नई दिल्ली/देहरादून:उत्तराखंड केसमान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार हो गया है. इसकी घोषणा आज उत्तराखंड UCC कमेटी की अध्यक्ष जस्टिस रंजना देसाई ने की. एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में नई दिल्ली में जस्टिस रंजना देसाई ने कहा कि मुझे आपको यह बताते हुए बेहद खुशी हो रही है कि उत्तराखंड के प्रस्तावित समान नागरिक संहिता का मसौदा अब पूरा हो गया है. ड्राफ्ट के साथ विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट मुद्रित की जाएगी. इसके बाद इसे उत्तराखंड सरकार को सौंपा जाएगा.
उत्तराखंड UCC का मसौदा तैयार:जस्टिस रंजना देसाई ने कहा कि कमेटी ने उत्तराखंड के राजनेताओं, मंत्रियों, विधायकों और आम जनता की राय ली है. उसके बाद ही समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार किया गया है. इससे पहले 2 जून को जस्टिस रंजना देसाई और उत्तराखंड के लिए यूसीसी का मसौदा तैयार करने वाली समिति के सदस्यों ने विधि आयोग के अध्यक्ष जस्टिस (सेवानिवृत्त) ऋतुराज अवस्थी और सदस्यों केटी शंकरन, आनंद पालीवाल और डीपी वर्मा से मुलाकात की थी, तब जस्टिस रंजना देसाई ने कहा था कि विधि आयोग इस मुद्दे को लेकर काम करने पर विचार कर रहा है.
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लैंगिक समानता सुनिश्चित करने पर जोर:देसाई ने बताया कि समिति का जोर महिलाओं, बच्चों और विकलांग व्यक्तियों को ध्यान में रखते हुए लैंगिक समानता सुनिश्चित करने पर है. समिति ने मनमानी और भेदभाव को खत्म करके सभी को समान स्तर पर लाने की कोशिश की है. देसाई ने कहा कि समिति ने मुस्लिम देशों सहित विभिन्न देशों में मौजूदा कानूनों का अध्ययन किया है. उन्होंने कहा, "हमने सब कुछ देखा है, व्यक्तिगत कानूनों का अध्ययन किया है. हमने विधि आयोग की रिपोर्ट का भी अध्ययन किया है. यदि आप हमारा मसौदा पढ़ेंगे तो आपको लगेगा कि समिति ने हर चीज पर विचार किया है. यदि यह मसौदा लागू होता है, तो हमारे देश का धर्मनिरपेक्ष ताना-बाना मजबूत होगा."
जनता की राय जानने के लिए बनाई गई उप-समिति:देसाई ने कहा कि समिति ने अपनी पहली बैठक पिछले साल 4 जुलाई को दिल्ली में की थी और तब से समिति 63 बार बैठक कर चुकी है. लिखित प्रस्तुतियों के साथ-साथ सार्वजनिक संवाद कार्यक्रमों के माध्यम से जनता की राय जानने के लिए पिछले साल एक उप-समिति का गठन किया गया था. उप-समिति ने अपने सार्वजनिक 'आउटरीच कार्यक्रम' की शुरुआत सीमावर्ती गांव माणा से की और उत्तराखंड के सभी जिलों को कवर करते हुए 40 अलग-अलग स्थानों का दौरा किया.
उप-समिति की देहरादून और अन्य स्थानों पर 143 बार बैठकें हुईं. इसके अलावा समिति ने राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों, राज्य वैधानिक आयोगों के साथ-साथ विभिन्न धार्मिक संप्रदायों के नेताओं के साथ भी बातचीत की. उप-समिति ने सार्वजनिक परामर्श अभ्यास के दौरान लगभग 20 हजार लोगों से बातचीत की. समिति के लोगों को कुल मिलाकर 2.31 लाख लिखित प्रस्तुतियां प्राप्त हुईं.
देसाई ने बताया कि उत्तराखंड यूसीसी समिति ने 2 जून को दिल्ली में भारत के विधि आयोग के अध्यक्ष और उसके सदस्यों के साथ बातचीत भी की. जिसमें विधि आयोग और विशेषज्ञ समिति दोनों के सदस्यों के साथ-साथ अध्यक्ष भी मौजूद थे. इस कार्यक्रम का समापन 14 जून को दिल्ली में एक सार्वजनिक चर्चा के साथ हुआ, जिसमें दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में रहने वाले उत्तराखंड के निवासियों की भागीदारी थी.
उत्तराखंड सरकार ने पिछले साल मई में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) रंजना देसाई के नेतृत्व में विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया था. जो उत्तराखंड के निवासियों के व्यक्तिगत नागरिक मामलों को रेगुलेट करने वाले विभिन्न मौजूदा कानूनों की जांच करेगी और शादी, तलाक, संपत्ति के अधिकार, उत्तराधिकार, विरासत, गोद लेने, रखरखाव, हिरासत और संरक्षकता जैसे विषयों पर कानूनों का मसौदा तैयार करेगी या मौजूदा कानूनों में बदलाव का सुझाव देगी. इस संबंध में एक नोटिफिकेशन 27 मई 2022 को जारी किया गया था और संदर्भ की शर्तें पिछले साल 10 जून को अधिसूचित की गई थीं.