रामनगर (कर्नाटक) :कनकपुरा विधानसभा क्षेत्र केपीसीसी अध्यक्ष डीके शिवकुमार का गढ़ है. भाजपा से मंत्री आर अशोक और जेडीएस से स्थानीय नेता नागराज डीके शिवकुमार से मुकाबला करने के लिए चुनाव मैदान में डटे हुए हैं. इससे यहां मुकाबला रोचक होने की उम्मीद है.
डीके शिवकुमार को हराने के लिए बीजेपी की रणनीति : इस बार कहा जा रहा है कि कनकपुरा सीट पर जीत उतनी आसान नहीं है, जितना डीके शिवकुमार सोच रहे थे. कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार इतने वर्षों तक निर्वाचन क्षेत्र में मजबूत नेता रहे हैं इसलिए वे मजबूत उम्मीदवार थे, लेकिन अब जेडीएस और बीजेपी ने उन्हें कड़ी टक्कर देने के लिए मजबूत उम्मीदवार उतारे हैं.
बीजेपी ने डीके शिवकुमार को हराने के लिए रणनीति तैयार की है. यही वजह है कि उसने इस निर्वाचन क्षेत्र में वोक्कालिगा के मजबूत नेता आर अशोक को मैदान में उतारा है, क्योंकि यहां वोक्कालिगा के वोट निर्णायक हैं. वहीं, आर अशोक और प्रदेश भाजपा प्रभारी अरुण सिंह, सीटी रवि, डॉ. अश्वथ नारायण समेत कई नेता इस क्षेत्र में जमकर प्रचार कर रहे हैं. विधानसभा क्षेत्र में परिवर्तन की हवा चल रही है और इस बार कनकपुरा दुर्ग में कमल खिलेगा, ऐसा भाजपा नेताओं का मानना है.
भाजपा को जीत का भरोसा : भाजपा उम्मीदवार आर अशोक का कहना है कि 'मैं मतदाताओं से बिना किसी डर या चिंता के वोट डालने की अपील करता हूं. केंद्र और राज्य दोनों सरकारों ने कनकपुरा को बहुत अधिक अनुदान दिया है. यह कनकपुरा के विकास में भाजपा सरकारों का योगदान है. डीके शिवकुमार कनकपुरा में एक मेडिकल कॉलेज लाने में भी विफल रहे हैं. इस बार मतदाता मेरा समर्थन करेंगे.'
शिवकुमार मजबूत दावेदार :वहीं, KPCC अध्यक्ष डीके शिवकुमार कनकपुरा निर्वाचन क्षेत्र से मजबूत नेता के रूप में उभरे हैं. डीके शिवकुमार लगातार 7 बार विधायक चुने गए हैं, कनकपुरा विधानसभा क्षेत्र के अस्तित्व में आने से पहले वह सतनूर निर्वाचन क्षेत्र से 4 बार विधायक चुने गए. 2008 से वे लगातार कनकपुरा विधानसभा क्षेत्र से जीतते आ रहे हैं. हर चुनाव में उनकी जीत का अंतर बढ़ता जा रहा है जो उनके लोगों के समर्थन का सबूत है.
डीके शिवकुमार, जिन्हें इस बार कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर पेश किया गया है, उनका इस निर्वाचन क्षेत्र में कोई विरोधी नहीं है. कांग्रेस नेताओं का कहना है कि 'बीजेपी से आर अशोक भले ही मैदान में हों लेकिन चुनावी खेल में उनकी कोई हिस्सेदारी नहीं है. भले ही अशोक भाजपा में एक शक्तिशाली वोक्कालिगा नेता हैं, लेकिन उनके पास इस निर्वाचन क्षेत्र में योगदान देने के लिए कुछ भी नहीं है. वह इस निर्वाचन क्षेत्र में सिर्फ एक अतिथि हैं. हमारा आतिथ्य स्वीकार करने के लिए मैदान में आए हैं.'