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अखिलेश की नाराजगी कमलनाथ को पड़ी भारी! बुंदेलखंड के सहारे सपा अध्यक्ष ने बिगाड़ दिया खेल

Kamal Nath And Akhilesh Yadav Clash: एमपी के विधानसभा चुनाव परिणाम में कांग्रेस को करारी हार मिली है. अब इस हार के कई मायने निकाले जा रहे हैं. एक वजह यह भी सामने आ रही है कि कमलनाथ को अखिलेश यादव से बैर करना महंगा पड़ गया और अखिलेश यादव में एमपी में कांग्रेस की हार से अपना बदला ले लिया. वहीं इस सब से इंडिया गठबंधन पर भी सवाल उठने लगे हैं.

Kamal Nath and Akhilesh Yadav clash
अखिलेश यादव और कमलनाथ

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 4, 2023, 4:33 PM IST

Updated : Dec 4, 2023, 4:50 PM IST

सागर।एक तरफ जहां विपक्षी दल आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर INDIA गठबंधन की एकजुटता के संदेश के साथ कड़ी चुनौती के रूप में नजर आ रहे थे, तो दूसरी तरफ पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के दौरान INDIA गठबंधन के बिखराव ने कांग्रेस की करारी हार की जमीन तैयार कर दी. दरअसल एमपी में कमलनाथ ने अखिलेश यादव के साथ गठबंधन को लेकर जो रूख अपनाया. उससे अखिलेश यादव ना सिर्फ नाराज हुए, बल्कि उन्होंने कांग्रेस की हार की जमीन तैयार कर दी और इसके लिए उन्होंने यूपी के सीमावर्ती इलाके खासकर बुंदेलखंड को चुना.

एक तरफ जहां अखिलेश यादव कमलनाथ से सिर्फ 5 सीटें मांग रहे थे, वहीं नाराजगी के बाद उन्होंने एमपी में 74 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़ा करके कांग्रेस की हार की जमीन तैयार कर दी. कई अहम सीटों पर कांग्रेस का खेल बिगाड़ दिया. अब कांग्रेस का वजूद INDIA गठबंधन में तो कमजोर हो ही गया है. वहीं लोकसभा को लेकर INDIA गठबंधन की तैयारी पर असर पडे़गा. बुंदेलखंड में कांग्रेस ने चुनाव पूर्व अरुण यादव को प्रभारी बनाया था, लेकिन अरुण यादव की मेहनत पर अखिलेश यादव ने पानी फेर दिया. चुनाव को लेकर अखिलेश यादव इतने गंभीर नजर आए कि निवाड़ी जिले में तो उन्होंने अपनी पत्नी डिंपल को भी प्रचार के लिए उतार दिया.

INDIA गठबंधन को खारिज करना पड़ा कमलनाथ को महंगा:मध्यप्रदेश की चुनावी दंगल को देखा जाए तो कांग्रेस के INDIA गठबंधन के घटक दलों को साथ ना लेकर चुनाव लड़ने से काफी नुकसान हुआ और कांग्रेस-भाजपा की रणनीति और सियासी खेल के सामने अकेली कमजोर पड़ती गयी. INDIA गठबंधन के ही सदस्य भाजपा के लिए मददगार साबित होते गए. सबसे पहले चर्चा थी कि चुनाव के मद्देनजर INDIA गठबंधन की एकजुटता दिखाने के लिए भोपाल में कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा. जिससे कांग्रेस को फायदा मिलेगा, लेकिन कार्यक्रम तय हो जाने के बाद कमलनाथ ने उसे रद्द करवा दिया.

वहीं INDIA गठबंधन के कारण ही अखिलेश यादव और कांग्रेस में गठबंधन की बात चल रही थी और चर्चा थी कि अखिलेश यादव पांच सीटों की मांग कांग्रेस से कर रहे हैं, लेकिन कमलनाथ और अखिलेश यादव के बीच बातचीत का सिलसिला ऐसा बिगड़ा कि मीडिया की सुर्खियां बन गया और कमलनाथ के "कौन अखिलेश विखलेश " के बयान ने अखिलेश यादव को इस तरह नाराज कर दिया कि राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे से बातचीत की बात भी बात नहीं बनी. एक-एक करके अखिलेश यादव ने मध्य प्रदेश की 74 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े कर दिए और यह उम्मीदवार कांग्रेस का नुकसान करने में कामयाब रहे.

