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Kargil Vijay Diwas 2023: जिसने कारगिल की टाइगर हिल पर फहराया देश का तिरंगा, उस कारगिल शहीद की मूर्ति को 20 साल से अनावरण का इंतजार

26 जुलाई को पूरा देश कारगिल विजय दिवस मना रहा है. इस मौके पर आज हम आपको शहीद सरमन सिंह के बारे में बताएंगे. जिनका परिवार रहता तो एमपी के ग्वालियर में हैं, लेकिन उनका पैतृक गांव उत्तरप्रदेश में है. यह परिवार आज भी अपने शहीद बेटे की मूर्ति के अनावरण की बाट जोह रहा है.

Kargil Vijay Diwas 2023
शहीद की मूर्ति को अनावरण का इंतजार

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Published : Jul 26, 2023, 3:56 PM IST

शहीद की मूर्ति को अनावरण का इंतजार

ग्वालियर। 26 जुलाई कारगिल दिवस के मौके पर हम उन वीर जवानों को याद कर रहे हैं. जिन्होंने कारगिल युद्ध के दौरान देश की सुरक्षा के लिए हंसते-हंसते बलिदान दे दिया. आज हम ऐसे कारगिल शहीद के बारे में बताएंगे, जिसकी मूर्ति पिछले 20 साल से अनावरण के इंतजार में खड़ी हुई है. शहीद के परिवार जन पिछले 20 सालों छोटे से सपने को पूरा करने के लिए दर-दर भटक रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद बड़े-बड़े झूठे दावे करने वाले राजनेता उनकी तरफ से मुंह मोड़ रहे हैं.

शहीद सरमन सिंह की तस्वीर

20 सालों से अनावरण के इंतजार में मूर्ति:हम बात कर रहे हैं राजपूताना राइफल में हवलदार शहीद सरमन सिंह सेंगर के बारे में...जिसकी टुकड़ी को पाकिस्तान द्वारा कारगिल की टाइगर हिल के कब्जे से मुक्त कराने का टारगेट दिया गया था. 28 जून 1999 को इस टुकड़ी ने अपना लक्ष्य हासिल कर लिया, लेकिन पाक सेना की ओर से फेंके गए हैंड ग्रेनेड की चपेट में आने से सरमन सिंह शहीद हो गए. जिन्होंने देश के लिए आपने प्राण न्यौछावर करने के लिए किसी का इंतजार नहीं किया, लेकिन आज उनकी प्रतिमा को महज अनावरण के लिए 20 सालों से इंतजार करना पड़ रहा है.

राजनाथ सिंह ने इंटर कॉलेज खोलने का दिया आश्वासन

यूपी में है शहीद का का पैतृक गांव: गौरतलब है कि बीते 28 जून 1999 में कारगिल के ड्राम सेक्टर में एक विजय ऑपरेशन के दौरान ग्वालियर निवासी सरमन सिंह सेंगर शहीद हो गए थे, लेकिन वे मूल रूप से उत्तरप्रदेश के उरई जिले के बिलौहा गांव के रहने वाले थे. शहीद सरमन सिंह के पार्थिव देह को जब ग्वालियर लाया गया तो सभी ने उनके पैतृक गांव ले जाने कि मंशा जाहिर की, जिसके बाद शहीद के पार्थिव देह को लेकर जब उनके पैतृक गांव पहुंचे, तो तत्कालीन सरकार द्वारा उनके नजदीकी लोगों से इच्छा पूछी, जिस पर सभी गांव वालों ने कहा कि गांव में एक शहीद का स्मारक और राजकीय इंटर कॉलेज शुरू करवाया जाए, ताकि शहीद सरमन सिंह सेंगर का सपना पूरा हो जाए, क्योंकि यहां की बच्चियों को पढ़ने के लिए दूर-दूर तक इंटर कॉलेज नहीं है. वे अपने सपने को पूरा करने के लिए वंचित रह जाती हैं.

नरेंद्र सिंह तोमर किया था वादा

20 सालों से मूर्ति के चेहरे पर बंधा है कपड़ा: इसके अलावा भी सरकार के नुमाइंदे बनकर आए तत्कालीन मंत्री राजेंद्र पटेल विभिन्न योजनाओं के माध्यम से विकास कि बात कहकर सड़क, इंटर कॉलेज, पार्क और ना जाने कितने ही वायदे करके गए थे, जो कि आज तक पूरे नहीं हुए हैं. इसके अलावा शहीद सेंगर के परिवार द्वारा अपने खर्च पर शहीद कि जो प्रतिमा आज से लगभग 20 साल पहले स्थापित की गई थी. आज भी अनावरण का इंतजार कर रही है. शहीद के परिवारजन ने बताया कि अनावरण के इंतजार में आज भी उस मूर्ति के चेहरे पर कपड़ा बंधा हुआ है, जो जब खराब हो जाता है अथवा फट जाता है तो हम लोग ही उसे बदल देते हैं.

शहीद होने से पहले सरमन सिंह की तस्वीर

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भावुक हुआ परिवार, अधूरे रह गए सरकार के दावे: शहीद सरमन सिंह सेंगर के भाई बिहबल सिंह सेंगर ईटीवी से बातचीत करते हुए भावुक हो गए और उन्होंने कहा कि "जिसने अपने देश की सुरक्षा की खातिर न तो अपने बच्चों को देखा और न ही परिवार को देखा. वह हंसते-हंसते देश की खातिर शहीद हो गया. अब उसके सपने को पूरा करने के लिए उत्तर प्रदेश की सरकार और मध्य प्रदेश सरकार में बैठे बड़े मंत्री एक के बाद एक झूठ बोलने पर लगे हैं. शहीद की अंत्येष्टि में आए सरकार के मंत्रियों ने दावा किया था कि शहीद के सपने को पूरा किया जाएगा, लेकिन आज तक न तो इंटरमीडिएट कॉलेज बन पाया है और नहीं स्मारक का अनावरण हो पाया है. उनका कहना है कि राजनेता एक के बाद एक झूठ बोल रहे हैं. उन्होंने इस को लेकर बड़े-बड़े राजनेताओं से गुहार लगाई है, लेकिन अभी तक इसकी कोई सुनवाई नहीं हुई है. शहीद के परिवार ने इसको लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, रक्षा मंत्री राजनाथ से लेकर केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर सहित तमाम बड़े मंत्रियों और नेता और अधिकारियों से गुहार लगा चुके हैं. लेकिन अब सब एक के बाद एक झूठ बोलने पर लगे है."

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