कानपुर :कानपुर जू में सन 1986 में जन्मी मादा हिप्पो 'डॉली' अब कानपुर जू से लखनऊ चिड़ियाघर जाएगी. 'डॉली' ने चिड़ियाघर में ही अपने बच्चों 'इंद्रा' व 'ब्रह्मा' को जन्म दिया था. वह कई सालों से बच्चों के साथ ही रह रही थी. अब 37 साल बाद वह अपने बच्चों से जुदा हो जाएगी. 'डॉली' के जाने के बाद कई नए मेहमान कानपूर जू में आएंगे. इंसानों के लिए अपने बच्चों से बिछड़ना बेहद मुश्किल होता है, जानवरों की भी मनोदशा ऐसी ही होती है. ऐसे में 'डॉली' के लिए अपनों से दूर जाना उसे काफी परेशान कर सकता है. वन्य जीवों की अदला-बदली नियम के चलते जू के प्रशासनिक अफसरों को ये फैसला लेना पड़ा है. वे भारी मन से जल्द ही 'डॉली' को विदा करेंगे.
कानपुर जू में ही हुआ 'डॉली' का जन्म :सन 1986 में कानपुर जू में ही मादा हिप्पो 'डॉली' का जन्म हुआ. वह चिड़ियाघर के वातावरण से काफी घुली-मिली थी. यहां का वातावरण उसे काफी रास भी आ रहा था. उसने कानपूर जू में ही अपने दो बच्चों इंद्रा' व 'ब्रह्मा' को जन्म दिया. वह अपने परिवार के साथ रहती आई है. उसका परिवार चिड़ियाघर में आने वालों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है. अभी तक एक ही परिवार के ये तीनो हिप्पो कानपुर जू का हिस्सा थे, लेकिन वन्य जीवों की अदला-बदली नियमों के चलते अबउन्हें बिछड़ना पड़ेगा.
'डॉली' को भेजने की तैयारियां पूरी :अब डॉली (मादा हिप्पो) लखनऊ जू में दर्शकों के आकर्षण का केंद्र बनेगी. वहीं, लखनऊ जू से पांच पैलीकन, तीन रेड जंगल फाऊल व दो मकाऊ पक्षी कानपुर जू की शोभा बढ़ाएंगे. इस पूरे मामले पर जू के प्रशासनिक अफसर नावेद इकराम ने बताया, कि 'डॉली' को भेजने की तैयारियां पूरी कर ली गईं हैं. बाड़े में पिंजरा भी लगा दिया गया है. एक माह के अंदर इसे लखनऊ जू में भिजवा दिया जाएगा. लखनऊ जू से नए पक्षियों को कानपुर लाया जाएगा. जू के अफसर व चिकित्सकों को किसी भी वन्यजीव के जाने से दुख होता है, लेकिन नियमों के चलते ऐसे सख्त फैसले लेने ही पड़ते हैं.