जयपुर. JLF के सोलहवें संस्करण का 19 जनवरी को आगाज होने वाला है. साहित्य के इस महाकुंभ में आठवां महाकवि कन्हैयालाल सेठिया अवार्ड के. सच्चिदानंद को दिए जाने का एलान किया गया है. सच्चिदानंद को बतौर आलोचक, संपादक और अनुवादक ख्याति प्राप्त है (Jaipur literature festival). महाकवि कन्हैयालाल सेठिया फाउंडेशन की तरफ से पुरस्कार दिया जाता है. पुरस्कार के तहत विजेता को सम्मान स्वरूप एक मोमेंटो और 1 लाख रुपए नकद दिए जाते हैं.
सच्चिदानंद, एक संक्षिप्त परिचय-साहित्य अकादमी के पूर्व सचिव रह चुके सच्चिदानंद के 21 काव्य संग्रह, वैश्विक काव्य अनुवाद की 16 पुस्तकें और मलयालम में साहित्यिक आलोचना की 21 किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं. साथ ही अंग्रेजी में कई नाटक और यात्रा-वृतांत भी प्रकाशित हुए हैं. सच्चिदानंद को उनके साहित्यिक योगदान के लिए देश-विदेश के प्रतिष्ठित संस्थानों से 25 से अधिक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है. वे केरल अकादमी ऑफ़ लिटरेचर के फेलो भी हैं.
इनकी कविताओं का 18 से अधिक भाषाओँ में अनुवाद हुआ है और अमेरिका से लेकर ऑस्ट्रेलिया तक, भिन्न-भिन्न देशों में इनकी रचनाओं को प्रकाशित किया गया है. कन्हैयालाल सेठिया अवार्ड की ज्यूरी में शामिल प्रतिष्ठित लोगों में फेस्टिवल डायरेक्टर नमिता गोखले, टीमवर्क आर्ट्स के मैनेजिंग डायरेक्टर और फेस्टिवल प्रोड्यूसर संजॉय के. रॉय, कवि रंजीत होस्कोटे और महाकवि कन्हैयालाल सेठिया फाउंडेशन के सिद्धार्थ सेठिया शामिल हैं.
राजस्थानी महाकवि को श्रद्धांजलि का मंच- महाकवि कन्हैयालाल सेठिया अवार्ड की घोषणा करते फाउंडेशन के सिद्धार्थ सेठिया ने कहा, 'जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल से जुड़ा महाकवि कन्हैयालाल सेठिया अवार्ड एक ऐसा मंच है, जो भारतीय काव्य के वैविध्य को दुनियाभर के श्रोताओं तक पहुंचाता है. टीमवर्क आर्ट्स के मैनेजिंग डायरेक्टर और जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के प्रोडूसर, संजॉय के. रॉय ने कहा कि महाकवि कन्हैयालाल सेठिया अवार्ड को प्रस्तुत करते हुए हमें गर्व है. यह अवार्ड काव्य के क्षेत्र में असाधारण प्रतिभा को दिया जाता है. इस साल, जब हम साहित्य की ताकत का उत्सव मना रहे हैं, तो हमारे सभी नॉमिनी के लिए काव्य की प्रत्येक कसौटी पर खरा उतरना जरूरी था.
डेज़ी रॉकवेल को वाणी पुरस्कार-जयपुर लिटरेचर फेस्ट में वाणी फाउंडेशन गणमान्य ट्रांसलेटर अवार्ड भी दिया जाता है. यह पुरस्कार उन अनुवादकों को दिया जाता है, जिन्होंने कम-से-कम दो भारतीय भाषाओं के बीच साहित्यिक और भाषाई सम्बन्ध विकसित करने की दिशा में लगातार योगदान दिया है. हिंदी और उर्दू साहित्य में योगदान के लिए इस साल डेज़ी रॉकवेल को यह पुरस्कार दिया जाएगा. पुरस्कार में ट्रॉफी और प्रशस्ति पत्र के अलावा एक लाख रुपए दिए जाते है. यह पुरस्कार 2023 में अपने 7वें संस्करण में है. इस पुरस्कार के सम्मानित निर्णायक मण्डल में नमिता गोखले (संस्थापक और सह-निदेशक, जयपुर लिटरेचर फ़ेस्टिवल), नीता गुप्ता (भारतीय भाषा की प्रकाशन सलाहकार) और संदीप भूतोड़िया (सांस्कृतिक कर्मी व प्रभा खेतान फ़ाउंडेशन ट्रस्टी) शामिल हैं.
