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कार्बी आंगलोंग समझौते पर हस्ताक्षर, अमित शाह बोले- शांति की शुरुआत

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में नई दिल्ली में असम को लेकर कार्बी शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए गए. इसे ऐतिहासिक बताते हुए शाह ने कहा कि कार्बी-आंगलोंग क्षेत्र में बहुत लंबे समय बाद शांति की शुरुआत हो रही है.

Karbi Peace Accord
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Published : Sep 4, 2021, 4:56 PM IST

Updated : Sep 4, 2021, 8:06 PM IST

नई दिल्ली : कार्बी आंगलोंग क्षेत्र में वर्षों से चल रही हिंसा को समाप्त करने के लिए शनिवार को असम सरकार, केंद्र सरकार और राज्य के पांच उग्रवादी समूहों के बीच एक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए गए. इस अवसर पर मौजूद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि समझौते से कार्बी आंगलोंग में स्थायी शांति और सर्वांगीण विकास होगा.

शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले उग्रवादी समूहों में पीपुल्स डेमोक्रेटिक काउंसिल ऑफ कार्बी लोंगरी (पीडीसीके), कार्बी लोंगरी नॉर्थ कछार हिल्स लिबरेशन फ्रंट (केएलएनएलएफ), कार्बी पीपुल्स लिबरेशन टाइगर्स (केपीएलटी), कूकी लिबरेशन फ्रंट (केएलएफ) और यूनाइटेड पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (यूपीएलए) शामिल हैं.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का बयान

इस समझौते के फलस्‍वरूप, इन समूहों से जुड़े करीब 1000 उग्रवादियों ने अपने हथियारों के साथ आत्मसमर्पण कर दिया है और समाज की मुख्यधारा में शामिल हो गए हैं.

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि कार्बी समझौता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'उग्रवाद मुक्त समृद्ध पूर्वोत्तर' के दृष्टिकोण में एक और मील का पत्थर साबित होगा. शाह ने कहा कि कार्बी क्षेत्र में विशेष विकास परियोजनाओं को शुरू करने के लिए केंद्र सरकार और असम सरकार द्वारा पांच वर्षों में 1,000 करोड़ रुपये का एक विशेष विकास पैकेज दिया जाएगा.

उन्होंने कहा, मैं सभी को आश्वस्त करना चाहता हूं कि हम इस समझौते को समयबद्ध तरीके से लागू करेंगे. गृह मंत्री ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें कार्बी आंगलोंग के सर्वांगीण विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं और क्षेत्र में शांति कायम होगी.

केंद्रीय गृह मंत्री ने पूर्वोत्तर के अन्य उग्रवादी समूहों एनडीएफबी, एनएलएफटी और ब्रू समूहों के साथ पूर्व में हस्ताक्षरित इसी तरह के शांति समझौते का उदाहरण देते हुए कहा, हम समझौतों की सभी शर्तों को अपने ही कार्यकाल में पूरा करते हैं और इन्हें पूरा करने का सरकार का ट्रैक रिकॉर्ड रहा है.

शाह ने कहा कि जब से मोदी प्रधानमंत्री बने हैं तब से पूर्वोत्तर प्रधानमंत्री का न सिर्फ फोकस का क्षेत्र रहा है, बल्कि पूर्वोत्तर का सर्वांगीण विकास और वहां शांति और समृद्धि सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता रही है.

यह समझौता महत्वपूर्ण है क्योंकि कार्बी आंगलोंग में वर्षों से उग्रवादी समूह अलग क्षेत्र की मांग को लेकर हिंसा, हत्याएं और अगवा करने जैसी घटनाओं को अंजाम देते रहे हैं.

इस अवसर पर उपस्थित केंद्रीय मंत्री और असम के पूर्व मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने असम और पूर्वोत्तर में शांति लाने के लिए प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के प्रयासों की सराहना की. असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक दिन है क्योंकि इन पांचों समूहों के उग्रवादी अब मुख्य धारा में शामिल होंगे और कार्बी आंगलोंग के विकास के लिए काम करेंगे.

सरमा ने कहा कि राज्य में दो आदिवासी समूह बोडो और कार्बी असम से अलग होना चाहते थे. 2009 में बोडो समझौता हुआ और इसने असम की क्षेत्रीय अखंडता को बसाते हुए विकास का नया रास्ता खोला. आज कार्बी समझौता हुआ. इससे कार्बी आंगलोंग इलाके में शांति आएगी.

उन्होंने कहा कि हम हथियार डालने वाले उग्रवादियों के पुनर्वास के लिए काम करेंगे. हिल्स ऑटोनोमस काउंसिल में उनको आरक्षण मिलेगा. काउंसिल को 1000 करोड़ रुपये मिलेंगे, जिसमें 500 करोड़ रुपये केंद्र और 500 करोड़ रुपये राज्य सरकार देगी.

बता दें कि 2011 में केंद्र, असम सरकार और यूनाइटेड पीपुल्स डेमोक्रेटिक सॉलिडेरिटी (United People's Democratic Solidarity) के बीच एक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे. यूनाइटेड पीपुल्स डेमोक्रेटिक सॉलिडेरिटी 1999 में दो विद्रोही समूहों कार्बी नेशनल वालंटियर्स (Karbi National Volunteers) और कार्बी पीपुल्स फ्रंट (Karbi Peoples Front ) के विलय के साथ बनाया गया था.

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समझौते को कार्बी आंगलोंग के विकास के लिए एक विशाल वित्तीय पैकेज (financial package ) जारी करने के साथ चिह्नित किया गया था. यूपीडीएस ने 2002 में भारत सरकार के साथ युद्धविराम समझौते (ceasefire agreement) पर हस्ताक्षर किए. समझौते ने गुट को दो समूहों, यूपीडीएस (प्रो-टॉक) और यूपीडीएस (एंटी टॉक) में बांट दिया.

Last Updated : Sep 4, 2021, 8:06 PM IST

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