कानपुर देहात : उत्तर प्रदेश पुलिस (Uttar Pradesh Police) भले ही अपनी कार्यशैली के लिए खुद की पीठ थपथपाते नजर आती हो, लेकिन कानपुर देहात से एक ऐसी तस्वीर (Picture of Kanpur Rural) निकल कर सामने आई है, जिसने पुलिस की कार्यशैली पर तमाम सवाल खड़े कर दिए हैं. ताजा मामला जनपद के जिला अस्पताल का है, जहां पर धरने पर बैठे एक स्वास्थ्यकर्मी की पुलिस ने सरेआम बेरहमी से पिटाई (Police beat up health worker) की.
साथ ही पुलिस को बच्चे को लिये वहां मौजूद अन्य एक शख्स को भी लाठियों से पीटते देखा गया. वह शख्स अपने बच्चे के साथ पुलिस से भागा लेकिन फिर सामने से पुलिस ने पकड़ लिया और बच्चे को उससे अलग करने की कोशिश भी की.
अब इस मामले में पुलिस अधीक्षक केशव कुमार चौधरी ने सफाई दी है.
पुलिस अधीक्षक केशव कुमार चौधरी एसपी ने बताया कि जिला अस्पताल में चतुर्थ कर्मचारी रजनीश शुक्ला और उसके समर्थकों द्वारा ओपीडी को बंद करा दिया गया था. साथ ही यह लोग मरीजों को अस्पताल से बाहर कर रहे थे. एसपी ने बताया कि रजनीश शुक्ला और उसके समर्थक डॉक्टरों और मरीजों के साथ अभद्रता की जा रही थी. उन्होंने बताया कि सीएमओ ने पुलिस को सूचना दी. सूचना पर पहुंची पुलिस रजनीश शुक्ला को समझाने का प्रयास किया तो उसने अभद्रता शुरू कर दी.
स्वास्थ्यकर्मी को पुलिस ने बेरहमी से पीटा एसपी ने बताया कि इस दौरान रजनीश शुक्ला और उसके साथियों ने चौकी इंचार्ज और पुलिसकर्मियों को एक कमरे में बंद कर दिया था. इसके बाद थानाध्यक्ष भी मौके पर पहुंचे और समझाने की कोशिश की तो रजनीश शुक्ला ने दांतों से काट लिया था. एसपी ने बताया कि अस्पताल की व्यवस्था सुचारू करने के लिए स्वास्थ्यकर्मियों पर हलका बल प्रयोग करना पड़ा. उन्होंने कहा कि आरोपी रजनीश शुक्ला इसके पहले भी ऐसी घटनाओं में शामिल रह चुका है.
वरुण गांधी ने साधा निशाना
बीजेपी नेता और पीलीभीत से सांसद वरुण गांधी ने एक बार फिर अपने ही सरकार पर निशाना साधा है. पिछले काफी दिनों से वरुण गांधी लगातार ट्वीट के जरिए बीजेपी सरकार को सवालों के घेरे में लेते नजर आ रहे हैं. एक बार फिर वरुण गांधी ने ट्वीट के जरिए राज्य की योगी सरकार और पुलिस की कथित निरंकुशता पर हमला किया है.
इस बार अपने ट्वीट में वरुण गांधी ने कानपुर देहात की उस घटना का जिक्र करते हुए वीडियो शेयर किया है. जिसमें गोद में बच्चे को लिए शख्स पर कानपुर देहात पुलिस बर्बरता से लाठी बरसा रही है. वरुण गांधी ने अपने ट्वीट में लिखा कि, 'सशक्त कानून व्यवस्था वह है जहां कमजोर से कमजोर व्यक्ति को न्याय मिल सके. यह नहीं कि न्याय मांगने वालों को न्याय के स्थान पर इस बर्बरता का सामना करना पड़े, यह बहुत कष्टदायक है. भयभीत समाज कानून के राज का उदाहरण नहीं है. सशक्त कानून व्यवस्था वो है जहां कानून का भय हो, पुलिस का नहीं.'
दरअसल, वरुण गांधी ने जो वीडियो पोस्ट किया है. वह कानपुर के देहात इलाके का है. जिसमें पुलिस एक शख्स पर लाठियां बरसा रही है. जबकि उसकी गोद में एक मासूम बच्चा रो रहा है. जिस शख्स को मारा जा रहा था वो बार-बार पुलिस से अपील कर रहा था कि बच्चे को लग जाएगी. उन्हें न मारे, लेकिन पुलिस मानने को तैयार नहीं थी. इस दौरान पुलिस ने पीड़ित शख्स से उसके बच्चे को भी छीनने की कोशिश की.
दरअसल, कानपुर देहात के जिला अस्पताल (District Hospital of Kanpur Rural) में अपनी कुछ मांगों को लेकर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी यूनियन के लोग धरने पर बैठे हुए थे और इस संबंध में लगातार स्वास्थ्य अधिकारियों से चर्चा कर रहे थे. स्वास्थ्य कर्मियों की बात मानें तो आला अधिकारियों के द्वारा उनकी किसी भी मांग को माना नहीं जा रहा था. जिसको लेकर आज जिला अस्पताल परिसर के बाहर यह लोग अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे थे और अपने कार्य को पूर्ण रूप से बंद कर दिया था. इससे करीब एक घंटे तक ओपीडी कार्य बाधित रहा और मरीजों को भी खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा.
जिला अस्पताल में धरना दे रहे 12 लोगों के खिलाफ स्वास्थ्य विभाग की सीएमएस वंदना सिंह, जिले के जिलाधिकारी और पुलिस अधिकारी को सूचित कर इस पूरे मामले में सहायता मांगी थी. अकबरपुर कोतवाली में तहरीर भी दी थी और धरने को खत्म कराने के लिए पुलिस की सहायता भी मांगी थी. जब अकबरपुर कोतवाल की गाड़ी जिला अस्पताल परिसर पहुंची तो वहां पर पुलिस का तांडव शुरू हो गया, जिसे देखकर समझ गया और मारपीट में राह चलते राहगीर भी नहीं बचे.
पुलिस की कार्यशैली पर उठे सवाल
पुलिस की बर्बरता, पुलिस की कार्यशैली और सूझबूझ पर तमाम सवाल खड़े कर रही हैं. इस मामले में जब विभाग की सीएमएस से बात की तो उन्होंने साफ तौर से कह दिया कि उन्हें इस मारपीट की कोई भी जानकारी नहीं है और वह मौके पर मौजूद नहीं थीं. इस पूरे घटनाक्रम में अकबरपुर तहसील के एसडीएम भी मौजूद रहे लेकिन पुलिस की बर्बरता के आगे वह भी कुछ नहीं कर सके. पुलिस लगातार लाठियों पर लाठियां बरसा रही थी और लोग मूकदर्शक बने तमाशा देख रहे थे. प्रशासनिक अधिकारियों की बात की जाए तो अधिकारी धरने पर बैठे चतुर श्रेणी कर्मचारी रजनी शुक्ला को कई तरह से दोषी भी मान रहे हैं, जिसको लेकर उन्होंने कार्रवाई करने की बात भी स्वीकार की है.