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झारखंड में नीलगायों पर नियंत्रण की तैयारी, बोमा तकनीक इस्तेमाल करेगी झारखंड सरकार

झारखंड में पलामू के किसान नीलगायों से परेशान हैं. नीलगायों ने यहां के खेतों को इतना नुकसान पहुंचाया है कि अब कई किसान खेती करना छोड़ चुके हैं. उनकी समस्या को देखते हुए झारखंड सरकार नीलगायों को भगाने के लिए बोमा तकनीक अपनाने जा रही है.

Preparation to control Nilgai in Jharkhand
झारखंड में नीलगायों पर नियंत्रण की तैयारी

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Published : Mar 23, 2022, 9:42 PM IST

Updated : Mar 23, 2022, 10:00 PM IST

पलामू:झारखंड में बोमा तकनीक से नीलगायों से निबटने की तैयारी की जा रही है. दक्षिण अफ्रीका की इस बोमा तकनीक से भारत के मध्यप्रदेश के इलाके में नीलगायों से निबटा जा रहा है. अब झारखंड सरकार भी बोमा तकनीक को अपनाने वाली है. विधानसभा में झारखंड सरकार ने इस सबंध में बयान दिया है. झारखंड बिहार सीमावर्ती क्षेत्र के पलामू में बड़े पैमाने पर नीलगाय फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं. विधायक कमलेश सिंह ने बताया कि विधानसभा में उन्होंने इस मामले को उठाया था. जिसके बाद झारखंड सरकार ने बोमा तकनीक अपनाने का आश्वासन दिया है.

झारखंड में नीलगायों पर नियंत्रण की तैयारी

क्या है बोमा तकनीक:बोमा तकनीक दक्षिण अफ्रीका की तकनीक है जिसके तहत नीलगाय प्रभावित इलाके को वी आकर से घेरा जाता है. उसके बाद नीलगाय हांक कर इलाके से बाहर कर दिया जाता है. जिसके बाद वे फसलों को नुकसान नहीं पहुंचा पाते हैं. नीलगाय से बचने की यह तकनीक भारत के मध्यप्रदेश के इलाके में अपनाई जा रही है. माना जाता है कि इस तकनीक से नीलगाय खेतों मे नहीं आते हैं जिसकी वजह से किसानों को काफी राहत मिलती है.

नीलगाय के डर से किसानों ने छोड़ दी खेती:नीलगाय का खौफ कितना है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पलामू के कई इलाकों में किसानों ने नीलगायों के डर से खेती करना छोड़ दिया है. पलामू के हुसैनाबाद, हैदरनगर, मोहम्मदगंज, पांडू उंटारी रोड, बिश्रामपुर इलाके में नीलगाय के डर से दर्जनों किसानों ने खेती को छोड़ दी है. हरिहरगंज के किसान गुड्डू ने बताया कि खेत में फसल लगाने से भी अब उन्हें डर लगने लगा है. नीलगाय का आतंक इतना है कि उनकी फसलें बच नहीं पा रहीं हैं. किसान मेहनत और पैसे लगाकर खेती करते हैं लेकिन नीलगाय उसे बर्बाद कर देती हैं.

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जंगलों का कटाव नीलगाय के आतंक का बड़ा कारण:प्रमंडलीय आयुक्त जटाशंकर चौधरी ने बताया कि नीलगाय का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है. उन्होंने बताया कि जंगलों के कटाव के कारण नीलगायों खेतों में आ जाते हैं. जटाशंकर चौधरी ने कहा कि नीलगाय की बढ़ती संख्या चिंता का कारण है, वे लगातार फसलों को नुकसान पंहुचा रहे हैं. हालांकि इस दौरान उन्होंने किसानों के एक अजीबो-गरीब सलाह भी दी. उन्होंने प्रभावित इलाके में किसानों को वैकल्पिक खेती के बारे में सोचने की भी सलाह दी ताकि नीलगाय से उनके फसल को नुकसान ना हो.

Last Updated : Mar 23, 2022, 10:00 PM IST

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