नई दिल्ली : वाम सहयोगी संगठनों की ओर से संयुक्त रूप से सोमवार को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में राष्ट्रीय सम्मेलन (joint National Convention) आयोजित किए गया. हजारों श्रमिक, किसान और कृषि श्रमिकों की मौजूदगी में अखिल भारतीय किसान सभा, अखिल भारतीय कृषि श्रमिक संघ, भारतीय ट्रेड यूनियन ने मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ संयुक्त जुझारू कार्रवाई तेज करने की घोषणा की. कन्वेंशन ने देश भर के करोड़ों मजदूरों, किसानों और खेतिहर मजदूरों का आह्वान किया कि वे एक-दूसरे के स्वतंत्र संघर्षों को हर संभव तरीके से समर्थन और एकजुटता दें और मजबूत प्रत्यक्ष संयुक्त कार्रवाई करें.
संयुक्त अधिवेशन के बाद तीनों संगठनों के नेताओं ने संसद के 2023 के बजट सत्र के दौरान 'मजदूर संघर्ष रैली 2.0' में मजदूरों, किसानों और खेतिहर मजदूरों की भारी जुझारू लामबंदी करने की घोषणा की है. संगठन के नेताओं का कहना है कि इस संयुक्त सम्मेलन ने सर्वसम्मति से अक्टूबर 2022 से फरवरी 2023 तक व्यापक संयुक्त अभियान चलाने का फैसला किया गया ताकि मजदूरों, किसानों और कृषि श्रमिकों को नव उदारवादी नीति के हमलों के खिलाफ आक्रामक प्रत्यक्ष प्रतिरोध संघर्ष शुरू करने के लिए तैयार किया जा सके.
संगठनों के नेताओं ने कहा कि 'इस सम्मेलन में हमने देखा है कि आरएसएस द्वारा नियंत्रित वर्तमान मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार पिछले 75 वर्षों के दौरान जो कुछ भी हम, लोगों ने हमारे श्रम के माध्यम से ईंट से ईंट का निर्माण किया है और जो कुछ भी हमने अपने संघर्षों और बलिदानों के माध्यम से हासिल किया है, उसे नष्ट कर रहा है. यह न केवल ब्रिटिश उपनिवेशवाद से, बल्कि अपने वर्ग, जाति, पंथ, धर्म या लिंग के आधार पर सभी प्रकार के उत्पीड़न और भेदभाव से मुक्त भारत के हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के सपने को कुचल रहा है.'