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DMK सांसद कनिमोझी की नसीहत, हिंदी विरोधी आंदोलन को नहीं भूलें अमित शाह - controversy on hindi

डीएमके के नेताओं ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की ओर से हिंदी को अंग्रेजी का विकल्प बनाने की सलाह को खारिज कर दिया है. डीएमके सांसद कनिमोझी ने केंद्र सरकार को हिंदी विरोधी आंदोलन के इतिहास याद रखने की नसीहत भी दी है.

Kanimozhi condemns Amit Shah
Kanimozhi condemns Amit Shah

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Published : Apr 8, 2022, 8:23 PM IST

चेन्नै:केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के हिंदी को लेकर दिए गए बयान पर तमिलनाडु के राजनीतिक दलों के नेताओं ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. डीएमके की सांसद कनिमोझी ने अमित शाह के सुझाव की निंदा की है. कनिमोझी ने ट्वीट किया कि भाषा थोपने का इस्तेमाल देश को जोड़ने के लिए नहीं, बांटने के लिए किया जाता है. केंद्र सरकार और उसके मंत्रियों को हिंदी विरोधी आंदोलन के इतिहास और बलिदानों को जानना चाहिए.

तमिलनाडु के वित्त मंत्री पी त्यागराजन भी अमित शाह की सलाह को खारिज कर दिया है. उन्होंने कहा कि हमारेपास तीन भाषा का फॉर्मूला क्यों होना चाहिए? इसका कोई मतलब नहीं है. अमित शाह की टिप्पणी पूरी तरह से तर्कहीन है. उन्होंने कहा कि देश 60 से 70 फीसदी क्षेत्र में हिंदी नहीं बोली जाती है. भाषा को थोपना न सिर्फ अराजकतावाद है बल्कि यह आर्थिक रूप से उलटा तर्क है.

बता दें संसदीय राजभाषा समिति की 37वीं बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा था कि हिंदी की स्वीकार्यता स्थानीय भाषाओं की नहीं, बल्कि अंग्रेजी के विकल्प के रूप में होनी चाहिए. सरकार चलाने का माध्यम राजभाषा है और मंत्रिमंडल का 70 फीसदी एजेंडा अब हिंदी में तैयार किया जाता है. उन्होंने सलाह दी थी कि अलग अलग राज्यों के लोगों को आपस में अंग्रेजी की जगह हिंदी में बात करनी चाहिए. यह निश्चित तौर पर हिंदी के महत्व को बढ़ाएगा. हिंदी को देश की राष्ट्रीय भाषा बनाने का समय आ गया है.

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