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personal data protection : भारत में अभी नहीं बनेगा कानून, संयुक्त समिति को संसद से मिला और समय

डाटा संरक्षण विधेयक संबंधी संयुक्त समिति का कार्यकाल छठी बार बढ़ा दिया गया है.

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पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल

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Published : Dec 1, 2021, 12:37 PM IST

Updated : Dec 1, 2021, 7:26 PM IST

नई दिल्ली : पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन से जुड़े कानून बनने में अभी और समय लगेगा. यह उस समय स्पष्ट हुआ जब लोक सभा में पीपी चौधरी ने आज ज्वाइंट कमेटी का टेन्योर बढ़ाने का प्रस्ताव रखा.

पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन संबंधी संयुक्त समिति को संसद से मिला और समय

पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल, 2019 के संबंध में संसद ने एक संयुक्त समिति का गठन किया था. पीपी चौधरी ने कहा कि समिति को रिपोर्ट जमा करने के लिए और समय चाहिए. ऐसे में शीतकालीन सत्र के बाद भी समिति बनी रहे. 'वैयक्तिक डाटा संरक्षण विधेयक, 2019' का अध्ययन कर रही संसद की संयुक्त समिति का कार्यकाल छठी बार बढ़ाया गया और अब समिति को रिपोर्ट पेश करने के लिए संसद के शीतकालीन सत्र के अंतिम सप्ताह तक का समय दिया गया है.

लोक सभा में पीठासीन सभापति राजेंद्र अग्रवाल ने सदन की सहमति से प्रस्ताव को मंजूर किया.

प्रस्ताव में कहा गया था कि यह सदन 'वैयक्तिक डाटा संरक्षण विधेयक, 2019' पर संसद की संयुक्त समिति को रिपोर्ट पेश करने के लिये समय को शीतकालीन सत्र के अंतिम सप्ताह तक बढ़ाता है.

विधेयक का अध्ययन करने के लिए दिसंबर, 2019 में संसद की संयुक्त समिति का गठन किया गया था और इसका कार्यकाल छठी बार बढ़ाया गया है.

उसे गत बजट सत्र में रिपोर्ट देनी थी, लेकिन तब समिति के लिए रिपोर्ट जमा करने की समय-सीमा संसद के मॉनसून सत्र के पहले सप्ताह तक बढ़ाई गयी थी.

विधेयक में किसी व्यक्ति के निजी डाटा के सरकार और निजी कंपनियों द्वारा उपयोग के नियमन के प्रावधान हैं.

इस समिति की रिपोर्ट को पिछले महीने अंगीकार किया गया था. इसमें सरकार को जांच एजेंसियों को इस प्रस्तावित कानून के प्रावधानों से छूट देने क अधिकार दिया गया है जिसका विपक्ष के कई सांसदों ने विरोध किया है.

पढ़ें :-Data Protection Bill: संसद में बवाल मचने से पहले इस बिल में आपकी प्राइवेसी से जुड़ा पेंच जान लीजिए

बता दें कि दिसंबर 2019 में मोदी कैबिनेट ने व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2019 को मंजूरी दी थी. जो भारतीय नागरिकों के डेटा की गोपनीयता और सुरक्षा से संबंधित था. इस बिल का ड्राफ्ट किसी अपराध को रोकने या उसकी जांच के लिए केंद्रीय एजेंसियों की निजी डाटा तक पहुंच को आसान बनाता है. यानि जांच एजेंसियां किसी अपराध की जांच, देश में शांति, कानून व्यवस्था या सुरक्षा का हवाला देकर आपका पर्सनल डेटा को खंगाल सकती हैं और इसके लिए उस व्यक्ति या किसी अन्य की सहमति की जरूरत नहीं होगी.

ये बिल सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सुरक्षा एजेंसियों को प्रस्तावित प्रावधानों से बाहर रखने की इजाजत देता है. यानि सीबीआई, ईडी जैसी केंद्रीय एजेसियों को इस कानून के दायरे से बाहर रखा जा सकता है.

Last Updated : Dec 1, 2021, 7:26 PM IST

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