नई दिल्ली:अफगानिस्तान के कंधार प्रान्त में भारतीय पत्रकार दानिश सिद्दीकी ( Danish Siddiqui ) की कवरेज के दौरान मारे गए. वहीं उनकी मौत की खबर जैसे ही घर वालों को पता चली घर में मातम का माहौल पसर गया. बता दें कि कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट (सीपीजे) के मुताबिक 1992 से 2021 के बीच अफगानिस्तान में कुल 53 पत्रकार मारे गये हैं.
मिली जानकारी के मुताबिक विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने दानिश के परिवार से फोन पर बात की है. वहीं दानिश के नहीं रहने को लेकर पूरे इलाके में काफी मायूसी है. वहीं उनके दोस्तों का कहना है कि काम को लेकर वह हमेशा तत्पर रहते थे. बता दें कि दानिश के दो छोटे बच्चे हैं. उनके पिता प्रोफेसर अख्तर सिद्दीकी जामिया मिल्लिया इस्लामिया के एजुकेशन फैकल्टी में कार्यरत थे.
दानिश सिद्दीकी के पिता प्रोफेसर अख्तर सिद्दीकी ने बताया कि वह ऑफिस के असाइनमेंट के तहत अफगानिस्तान में हो रही घटना को कवर करने गए हुए थे. उन्होंने बताया कि आज दोपहर को उनके दफ्तर से यह खबर मिली कि गोली लगने की वजह से उनकी मौत हो गई है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि उनके दफ्तर कि ओर से पार्थिव शरीर को जल्द सौंपने की बात कही है.
फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी के पिता का बयान वहीं प्रोफेसर अख्तर सिद्दीकी ने बताया कि परसों दानिश सिद्दीकी से बात हुई थी और वह सही से बात कर रहे थे और जरा सा भी चिंतित नहीं लग रहे थे. उन्होंने बताया कि भारत सरकार के विदेश मंत्रालय से फोन आया था और उम्मीद जताई है कि जल्द से जल्द शव आ जाएगा. इसके अलावा उन्होंने बताया कि दानिश के दो छोटे बच्चे भी हैं.
वहीं दानिश सिद्दीकी (Danish Siddiqui) के दोस्त बिलाल जैदी ने बताया कि यह हम सभी के लिए बहुत ही हैरान कर देने वाली खबर थी. उन्होंने बताया कि दानिश बहुत ही बेहतरीन फोटो जर्नलिस्ट थे. वह इससे पहले इराक युद्ध रोहिंग्या क्राइसिस हाल ही में दिल्ली में हुए दंगे को भी उन्होंने कवर किया है. उन्हें बहुत ही अच्छे से हर प्रकार की ट्रेनिंग ली थी लेकिन यह हम सभी दोस्त और परिवार के लिए आज बहुत बड़ी क्षति है. इस दौरान उन्होंने उम्मीद जताई कि जल्द ही उनका पार्थिव शव मिल पाएगा.
दानिश सिद्दीकी की हत्या पर गमजदा दोस्त वहीं उनके दोस्त शम्स ने बताया कि इस तरह की पत्रकारिता के लिए उन्होंने प्रशिक्षण लिया हुआ था. वह अक्सर कनफ्लिक्ट ज़ोन में जाकर काम करते थे. उन्होंने बताया कि वह अफगानिस्तान और तालिबान की आर्मी के बीच फंस गए और उनके साथ यह दुखद हादसा हो गया. इसके अलावा उन्होंने कहा कि कई बार यह कहते थे कि अब इस तरह के काम से खुद को खतरे में मत डालो. लेकिन उनमें काम के प्रति काफी जुनून था.
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बता दें कि दानिश सिद्दीकी जामिया मिल्लिया इस्लामिया एमसीआरसी के वर्ष 2005-2007 तक छात्र भी थे.सिद्दीकी मुंबई में रहा करते थे. उन्हें रॉयटर के फोटोग्राफी स्टाफ के सदस्य के तौर पर पुलित्जर पुरस्कार मिला था. उन्होंने दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया से अर्थशास्त्र में स्नातक किया था और 2007 में जामिया के एजेके मास कम्युनिकेशन रिसर्च सेंटर से जनसंचार का अध्ययन किया था. वह 2010 में रॉयटर से जुड़े थे.
