल रहा है.
कर्नाटक में भाजपा ने मुसलमानों को मिल रहे चार फीसदी आरक्षण को समाप्त कर लिंगायत और वोक्कालिगा समुदायों में बांट दिया. ये दोनों समुदाय कर्नाटक में बहुत ही प्रभावशाली हैं. इस फैसले के बाद अमित शाह ने एक जनसभा को संबोधित किया था और कहा था कि यहां पर धर्म के आधार पर रिजर्वेशन दिया जा रहा था, इसलिए इसे हटा दिया गया. कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा कि धर्म के आधार पर रिजर्वेशन की कल्पना तो आंबेडकर ने भी नहीं की थी.
आपको बता दें कि कर्नाटक में 1994 से मुसलमानों को आरक्षण मिलता आ रहा था. मंडल कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर आरक्षण की व्यवस्था की गई थी. मुसलमानों की कुछ जातियों को ओबीसी मानकर उसे ओबीसी कैटेगरी में रिजर्वेशन दिया जा रहा था. मुसलमानों को ओबीसी में एक सब कैटेगरी माना गया था. जाहिर है, इसका आधार सामाजिक और शैक्षणिक पिछड़ापन ही था. ओबीसी को कुल 32 फीसदी आरक्षण दिया जा रहा था, उसमें से चार फीसदी मुसलमानों के लिए फिक्स कर दिया गया.
अब जरा समझिए, लिंगायत और वोक्कालिगा भी ओबीसी हैं. लिंगायत को पांच फीसदी और वोक्कालिगा को चार फीसदी आरक्षण मिल रहा था. मुसलमानों को मिलने वाला आरक्षण अब इनके बीच बांट दिया गया है. वैसे, वोक्कालिगा और लिंगायत की मांग इस रिजर्वेशन को 17 फीसदी करने की रही है. भाजपा नेता बताते हैं कि मुस्लिमों को ईडब्लूएस कैटेगरी में आरक्षण मिलता रहेगा. यानी वे जो आर्थिक रूप से पिछड़े हैं, उन्हें इस कैटेगरी में कुल 10 फीसदी आरक्षण उपलब्ध होता है.
कुछ दिन पहले अमित शाह ने तेलंगाना में भी यही वादा किया है. शाह ने कहा कि यदि भाजपा तेलंगाना में सत्ता में आई, तो यहां भी मुस्लिम आरक्षण खत्म कर देंगे. तेलंगाना में भी मुसलमानों को तीन फीसदी आरक्षण दिया जा रहा है. पहले यह आरक्षण चार फीसदी था.
संविधान विशेषज्ञ बताते हैं कि किसी भी समुदाय को आरक्षण दिया जा सकता है या नहीं, इसका फैसला आयोग करता है. वह आयोग, जो यह तय करता है कि अमुक समुदाय सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक आधार पर पिछड़ा है या नहीं. इससे इतर कोई भी फैसला बेमानी है. यह आयोग ही सलाह देता है कि अमुक जाति को ओबीसी, एससी या एसटी सूची से हटा दीजिए. कुछ लोग सवाल उठा रहे हैं कि भाजपा ने कर्नाटक में ऐसा नहीं किया. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने कहा कि भाजपा का यह फैसला आंखों में धूल झोंकने जैसा है, इसलिए उनकी सरकार आई, तो वह मुसलमानों को आरक्षण फिर से दे देंगे. वैसे, भाजपा नेता पूछते हैं कि अगर मुसलमानों को आरक्षण देंगे, तो आप किस समुदाय का आरक्षण काटेंगे, यह तो कांग्रेस बता दे.
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