नई दिल्ली :अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (Kabul Airport) के पास खतरे को लेकर बराबर अलर्ट जारी किया जा रहा था. लोगों से वहां से हटने और दूर जाने की सलाह दी जा रही थी लेकिन गुरुवार को संदिग्ध इस्लामिक स्टेट ऑफ खुरासान (ISIS-K) के आत्मघाती हमलावर भीड़ में घुस गए जबकि वहां अमेरिकी सैनिक तैनात थे. धमाके में 13 अमेरिकी सैनिकों सहित करीब 103 लोग मारे गए हैं.
काबुल हवाईअड्डे से लोगों को निकालने के लिए बड़े पैमाने पर कोशिशें जारी हैं. कई देश 31 अगस्त की समय सीमा का पालन करने के लिए लोगों को बाहर निकालने के लिए तेजी ला रहे हैं. हजारों लोग अफगानिस्तान में तालिबान शासन से बचने की कोशिश कर रहे हैं, वह हवाईअड्डे के अंदर और बाहर इंतजार कर रहे हैं.
अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, नीदरलैंड, जर्मनी की सरकारों समेत तालिबान के भी एक अधिकारी ने चेतावनी जारी की थी, जिसमें कहा गया था कि काबुल हवाईअड्डा फ्लैशपॉइंट था और यहां तक कि हवाई अड्डे पर तालिबान गार्ड भी अपनी जान जोखिम में डाल रहे थे. इस्लामिक स्टेट से संबद्ध ISIS (K) से उन्हें खतरा है.
विस्फोट से पहले, यूएस ने भी जारी किया था अलर्ट
काबुल में अमेरिकी दूतावास ने अलर्ट जारी किया था कि जिसके तहत अमेरिकी नागरिकों को अबै गेट, ईस्ट गेट या नॉर्थ गेट पर तुरंत छोड़ने के लिए निर्देश दिया गया था. अलर्ट में कहा गया था कि ये इलाके असुरक्षित हैं. इस हमले ने कई स्तरों पर सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कई सवाल खड़े किए हैं. दो धमाके अबै गेट (Abbey gate) और बैरन होटल के प्रवेश द्वार (Baron hotel entrance) पर हुए. इन बिंदुओं तक पहुंचने के लिए तालिबान द्वारा संचालित कम से कम दो चौकियों को पार करना पड़ता है.
हवाई अड्डे के पास 6,000 अमेरिकी सैनिक मौजूद
एयरपोर्ट के बाहर के क्षेत्र में 'रेड यूनिट' या 'बद्री 313' के लड़ाकों की सुरक्षा में है, जिन्हें तालिबान की विशेष ताकत के रूप में जाना जाता है. जबकि अमेरिकी सेना का 10वां माउंटेन डिवीजन हवाईअड्डे के आसपास की सुरक्षा करता है, वहीं यूएस 82वां एयरबोर्न डिवीजन रनवे की सुरक्षा के लिए है. यही नहीं 24वीं मरीन एक्सपेडिशनरी यूनिट नागरिक के जाने में सहायता कर रही है. हवाईअड्डे और उसके आसपास कुल मिलाकर 6,000 अमेरिकी सैनिक मौजूद हैं.