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हरिद्वार महाकुंभ : जूना, आह्वान और अग्नि अखाड़ों की तीन मार्च को धर्मध्वजा

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Published : Feb 15, 2021, 7:03 PM IST

सभी अखाड़ों ने हरिद्वार महाकुंभ 2021 को लेकर अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं. जूना, आह्वान और अग्नि अखाड़े के पदाधिकारी तीन मार्च को धर्मध्वजा स्थापित करेंगे और चार मार्च को नगर प्रवेश करेंगे.

हरिद्वार महाकुंभ
हरिद्वार महाकुंभ

हरिद्वार : महाकुंभ 2021 के लिए अखाड़ों ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं. इसी कड़ी में जूना अखाड़ा और उसके सहयोगी अग्नि और आह्वान अखाड़े के पदाधिकारियों ने धर्म ध्वजा स्थापना और नगर प्रवेश एवं पेशवाई की तिथियों की घोषणा कर दी है.

रविवार को अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री हरि गिरि महाराज की अध्यक्षता में आह्वान अखाड़े के राष्ट्रीय महामंत्री महंत सत्य गिरि, मंत्री महंत राजेश गिरि, महंत राजेन्द्र भारती, अग्नि अखाड़े के ब्रह्मचारी साधनानंद, जूना अखाड़े के सभापति प्रेम गिरि महाराज आदि ने गहन विचार-विमर्श के बाद तिथियों की घोषणा की.

हरि गिरि महाराज ने तिथियों की घोषणा करते हुए बताया कि आगामी तीन मार्च को जूना अखाड़ा परिसर में स्थित तीनों अखाड़े जूना, आह्वान तथा अग्नि की दत्तात्रेय चरणपादुका के निकट सायं चार बजे धर्मध्वजा स्थापित की जाएगी.

चार मार्च को सुबह 11 बजे जूना अखाड़ा तथा अग्नि अखाड़ा की पेशवाई जुलूस नजीबाबाद-हरिद्वार रोड पर स्थित कांगड़ी ग्राम में प्रेमगिरि आश्रम से शुरू होगी, जो निर्धारित पेशवाई मार्ग से होते हुए जूना अखाड़े की छावनी में प्रवेश करेगा.

पांच मार्च को आह्वान अखाड़ा की पेशवाई होगी, जो श्रीमहंत प्रेमगिरि आश्रम कांगड़ी से पूर्व निर्धारित पेशवाई मार्ग से होते हुए जूना अखाड़े की छावनी में प्रवेश करेगा.

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तिथियों की घोषणा के बाद तीनों अखाड़ों के पदाधिकारी और अपर मेलाधिकारी हरबीर सिंह पेशवाई मार्ग का निरीक्षण करने कांगड़ी गांव पहुंचे. इस दौरान महंत हरिगिरि महाराज ने बताया कि पेशवाई मार्ग के लिए अभी दोनों विकल्प रखे गए हैं. शीघ्र ही कोई एक रूट मेला प्रशासन तथा अखाड़ों की आपसी सहमति से तय किया जाएगा.

उन्होंने बताया कि मुगल शासन काल से ही पाण्डेवाला ज्वालापुर से अखाड़ों की पेशवाई निकाली जाती रही है. यह व्यवस्था औरंगजेब के शासनकाल में प्रारंभ हुई थी.

तब जारी शाही फरमान के अनुसार, पांडेवाला में साधुओं की जमातों के रहने, खाने-पीने व अन्य सुविधाओं की व्यवस्था मुस्लिम तीर्थ पिरान कलियर के इमाम एवं अन्य प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा की जाती थी. लेकिन वर्तमान में यह व्यवस्था लगभग समाप्त हो गई है. अब सारी व्यवस्थाएं अखाड़ों द्वारा निजी स्तर पर कर ली जाती हैं.

इसके अतिरिक्त नए निर्माण, पुल, सड़क रेलवे लाइन आदि भी पेशवाई मार्ग के आड़े आ रही हैं. इन्हीं सभी बातों के चलते अभी दोनों पेशवाई मार्ग के विकल्प खुले रखे गए हैं. ऐसी व्यवस्था बनाए जाने का प्रयास किया जाएगा जो भविष्य में भी चलती रहे.

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