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Kargil Vijay Divas: लद्दाख पहुंचे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शहीद जवानों को दी श्रद्धांजलि - 1999 कारगिल युद्ध समाचार

केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कारगिल विजय दिवस के मौके पर कारगिल युद्ध स्मारक पहुंचे. उन्होंने कारगिल युद्ध में अपनी जान गंवाने वाले जवानों को श्रद्धांजलि दी. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Jul 26, 2023, 10:04 AM IST

Updated : Jul 26, 2023, 2:13 PM IST

लद्दाख पहुंचे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शहीद जवानों को दी श्रद्धांजलि

लद्दाख :रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बुधवार को कारगिल विजय दिवस की 24वीं वर्षगांठ के लिए लद्दाख के कारगिल जिले के द्रास पहुंचे. पाकिस्तान के साथ 1999 के कारगिल संघर्ष में शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए हर साल यह दिन मनाया जाता है. रक्षा मंत्री ने कारगिल की बर्फीली चोटियों पर शहीद हुए बहादुरों की याद में यहां कारगिल युद्ध स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की. वह इस शोकपूर्ण स्मरणोत्सव कार्यक्रम में मुख्य अतिथि थे.

इस मौके पर उन्होंने कहा कि लद्दाख भारत की रक्षा के लिए 1999 में देश के सैनिकों ने जो वीरता और शौर्य का प्रदर्शन किया वह स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा. आज हम खुली हवा में सांस इसलिए ले पा रहे हैं क्योंकि किसी समय में 0 डिग्री से कम तापमान में हमारे सैनिकों ने ऑक्सीजन की कमी के बावजूद अपनी बंदूकें कभी नीचे नहीं की. आज कारगिल में भारत का ध्वज इसलिए लहरा रहा हैं क्योंकि 1999 में भारत के सैनिकों ने अपने शौर्य का परिचय देते हुए दुश्मनों की छाती में तिरंगा लहरा दिया था.

सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने भी कारगिल युद्ध स्मारक पर शहीद जवानों को पुष्पांजलि अर्पित की, जबकि नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने भी बहादुरों की याद में पुष्पांजलि अर्पित की. चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने भी कारगिल युद्ध में शहीद हुए सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए कारगिल युद्ध स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की.

संघर्ष में सर्वोच्च बलिदान देने वाले जवानों का गमगीन स्मरणोत्सव उन पहाड़ों की सुंदर पृष्ठभूमि में आयोजित किया गया, जहां उन्होंने पाकिस्तानी घुसपैठियों के साथ भीषण लड़ाई लड़ी थी. कारगिल विजय दिवस मनाने के लिए एकत्र हुए सैनिकों की उदासी को सैन्य बैंड के गमगीन स्वरों ने और भी बढ़ा दिया. इस कार्यक्रम में युद्ध नायकों और वीर नारियों, वीर माताओं और सैनिकों के रिश्तेदारों की उपस्थिति थी, जिन्होंने संघर्ष के दौरान ड्यूटी पर अपने प्राणों की आहुति दी थी.

कारगिल विजय दिवस का महत्व और इतिहास
कारगिल विजय दिवस पाकिस्तान के साथ 1999 के संघर्ष में भारत की जीत को चिह्नित करने के लिए हर साल 26 जुलाई को मनाया जाता है. यह दिन गहन और लंबे युद्ध के दौरान भारतीय सैनिकों की बहादुरी और बलिदान के सम्मान के रूप में मनाया जाता है.

1998-1999 की सर्दियों के दौरान, पाकिस्तानी सशस्त्र बलों ने नियंत्रण रेखा (एलओसी) को पार करने और कारगिल, लद्दाख क्षेत्र के द्रास और बटालिक सेक्टरों में एनएच 1 ए की गढ़वाले स्थानों पर कब्जा करने के लिए सैनिकों को गुप्त रूप से प्रशिक्षित और तैनात किया. उनका उद्देश्य क्षेत्र में सैन्य और नागरिक दोनों स्तर पर नियंत्रण हासिल करना था. शुरुआत में, भारतीय सैनिकों का मानना था कि घुसपैठिए कट्टरपंथी एजेंडे वाले आतंकवादी या 'जिहादी' थे.

हालांकि, जैसे-जैसे संघर्ष आगे बढ़ा यह स्पष्ट हो गया कि हमला एक बड़ी और अधिक संगठित योजना का हिस्सा था. जवाब में, भारतीय सेना को जवाबी कार्रवाई करने और क्षेत्र में 200,000 से अधिक भारतीय सैनिकों की एक विशाल सेना तैनात करने के लिए मजबूर होना पड़ा.

कारगिल युद्ध में भारतीय सेना के 527 सैनिक शहीद हो गए. यह संघर्ष 26 जुलाई 1999 को समाप्त हुआ. जब पाकिस्तानी सेना को अपने कब्जे वाले स्थान से पीछे हटने के लिए मजबूर होना पड़ा, जो भारत की जीत का प्रतीक था. तब से, युद्ध के दौरान सैनिकों के सर्वोच्च बलिदान को सम्मानित करने और याद करने के लिए इस दिन को कारगिल युद्ध दिवस के रूप में मनाया जाता है.

(एएनआई)

Last Updated : Jul 26, 2023, 2:13 PM IST

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