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डेज़ी रॉकवेल कौन?-डेज़ी रॉकवेल उत्तरी न्यू इंग्लैंड में रहने वाली हिन्दी और उर्दू साहित्य की अनुवादक और चित्रकार हैं. वह अपने तख़ल्लुस, 'लापता' के तहत चित्रकारी भी करती हैं. दक्षिण एशियाई साहित्य में पीएच.डी. करने के बाद उन्होंने हिन्दी लेखक उपेन्द्रनाथ अश्क पर एक किताब भी लिखी. रॉकवेल के हिन्दी और उर्दू में कई अनुवाद प्रकाशित हुए हैं. जिनमें अश्क की ‘फॉलिंग वॉल्स’ (2015), भीष्म साहनी की ‘तमस’(2016) और खदीजा मस्तूर की ‘द वूमेंस कोर्टयार्ड’ शामिल हैं. कृष्णा सोबती के अन्तिम उपन्यास, ‘ए गुजरात हियर, ए गुजरात देयर’ (पेंगुइन, 2019) के उनके अनुवाद को 2019 में साहित्यिक अनुवाद के लिए एल्डो और जीन स्कैग्लियोन पुरस्कार से सम्मानित किया गया. 2021 में डेज़ी द्वारा अनूदित पुस्तक ‘टॉम्ब ऑफ़ सैंड’ के लिए अन्तरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार प्राप्त हुआ है.
JIF खास- जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में इस दफा भारतीय भाषाओं पर प्रमुख फोकस रहेगा. इस बार के 16वें संस्करण में 21 भारतीय भाषाओं के साथ ही 14 अंतर्राष्ट्रीय भाषाओं को भी पेश किया जाएगा. साहित्य के इस महाकुम्भ में एक विशेष सत्र में अलका सरावगी और साहित्य अकादमी अवार्ड से सम्मानित लेखिका अनामिका हिस्सा लेंगी. एक अन्य सत्र में, संस्कृत के विद्वान ऑस्कर पुजोल, भारत में पोलैंड के एम्बेसडर एडम बुराकोव्सकी और भारतीय राजनयिक अभय के साथ दिखाई देंगे. फेस्टिवल में एक सत्र इंटरनेशनल बुकर प्राइज विजेता गीतांजलि श्री और उनकी अनुवादक डेजी रॉकवेल के नाम रहेगा. इसका फोकस हिंदी के मूल उपन्यास ‘रेत समाधि’ पर रहेगा.
गौरतलब है कि हिंदी विश्व में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में चौथे स्थान पर है. ऐसे में उपन्यासकार अनामिका भी प्रमुख लेखकों से 'एक हिंदी अनेक हिंदी’ नाम के सत्र में संवाद करेंगी. इस दौरान इंटरनेशनल बुकर प्राइज विजेता गीतांजलि श्री, लेखक नंद भारद्वाज मौजूद रहेंगे. एक सत्र में दिलचस्प किताब ‘जयपुर जर्नल’ के मज़ेदार हिंदी अनुवाद ‘जयपुरनामा’ पर चर्चा की जाएगी. यह किताब जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के बैकड्रॉप पर आधारित है. लता मंगेशकर पर यतीन्द्र मिश्र की किताब ‘लता: सुर गाथा’ पर लेखिका अनु सिंह चौधरी संवाद करेंगी. फेस्टिवल के कुछ रोचक सत्र राजस्थानी और भोजपुरी को भी समर्पित रहेंगे. एक सत्र में गीतकार जावेद अख्तर और अभिनेत्री शबाना आज़मी से रक्षंदा जलील बात करेंगी.