बुंदेलखंड मे दिखाई अखिलेश यादव ने ताकत:बुंदेलखंड की ओबीसी वोट में यादव मतदाताओं की संख्या काफी ज्यादा है. अगर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का गठबंधन हो गया होता, तो बुंदेलखंड में कांग्रेस का प्रदर्शन काफी अच्छा रहता, लेकिन कमलनाथ से नाराजगी के बाद अखिलेश यादव ने यूपी के बुंदेलखंड से लगे मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड के जरिए कमलनाथ को सबक सिखाने की रणनीति बनाई और एक-एक करके उन्होंने बुंदेलखंड की ज्यादातर सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए. मध्यप्रदेश के दूसरे इलाकों को मिलाकर सपा के प्रत्याशियों की संख्या 74 पहुंच गयी.

बुंदेलखंड में देखा जाए तो कई सीटों पर अखिलेश यादव ने कांग्रेस की निश्चित जीत को हार में तब्दील करने का काम किया. जिनमें छतरपुर जिले की चंदला और राजनगर तो निवाड़ी जिले की निवाड़ी सीट है. अगर सपा और कांग्रेस में गठबंधन होता तो ये सीट बीजेपी के खाते में नहीं जाती. छतरपुर जिले की चंदला विधानसभा की बात करें तो यहां भाजपा ने कांग्रेस को 15 हजार 491 वोटों से हरा दिया. यहां सपा प्रत्याशी 24 हजार 977 वोट हासिल करने में कामयाब रहे. राजनगर में तो कांग्रेस की हार का आंकड़ा और सपा को मिली वोट का आंकड़ा लगभग एक जैसा है.

यहां भाजपा ने कांग्रेस को 5 हजार 867 वोटों से हराया है और समाजवादी पार्टी को 6 हजार 353 वोट मिले. वहीं निवाड़ी विधानसभा में यूपी के बुंदेलखंड के सपा के दिग्गज नेता दीप नारायण सिंह यादव की पत्नी मीरा यादव चुनाव लड़ी और 32 हजार 670 वोट हासिल करने में कामयाब रही. यहां भाजपा ने कांग्रेस को 17 हजार 157 मतों से हरा दिया.

अरुण यादव की मेहनत पर फिरा पानी:मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड की बात करें तो यहां पर ओबीसी मतदाताओं में लोधी, कुर्मी और यादव मतदाता की संख्या काफी ज्यादा है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस ने अपने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव को प्रभारी बनाया था. बुंदेलखंड के प्रभारी बनने के बाद अरुण यादव ने लगातार पूरे बुंदेलखंडी इलाके की दौरे किए और यादव समाज के नेताओं कार्यकर्ताओं को जोड़ने का काम किया. अरुण यादव की मेहनत के चलते काफी संख्या में यादव मतदाता कांग्रेस से जुड़े और ऐसा नजर आ रहा था कि इस बार यादव वोट कांग्रेस की तरफ ज्यादा जाएगी, लेकिन कमलनाथ और अखिलेश यादव के विवाद ने अरुण यादव की पूरी मेहनत पर पानी फेर दिया और ज्यादातर यादव मतदाता सपा की तरफ चले गए. जिसका फायदा भले अखिलेश यादव को नहीं मिला, लेकिन भाजपा को मिल गया.

लोकसभा के पहले नए सिरे से मजबूत करना होगा INDIA गठबंधन:लोकसभा चुनाव के पहले सत्ता का सेमीफाइनल कहे जाने वाले पांच राज्यों के चुनाव में कांग्रेस को मिली करारी हार के बाद आगामी लोकसभा चुनाव में INDIA गठबंधन कितना मजबूत होगा और कितना कारगर होगा. इस बात पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं. कांग्रेस अगर संभावित प्रदर्शन इन राज्यों में कर पाती तो INDIA गठबंधन में लोकसभा चुनाव को लेकर मजबूत स्थिति में होती, लेकिन अब कांग्रेस को बैकफुट पर जाना होगा. वहीं जिस उद्देश्य से INDIA गठबंधन तैयार करने की कवायद की जा रही है, उसे हासिल करने के लिए सभी दलों को अपने मनमुटाव भूलकर एकजुट होना पड़ेगा.

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इन हालातों में सबसे ज्यादा कांग्रेस को झुकना पड़ेगा, क्योंकि जिस तरह अकेले दम पर चुनाव लड़कर कांग्रेस को तीन राज्यों में करारी हार मिली है. उससे साफ हो गया है कि INDIA गठबंधन में कांग्रेस की मजबूत स्थिति अब कमजोर हो गयी है और कांग्रेस को कई मायने में समझौता करना होगा. फिलहाल अखिलेश यादव का रुख क्या होगा, ये आने वाला वक्त बताएगा, लेकिन अखिलेश ने भले ही मध्य प्रदेश में एक भी सीट हासिल ना की हो, लेकिन कांग्रेस का खेल बिगड़ने में कामयाब रहे हैं.

Last Updated : Dec 4, 2023, 4:50 PM IST

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