झुंझुनू.जिले का एक और जवान शहीद हो गया. शहीद जवान सियाचिन ग्लेशियर में तैनात था. जिसकी 13 फरवरी को ड्यूटी के दौरान अचानक तबीयत खराब हो गई. इसके बाद उसे उपचार के लिए मिलिट्री अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान जवान की मौत हो गई. बताया गया कि नायब सूबेदार देवकरण आर्मी की 15वीं जाट रेजिमेंट यूनिट में तैनात थे. 13 फरवरी को डयूटी के दौरान उनकी तबीयत अधिक खराब होने पर उन्हें इलाज के लिए मिलिट्री अस्पताल ले जाया गया, जहां प्राथमिक जांच के बाद उन्हें भर्ती कर लिया गया. वहीं, रविवार को इलाज के दौरान जवान की मौत हो गई.
जिला सैनिक कल्याण अधिकारी परेवज हुसैन ने बताया कि शहीद देवकरण झुंझुनू के मलसीसर के कालियासर ग्राम पंचायत के बुरकड़ान गांव के रहने वाले थे. देवकरण ऑपरेशन रक्षक के तहत सियाचिन ग्लेशियर में ड्यूटीरत थे. आर्मी हेडक्वार्टर से आए संदेश के अनुसार शहीद देवकरण का पार्थिव देह सोमवार सुबह 8 बजे उनके पैतृक गांव पहुंचेगी. इस दौरान शहीद के सम्मान में गांव तक तिरंगा यात्रा निकाली जाएगी. उसके बाद उनके पैतृक गांव बुरकड़ान में अंतिम संस्कार होगा.
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शहीद के चचेरे भाई नितिन कुमार ने बताया कि रविवार सुबह 11 बजे आर्मी हेडक्वार्टर से फोन कर उन्हें देवकरण के निधन की सूचना दी गई. नितिन ने बताया कि देवकरण पिछले साल 26 सितंबर को आखिरी बार छुट्टी पर आए थे. वहीं, दस दिन बाद फिर से छुट्टी लेकर घर आने वाले थे. उन्होंने बताया कि शहीद का परिवार बीते दो साल से जयपुर में रह रहा है. उनके परिवार में पत्नी अंजू, दो बेटे निखिल (19) और कुनाल (15) के साथ ही उनकी मां शामिल है, जो वर्तमान में जयपुर रहते हैं. शहीद देवकरण का बड़ा बेटा जयपुर में कक्षा 12वीं और छोटा 10वीं में पढ़ता है. उन्होंने बताया कि शहीद देवकरण साल 2000 में आर्मी ज्वाइन किए थे.
वहीं, देवकरण तीन भाइयों में मंझले थे. उनके बड़े भाई संजय सिंह भी आर्मी से रिटायर हैं. फिलहाल डीएससी आर्मी में कार्यरत है. जबकि छोटा भाई अनिल वर्तमान में आर्मी में तैनात हैं. शहीद के माता-पिता गांव में ही रहते हैं. पिता भी आर्मी से रिटायर हैं और उनके बड़े भाई झुंझुनू में ही रहते हैं. जबकि छोटा भाई अनिल माता-पिता के साथ गांव में रहता है. इधर, देवकरण की शहादत की सूचना मिलने के बाद बुरकड़ान स्थित उनके पैतृक गांव में कोहराम मचा है. फिलहाल शहीद की पत्नी और बच्चों को सूचना नहीं दी गई है. उन्हें जरूरी काम बताकर गांव बुलाया गया है.