उन्होंने अपने करियर की शुरुआत संवाददाता के तौर पर की थी, जिसके बाद वह फोटो पत्रकारिता में चले गये और 2010 में इंटर्न के तौर पर रॉयटर में शामिल हुए. दानिश सिद्दीकी 2018 में फीचर फोटोग्राफी के लिए प्रतिष्ठित पुलित्जर पुरस्कार मिला था. म्यामां के अल्पसंख्यक रोहिंग्या समुदाय द्वारा सामना किये जाने वाली हिंसा को तस्वीरों में उतारने का काम करने को लेकर उन्हें अपने एक सहकर्मी और पांच अन्य के साथ पुलित्जर पुरस्कार दिया गया था.
भारत में अफगानिस्तान के राजदूत फरीद मामुन्दजई (Farid Mamundzay) ने शुक्रवार को ट्वीट किया, 'बीती रात (बृहस्पतिवार) कंधार में मेरे मित्र दानिश सिद्दीकी के मारे जाने की खबर सुनकर बहुत दुख पहुंचा. पुलित्जर पुरस्कार विजेता भारतीय पत्रकार अफगान सुरक्षा बलों के साथ वहां पर थे.' मामुन्दजई ने कहा, 'दो हफ्ते पहले उनके काबुल के लिए प्रस्थान करने से पहले मेरी उनसे मुलाकात हुई थी. उनके परिवार एवं रॉयटर को मेरी संवदेनाएं.'
फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी की मौत पर राजदूत मामुन्दजई का ट्वीट गौरतलब है कि समाचार एजेंसी रॉयटर के लिए काम करने वाले पुलित्जर पुरस्कार विजेता भारतीय फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी शुक्रवार को अफगानिस्तान के कंधार प्रांत में अफगान सैनिकों और तालिबान आतंकवादियों के बीच भीषण लड़ाई की कवरेज करने के दौरान मारे गए.
सिद्दीकी की उम्र 40 से 45 वर्ष के बीच थी. वह अशांत कंधार क्षेत्र में पिछले कुछ दिनों से झड़पों की कवरेज कर रहे थे. उल्लेखनीय है कि अमेरिका अपने सैनिकों को 31 अगस्त की समय सीमा से पहले अफगानिस्तान से हटा रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने यह समय सीमा निर्धारित की थी.
एक अफगान कमांडार ने रॉयटर को बताया कि अफगान विशेष बल कंधार प्रांत के पास स्पिन बोलदाक के मुख्य बाजार इलाके को फिर से अपने नियंत्रण में करने के लिए संघर्ष में जुटे हुए थे, तभी सिद्दीकी और एक वरिष्ठ अफगान अधिकारी इसकी चपेट में आकर मारे गये.
बताया जा रहा है कि तालिबान की ओर से चली गोली लगने से उनकी मौत हुई. यह घटना कंधार प्रांत में पाकिस्तान से लगे एक बार्डर क्रॉसिंग के पास हुई. रॉयटर के प्रमुख एम फ्रेडेनबर्ग और प्रधान संपादक एलेस्सांद्रा गलोनी ने एक बयान में कहा, 'हमारे फोटोग्राफर दानिश सिद्दीकी के अफगानिस्तान में मारे जाने की खबर सुनकर हम बहुत दुखी हैं.'
वह कंधार प्रांत में अफगान विशेष बलों के सुरक्षा घेरे में थे, तभी शुक्रवार सुबह उन पर हमला हो गया. बयान में कहा गया है, 'दानिश एक शानदार, पुलित्जर पुरस्कार विजेता पत्रकार, एक समर्पित पति और पिता थे और एक बहुत प्यारे सहकर्मी थे. इस संकट की घड़ी में उनके परिवार के साथ हमारी संवेदनाएं हैं.'
बयान में कहा गया , 'हम फौरन और अधिक सूचना मांग रहे हैं, क्षेत्र में अधिकारियों के साथ काम कर रहे हैं.' इस बीच, नयी दिल्ली में भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा, 'काबुल में हमारे राजूदत अफगान अधिकारियों के संपर्क में हैं. हम उनके (सिद्दीकी के) परिवार को घटनाक्रम से अवगत रख रहे हैं.'
(एजेंसी इनपुट के साथ)