पटना : बिहार की राजनीति में तीन युवा चेहरे अपना राजनीतिक भविष्य तलाश रहे हैं. तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav), चिराग पासवान (Chirag Paswan) और कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar) सूबे की सियासत के चमकते सितारे हैं. प्रदेश के युवा भी इन नेताओं के साथ नजर आ रहे हैं. विधानसभा चुनाव के दौरान जहां रोजगार को लेकर तेजस्वी को युवाओं का साथ मिला तो वहीं, कन्हैया ने भी लोकसभा चुनाव के वक्त खूब सुर्खियां बटोरी थी.
सीपीआई (CPI) ने अपने युवा नेता कन्हैया कुमार को बिहार में चेहरा बनाया और 2019 के लोकसभा चुनाव में बेगूसराय से गिरिराज सिंह के खिलाफ टिकट भी दिया. हालांकि कन्हैया को चुनाव में शिकस्त मिली थी. उसके बाद वे तब विवादों में आए गए, जब पटना के प्रदेश कार्यालय में राज्य सचिव के बीच उलझ गए.
कन्हैया समर्थकों ने उस दौरान खूब बवाल काटा था. बाद में अनुशासनहीनता को लेकर सीपीआई की हैदराबाद में हुई बैठक में कन्हैया के खिलाफ निंदा प्रस्ताव भी पारित किया गया था. उपेक्षा पूर्ण रवैये के बाद से कन्हैया पार्टी नेतृत्व से खफा चल रहे थे. इसी बीच उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी मुलाकात की थी. बाद में उन्होंने सीपीआई मुख्यालय में अपना दफ्तर भी खाली कर दिया है.
अब चर्चा है कि कन्हैया पाला बदलने की तैयारी में हैं. प्रशांत किशोर की मौजूदगी में उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी से दो बार मुलाकात की है. कन्हैया को कांग्रेस खेमे में लाने की जिम्मेदारी कई नेताओं को सौंपी गई है. बिहार से कांग्रेस पार्टी के विधायक शकील अहमद के अलावा जौनपुर सदर के पूर्व विधायक मोहम्मद नदीम जावेद भी कन्हैया के संपर्क में हैं.
दरअसल बिहार में कांग्रेस पार्टी को भी युवा चेहरे की तलाश है. पार्टी को पिछले 5 विधानसभा चुनाव में उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं मिली है. कांग्रेस को 2005 के फरवरी वाले चुनाव में 10 सीटें मिली थी, जबकि अक्टूबर 2005 चुनाव में घटकर संख्या 9 रह गई. 2010 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस महज 4 सीटों पर सिमट कर रह गई. हालांकि 2015 में आंकड़ा बढ़ा और 27 सीटें मिली. वहीं, 2020 में आंकड़ा घटकर 19 रह गया है. 2019 के लोकसभा चुनाव में मात्र एक सीट (किशनगंज) पर जीत मिली थी.