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तेलंगाना: अदभुत प्रतिभा का धनी है मासूम श्रीहन

तेलंगाना में एक दो साल का बच्चा अदभुत प्रतिभा का धनी है. उसने अपने टैलेंट के बल पर इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज कराया है.

TWO-YEAR-OLD MAKES IT TO INDIA BOOK OF RECORDS
दो साल के बच्चे ने बनाया इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स

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Published : Jun 22, 2022, 8:38 AM IST

हैदराबाद: दो साल की उम्र में अधिकांश बच्चे बड़बड़ाना शुरू करते हैं या कुछ शब्दों को एक साथ रखने की कोशिश करते हैं. माता-पिता अपने बच्चों को अपने पहले शब्द बोलते हुए देखकर खुश होते हैं. लेकिन एक बच्चे के लिए धाराप्रवाह संस्कृत छंदों का पाठ करना, एक भाषा से दूसरी भाषा में शब्दों का अनुवाद करना या स्वतंत्रता सेनानियों की पहचान करना असामान्य है.

मिलिए तेलंगाना के करीमनगर के इस अद्भुत बच्चे से जो यह सब करता है. इस बच्चे ने अपनी असाधारण प्रतिभा के बल पर इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में जगह बनाई. श्रीहन का जन्म 6 नवंबर 2019 को श्रावणी और सुमन कुमार के घर में हुआ था. उनके दादा एक सेवानिवृत्त तहसीलदार शंकरैया ने श्रीहान की प्रतिभा को देखा और उसे प्रोत्साहित किया.

उनके माता-पिता ने चीजों को सरल शब्दों में समझाना सुनिश्चित किया. श्रीहन अपने माता-पिता द्वारा सिखाई गई हर बात को याद रखता है और उसे सही ढंग से पेश भी करता है. वर्णमाला सीखने से पहले ही श्रीहन ने इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में जगह बना ली है. उसने 2 साल 5 महीने की उम्र में यह कारनामा कर दिखाया.

श्रीहन ने शुरू में अंग्रेजी शब्दों का हिंदी में अनुवाद किया जैसा कि उनके माता-पिता ने कहा था. इसके बाद उसने विभिन्न चिकित्सा उपकरणों, रंगों, वाहनों के नामों की पहचान की और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का वर्णन किया. वह चित्रों में देवताओं और स्वतंत्रता सेनानियों की पहचान करता है.

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घरेलू वस्तुओं, फलों, सब्जियों, मानव शरीर के अंगों, देशों के राष्ट्रीय ध्वज, राज्यों की राजधानियों और क्षेत्रों के बारे में स्पष्ट बताता है. इनके अलावा वह अपने माता-पिता द्वारा सिखाए गए गायत्री मंत्र के चार श्लोकों का पाठ कर सभी को मंत्रमुग्ध कर देता है.

श्रावणी और सुमन ने श्रीहान की असाधारण प्रतिभा को पहचाना और इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स के लिए आवेदन किया. श्रीहान को छोटी सी उम्र में मिली दुर्लभ पहचान से परिवार के सदस्य उत्साहित हैं. श्रीहन के माता-पिता का कहना है कि बच्चों को जबरन कुछ भी सिखाने की बजाय पढ़ाई के साथ-साथ खेल-कूद में मजा कर उन्हें सुपरकिड बनाया जा सकता है.

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