सागर।एक तरफ जहां विपक्षी दल आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर INDIA गठबंधन की एकजुटता के संदेश के साथ कड़ी चुनौती के रूप में नजर आ रहे थे, तो दूसरी तरफ पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के दौरान INDIA गठबंधन के बिखराव ने कांग्रेस की करारी हार की जमीन तैयार कर दी. दरअसल एमपी में कमलनाथ ने अखिलेश यादव के साथ गठबंधन को लेकर जो रूख अपनाया. उससे अखिलेश यादव ना सिर्फ नाराज हुए, बल्कि उन्होंने कांग्रेस की हार की जमीन तैयार कर दी और इसके लिए उन्होंने यूपी के सीमावर्ती इलाके खासकर बुंदेलखंड को चुना.
एक तरफ जहां अखिलेश यादव कमलनाथ से सिर्फ 5 सीटें मांग रहे थे, वहीं नाराजगी के बाद उन्होंने एमपी में 74 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़ा करके कांग्रेस की हार की जमीन तैयार कर दी. कई अहम सीटों पर कांग्रेस का खेल बिगाड़ दिया. अब कांग्रेस का वजूद INDIA गठबंधन में तो कमजोर हो ही गया है. वहीं लोकसभा को लेकर INDIA गठबंधन की तैयारी पर असर पडे़गा. बुंदेलखंड में कांग्रेस ने चुनाव पूर्व अरुण यादव को प्रभारी बनाया था, लेकिन अरुण यादव की मेहनत पर अखिलेश यादव ने पानी फेर दिया. चुनाव को लेकर अखिलेश यादव इतने गंभीर नजर आए कि निवाड़ी जिले में तो उन्होंने अपनी पत्नी डिंपल को भी प्रचार के लिए उतार दिया.
INDIA गठबंधन को खारिज करना पड़ा कमलनाथ को महंगा:मध्यप्रदेश की चुनावी दंगल को देखा जाए तो कांग्रेस के INDIA गठबंधन के घटक दलों को साथ ना लेकर चुनाव लड़ने से काफी नुकसान हुआ और कांग्रेस-भाजपा की रणनीति और सियासी खेल के सामने अकेली कमजोर पड़ती गयी. INDIA गठबंधन के ही सदस्य भाजपा के लिए मददगार साबित होते गए. सबसे पहले चर्चा थी कि चुनाव के मद्देनजर INDIA गठबंधन की एकजुटता दिखाने के लिए भोपाल में कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा. जिससे कांग्रेस को फायदा मिलेगा, लेकिन कार्यक्रम तय हो जाने के बाद कमलनाथ ने उसे रद्द करवा दिया.
वहीं INDIA गठबंधन के कारण ही अखिलेश यादव और कांग्रेस में गठबंधन की बात चल रही थी और चर्चा थी कि अखिलेश यादव पांच सीटों की मांग कांग्रेस से कर रहे हैं, लेकिन कमलनाथ और अखिलेश यादव के बीच बातचीत का सिलसिला ऐसा बिगड़ा कि मीडिया की सुर्खियां बन गया और कमलनाथ के "कौन अखिलेश विखलेश " के बयान ने अखिलेश यादव को इस तरह नाराज कर दिया कि राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे से बातचीत की बात भी बात नहीं बनी. एक-एक करके अखिलेश यादव ने मध्य प्रदेश की 74 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े कर दिए और यह उम्मीदवार कांग्रेस का नुकसान करने में कामयाब रहे.
बुंदेलखंड मे दिखाई अखिलेश यादव ने ताकत:बुंदेलखंड की ओबीसी वोट में यादव मतदाताओं की संख्या काफी ज्यादा है. अगर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का गठबंधन हो गया होता, तो बुंदेलखंड में कांग्रेस का प्रदर्शन काफी अच्छा रहता, लेकिन कमलनाथ से नाराजगी के बाद अखिलेश यादव ने यूपी के बुंदेलखंड से लगे मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड के जरिए कमलनाथ को सबक सिखाने की रणनीति बनाई और एक-एक करके उन्होंने बुंदेलखंड की ज्यादातर सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए. मध्यप्रदेश के दूसरे इलाकों को मिलाकर सपा के प्रत्याशियों की संख्या 74 पहुंच गयी.