अब पीजिए ऊंटनी का दूध, हार्ट को करेगा मजबूत, डायबिटीज से मिलेगा छुटकारा जोधपुर. सरस डेयरी का दूध जिस तरह पॉलिथिन पैक में उपलब्ध होता है. उसी तर्ज पर अब जोधपुर में ऊंटनी का दूध भी उपलब्ध हो गया है. उरमूल ट्रस्ट द्वारा प्रायोजित पोकरण में संचालिक कैमल मिल्क प्लांट के माध्यम से यह दूध जोधपुर में उपलब्ध करवाया गया है. इससे संबंद्ध डेयरी अब शहर में खुलनी शुरू हुई हैं. मरुगंधा डेयरी से जोधपुर में दूध की आपूर्ति शुरू हुई है. फिलहाल यह दूध 150 रुपए प्रति लीटर के भाव मिल रहा है. दो सौ मिली लीटर का पैक 30 रुपए में उपलब्ध करवाया गया है.
पोकरण में 80 लाख की लागत से बना प्लांटः पोकरण में करीब दो साल पहले पहला कैमल मिल्क प्लांट 80 लाख रुपए की लागत से स्थापित हुआ था. जोधपुर में कैमल मिल्क डेयरी खोलने वाले जालूराम जांगिड का कहना है कि यह दूध डायबिटीज, हाई बीपी व हृदयरोगियों के लिए फायदेमंद है. बच्चों के लिए भी फायदेमंद है. उल्लेखनीय है कि प्रदेश सरकार ने 2014 में ऊंट को राज्य पशु का दर्जा दिया था. लेकिन संरक्षण को लेकर सिर्फ कागजी प्रयास हुए हैं. उरमूल ट्रस्ट ने ऊंट पालकों के बीच जाकर उनकी पीड़ा समझी और पोकरण में प्लांट लगाया. जिसका दूध अब जगह-जगह पर जाने लगा है. इससे ऊंट पालक रोजगार से भी जुड़ गए हैं.
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ऊंटनी के दूध से साबुन, चॉकलेट भीः ऊंटनी के दूध से चॉकलेट, बिस्किट, मिल्क शेक, साबुन भी बनाए जा रहे हैं. जिनकी डिमांड बडे़ शहरों में ज्यादा है. दूध की मांग भी इतनी ज्यादा है कि डेयरी के पास हमेशा आर्डर लंबित रहते हैं. पोकरण के प्लांट में कैमल मिल्क को भी पाश्च्युरीकृत किया जाता है. इतना ही नहीं पूरी टेस्टिंग के बाद ही वह दूध बाहर आता है. जिससे उसे लंबे समय तक फ्रिज में पैकिंग में सुरक्षित रखा जा सकता है. दूध की पैकिंग खुलने के बाद काम में लेना जरूरी है. अन्यथा यह खराब हो सकता है.
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कई मायनों में है फायदेमंदः ऊंटनी का दूध कई मायने में मानव शरीर के लिए फायदेमंद है. इसके नियमित सेवन से लिवर सही रहता है. जिससे डायबिटीज कंट्रोल में रहती है. इसके अलावा कैंसर बचाव में भी यह काफी लाभदायक है. ऑटिज्म (मानसिक विकास से जुड़ी बीमारी) से पीड़ितों के सेवन करने से धीरे-धीरे उसके लक्षणों को कम करता है. आंतों की परेशानी के साथ-साथ एलर्जी में भी लाभदायक होता है. राजस्थान के बीकानेर में इसके लिए अनुसंधान केंद्र भी बना हुआ है.
क्या है उरमूलः उरमूल ट्रस्ट रेगिस्तानी व ग्रामीण इलाकों में लोगों की जीविका आसान बनाने के लिए प्रयासरत संस्थान हैं. उत्तरी राजस्थान मिल्क यूनियन की स्थापना 1972 में हुई थी. जो दूध उत्पादन करने वाले पशुपालकों को संबंल देता है. स्थापना के एक दशक बाद यह ट्रस्ट बना. बीकानेर में इसकी बड़ी डेयरी है. करीब पचास हजार पशुपालक इससे जुडे़ हुए हैं. उरमूल ऊंटों के संरक्षण पर काम करता है. जैसलमेर जिले के ऊंट पालकों को संबंल देने के लिए ऊंटनी के दूध को बढ़ावा देने के क्षेत्र में कार्यरत है.