पटना :आज से ठीक 47 साल पहले यानी कि 5 जून 1974 को लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान से संपूर्ण क्रांति का आह्वान किया था और गांधी के सपनों का भारत बनाने के लिए राष्ट्रव्यापी आंदोलन किया था. इस आंदोलन से बिहार गहरे रूप से प्रभावित हुआ था.
जेपी ने दिया संपूर्ण क्रांति का नारा
बता दें कि जेपी वो इंसान थे, जिन्होंने व्यवस्था परिवर्तन के लिए संपूर्ण क्रांति का नारा दिया था. आंदोलन अपने शबाब पर था, तभी जेपी को गिरफ्तार कर लिया गया. इसका परिणाम यह हुआ कि जैसा सोचा गया था, वैसी परिणति सामने नहीं आ पाई. बिहार के सिताब दियारा में जन्मे जयप्रकाश नारायण ऐसे शख्स के रूप में उभरे, जिन्होंने पूरे देश में आंदोलन की लौ जलाई. जेपी के विचार दर्शन और व्यक्तित्व ने पूरे जनमानस को प्रभावित किया. लोकनायक शब्द को जेपी ने चरितार्थ भी किया और संपूर्ण क्रांति का नारा भी दिया. 5 जून 1974 को विशाल सभा में पहली बार जेपी ने संपूर्ण क्रांति का नारा दिया था.
संपूर्ण क्रांति की चिंगारी
संपूर्ण क्रांति की चिंगारी पूरे बिहार से फेल कर देश के कोने-कोने में आग बनकर भड़क उठी और जनमानस जेपी के पीछे चलने को मजबूर हो गये. अपने भाषण में जयप्रकाश नारायण ने कहा- भ्रष्टाचार मिटाए, बेरोजगारी दूर किए, शिक्षा में क्रांति लाए बगैर व्यवस्था परिवर्तित नहीं की जा सकती.
इंदिरा गांधी से मांग लिया इस्तीफा
जब जेपी ने संपूर्ण क्रांति का नारा दिया, उस समय इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री थी. जयप्रकाश की निगाह में इंदिरा गांधी की सरकार भ्रष्ट होती जा रही थी. 1975 में निचली अदालत में इंदिरा गांधी पर चुनाव में भ्रष्टाचार का आरोप साबित हो गया. जयप्रकाश ने उनके इस्तीफे की मांग कर दी. जेपी का कहना था इंदिरा सरकार को गिरना ही होगा. आनन-फानन में इंदिरा गांधी ने राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा कर दी. उन दिनों राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ने कहा था- 'सिंहासन खाली करो कि जनता आती है'
नीतीश कुमार, लालू प्रसाद यादव, सुशील मोदी और दिवंगत रामविलास पासवान सरीखे कई नेता जेपी आंदोलन के गर्भ से ही निकले.
जेपी के सपनों को आगे बढ़ाने की कोशिश तो नेताओं ने की, लेकिन जेपी के शिष्यों के अलग-अलग दलों में बट जाने के चलते सपने अधूरे रह गए और नेता अपनी-अपनी पार्टी के एजेंडे पर चलने को मजबूर हो गए. जेपी ने कहा था संपूर्ण क्रांति का उद्देश्य केवल बेहतर राजनीतिक व्यवस्था का निर्माण करना नहीं है. बल्कि राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, बौद्धिक, शैक्षणिक और अध्यात्मिक क्रांति लाने के लिए आंदोलन है. महिला और वंचित वर्गों को अधिकार मिले इसे लेकर भी जेपी गंभीर थे.
नीतीश कुमार ने की कई पहल
नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री बनने के बाद जेपी के सपनों को सच करने की कोशिश की. 2005 में सत्ता की बागडोर संभालने के बाद नीतीश कुमार ने कई साहसिक कदम उठाए. पंचायती राज संस्थाओं और नगर निकाय में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण दिया गया. लड़कियों को सशक्त बनाने के लिए साइकिल और पोशाक योजना शुरू की. शिक्षक नियुक्ति में 50फीसदी और सरकारी नौकरियों में 35 फीसदी आरक्षण का प्रावधान महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक मजबूत कदम था. साल 2006 से शुरू हुई जीविका महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम के तहत अब तक 10 लाख से ज्यादा सहायता समूह के जरिए एक करोड़ 27 लाख से ज्यादा महिलाएं जुड़ चुकी हैं.
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