कानपुर:अदालतों में अपराधियों को अजीवन कारावास की सजा मिलते तो आपने सुना होगा, लेकिन क्या कभी किसी बंदर को आजीवन कारावास की सजा मिलते सुना है. आपने, जी हां कानपुर के चिड़ियाघर में एक ऐसा कालिया बंदर है. जोकि आजीवन कारावास की सजा काट रहा है. बीते वर्ष 2017 में जौनपुर से पकड़े गए इस बंदर का गुनाह महिलाओं और बच्चों को घायल करना है. मिर्जापुर में इसने लगभग 200 लोगों पर हमला कर गंभीर रूप से घायल कर दिया था, जिसके बाद इसे पकड़ कर कानपुर चिड़ियाघर लाया गया था. कानपुर चिड़िया घर में तैनात डॉ. नासिर का कहना है जब से इस बंदर को यहां लाया गया. तब से अभी तक इसकी हरकतों में कोई सुधार नहीं है. ये अभी भी हमलावर हो जाता है जोकि लोगों के लिए खतरनाक है. इस वजह से इसे अब ताउम्र पिंजड़े में बंद रहना होगा.
फिल्मी कहानी से कम नहीं है इस बंदर की कहानी
गौरतलब है कि कालिया बंदर आम बंदरों की तरह ही दिखने में लगता है, लेकिन इसका नाम कालिया इसलिए पड़ा की ये एक तांत्रिक के साथ रहता था और तांत्रिक के काली विद्याओं को देखता रहता था. तांत्रिक ने ही इसे कालिया नाम दिया था. तांत्रिक का असर इस पर इतना था कि आज भी इसके पास कोई जाता है तो उसे देख कर ये कुछ बड़बड़ाने सा लगता है मानो ऐसा प्रतीत होता है जैसे वह कोई मंत्र पढ़ रहा है. तांत्रिक के मरने के बाद ये अनाथ हो गया था. इसके बाद कालिया कई बंदरों के झुंडों में शामिल होने के लिए कई बार कोशिश की, लेकिन बंदरों में और गुटबाजी और वर्चस्व के चलते वह शामिल नहीं हो सका, जिसके बाद वह बंदरों का खलनायक बन गया और बंदरों के अलावा मिर्जापुर में कई लोंगो पर हमला किया, जिनमें ज्यादतर महिलाएं और बच्चे शामिल थे. मिर्जापुर के लोगों की शिकायत पर उसे वन विभाग की टीम ने पकड़ा और कई दिनों तक उसे कैद में रखने के बाद भी वह नहीं सुधरा तो उसे कानपुर लाकर उम्र कैद की सजा दे दी गई और उसे एक पिंजड़े में चिड़िया घर के अस्पताल में कैद कर दिया गया है.