रांचीःझामुमो नेता महुआ माजी ने नारी शक्ति वंदन विधेयक की सराहना की है. उन्होंने कहा कि इससे बेहतर नीति के निर्माण में महिलाओं की भागीदारी संभव होगी. बहुप्रतीक्षित महिला आरक्षण बिल जब मंगलवार को लोकसभा में पेश हो रहा था. इस दौरान राज्यसभा सांसद सह झारखंड मुक्ति मोर्चा की नेता महुआ माजी ने बिल का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि यह महिलाओं के लिए एक बड़ी उपलब्धि है और इसका श्रेय सभी पार्टियों को जाता है.
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महुआ माजी ने बिल का किया स्वागतः ईटीवी भारत के साथ एक विशेष साक्षात्कार में माजी ने कहा कि "मैंने व्यक्तिगत रूप से संसद में महिला आरक्षण विधेयक के लिए अपनी आवाज उठाई है. हमने आरक्षण में एससी और एसटी वर्ग की महिलाओं के लिए विशेष कोटा की भी मांग की है. क्योंकि उच्च वर्ग महिलाएं भी इसका लाभ उठाना चाहेंगी और संघर्षरत महिलाओं को मौका नहीं मिल पाएगा क्योंकि वे आर्थिक रूप से उतनी मजबूत नहीं हैं.
बेहतर नीति निर्माण में भाग ले सकेंगी महिलाएंः झामुमो नेता महुआ माजी ने कहा कि मैं खुशी से इस बिल का स्वागत करती हूं. उन्होंने कहा कि यदि राजनीति में महिलाओं का अधिक प्रतिनिधित्व हो तो वे बेहतर नीति निर्माण में भाग ले सकती हैं. यहां तक कि बांग्लादेश और नेपाल जैसे देशों में भी संसद में महिलाओं का प्रतिशत अधिक है. हालांकि भारत में लोकसभा में 14% और राज्यसभा में मात्र 10% महिलाएं ही सांसद हैं. माजी ने कहा मैं इसे राजनीतिक तौर पर नहीं देखना चाहती और जहां तक बिल की उपलब्धि की बात है तो इसका श्रेय उन सभी राजनीतिक दलों को जाता है जिन्होंने इस बिल को पारित कराने के लिए लगातार आवाज उठाते रहे.
लोकसभा और राज्य विधानसभा में 33 प्रतिशत आरक्षण का है प्रस्तावः नारी शक्ति वंदन अधिनियम शीर्षक से महिला आरक्षण विधेयक मंगलवार को संसद के विशेष सत्र के दौरान नई संसद भवन के निचले सदन में पेश किया गया. विधेयक में लोकसभा और राज्य विधानसभा में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण का प्रस्ताव है. 27 वर्षों के प्रयास के बाद यह विधेयक लोकसभा में पेश हो गया. हालांकि, 2026 में पहली जनगणना के बाद तमाम कानूनी पहलुओं से गुजरने के बाद ही यह बिल लागू हो पाएगा. नए संसद भवन के विशेष सत्र के दूसरे दिन केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में यह बिल पेश किया.
महिलाएं राजनीति में शामिल होने के लिए प्रेरित होंगीः झामुमो नेता ने आगे कहा, "भारत में जहां महिलाएं विभिन्न क्षेत्रों में नई ऊंचाइयां हासिल कर रही हैं, तो फिर राजनीति में क्यों नहीं? इस विधेयक से अधिक महिलाएं राजनीति में शामिल होने के लिए प्रेरित होंगी और पूरे जोश के साथ काम करेंगी."विधेयक में लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और दिल्ली विधानसभा में महिलाओं के लिए 33% सीटें आरक्षित करने का प्रावधान है. कोटा राज्यसभा या राज्य विधान परिषदों पर लागू नहीं होगा. उक्त कोटे में एक तिहाई अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के लिए आरक्षित रहेगा.