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बस्तर में झीरम घाटी शहीद स्मारक का लोकार्पण, फहराया गया 101 फीट ऊंचा तिरंगा

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Published : May 25, 2022, 9:38 PM IST

बस्तर में झीरम घाटी नक्सली हमले की बरसी पर झीरम घाटी के शहीदों को नमन किया गया. इस मौके पर बस्तर झीरम शहीद स्मारक पर 101 फीट ऊंचे तिरंगे को फहराया गया.

Jagdalpur jhiram saheed smarak
बस्तर में झीरम घाटी शहीद स्मारक का लोकार्पण

बस्तर: बस्तर में आज झीरम श्रद्धांजलि दिवस (Jhiram massacre martyr tribute in Bastar) मनाया गया. सीएम भूपेश बघेल ने बस्तर में झीरम घाटी शहीद स्मारक का लोकार्पण कर झीरम के शहीदों को श्रद्धांजलि (Jhiram Martyr Memorial inaugurated in bastar) दी. श्रद्धांजलि देने के बाद मुख्यमंत्री ने शहीद परिवारों को शॉल और श्रीफल देकर सम्मानित किया. इसके अलावा झीरम मेमोरियल पार्क में वृक्षारोपण किया गया.

इस दौरान मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा साल 2013 में निकली गई थी. इस परिवर्तन यात्रा में कांग्रेस के दिग्गज नेता शहीद हो गए. आज बड़े नेता हमारे साथ नहीं लेकिन उनके मार्गदर्शन पर लगातार कांग्रेस पार्टी काम करेगी. इस दौरान मेमोरियल के पास मुख्यमंत्री ने 101 फीट ऊंचा तिरंगा लहराया. सीएम ने कहा कि इसी दिन साल 2013 को नक्सलियों ने कायरता पूर्व कार्य करते हुए निर्दोष लोगों की हत्या की. हम लोग अब तक झीरम के गुनहगार तक नहीं पहुंच पाए हैं. लेकिन जल्द ही हम गुनहगारों तक पहुंच जाएंगे.

झीरम घाटी के शहीदों को नमन

बस्तर में झीरम के शहीदों को श्रद्धांजलि:मीडिया से मुखातिब हो सीएम बघेल ने कहा कि झीरम घाटी की घटना के आज 9 साल हो गए. इस घटना में परिवर्तन यात्रा का नेतृत्व कर रहे नंदकुमार पटेल, विद्याचरण शुक्ल, महेंद्र कर्मा, उदय मुदलियार और तमाम कांग्रेस के कार्यकर्ता शामिल थे. उनकी सुरक्षा में जवान भी लगे हुए थे. जिनकी शहादत 2013 को झीरम घाटी में हुई. इन 9 वर्षों में कांग्रेस सरकार ने कोशिश की कि इस घटना की सच्चाई सबके सामने आए, लेकिन यह घटना एक आपराधिक षड्यंत्र था. इसमें षड्यंत्र को उजागर करने के लिए कांग्रेस ने अनेक कोशिश की. लेकिन लोग अड़ंगा लगाते रहे.

एनआईए जांच पर सीएम ने उठाए सवाल: एनआईए की जांच भी संतोषजनक नहीं थी. केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है. राज्य सरकार जब इस मामले में जांच कर रही थी तो एनआईए हाईकोर्ट गई. याचिका लगाकर जांच को रोका गया. आखिरकार केंद्र सरकार इस जांच को रोक क्यों रही है? ये समझ से परे है. साल 2013 में BJP की सरकार थी, उनकी जिम्मेदारी थी सुरक्षा प्रदान करने की. लेकिन बीजेपी सरकार ने रूट चेंज कर दिया. जिसके कारण यह नरसंहार हुआ. मामले की जांच के लिए लगातार राज्यपाल और उच्च अधिकारियों से मांग भी की गई. हालांकि जांच को कभी होने ही नहीं दिया गया.

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ये थी पूरी घटना:दरअसल बस्तर के दरभा झीरम घाटी में 9 साल पहले आज ही के दिन 25 मई 2013 को देश का सबसे बड़ा नरसंहार हुआ था. झीरम नक्सली कांड में छत्तीसगढ़ कांग्रेस की पूरी लीडरशिप खत्म हो गई. साल 2013 में कांग्रेस ने परिवर्तन यात्रा निकाली. परिवर्तन यात्रा का काफिला दरभा के झीरम घाटी के रास्ते से होते हुये सम्भगीय मुख्यालय जगदलपुर की ओर जा रही थी, इसी बीच करीब दोपहर साढ़े 3 बजे नक्सलियों ने कांग्रेस नेताओं के काफिले पर हमला कर दिया. घात लगाए नक्सलियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी. इस फायरिंग में कांग्रेस नेताओं और उनके सुरक्षा गार्ड को संभलने का मौका तक नहीं मिला. नक्सलियों ने कांग्रेस नेता महेंद्र कर्मा को ढूंढकर गोली मारी. उसके बाद नक्सलियों ने एक-एक कर छत्तीसगढ़ कांग्रेस के नेताओं को मौत के घाट उतार दिया. इस हमले में महेंद्र कर्मा के अलावा तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, उदय मुदलियार समेत कांग्रेस के 29 नेताओं की मौत घटनास्थल पर ही हो गई थी. इलाज के दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल की भी जान चली गई. कुल मिलाकर इस हमले में छत्तीसगढ़ कांग्रेस का पूरा लीडरशीप तबाह हो गया.

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