रायपुर: धर्म संसद में महात्मा गांधी पर आपत्तिजनक टिप्पणी मामले में कालीचरण की मुश्किलें कम नहीं हो रही है. अतिरिक्त जिला जज विक्रम प्रताप चंद्रा की कोर्ट में दायर जमानत याचिका खारिज कर दी गई है. दोनों पक्षों की बहस पूरी होने के बाद अतिरिक्त न्यायधीश विक्रम प्रताप चंद्रा ने फैसला सुनाया. उन्होंने इस मामले को गंभीर प्रवृत्ति का मानते हुए जमानत याचिका को खारिज कर दिया है. कालीचरण की जमानत को लेकर उनके वकील हाइकोर्ट में याचिका दायर करेंगे.
सरकारी वकील और बचाव पक्ष के वकीलों के बीच जमानय़त को लेकर बहस हुई. सरकारी वकील जीपी शुक्ला और केके शुक्ला ने धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने और राष्ट्रपिता को अपशब्द कहे जाने की दलील दी. बचाव पक्ष के वकील लोकेश मिश्रा ने भी दलील दी कि किसी भी विवादित बयान के आधार पर भविष्य का आकलन कर वर्तमान में किसी व्यक्ति को आरोपी नहीं बना सकते. इंटरस्टेट प्रोटोकॉल के उल्लंघन की भी दलील दी दई. बचाव पक्ष ने यह भी कहा कि महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता का दर्जा प्राप्त है ये बात संविधान में कहीं नहीं लिखी गई है. ऐसे में राजद्रोह का मामला नहीं बनता.
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