झाबुआ। महाराष्ट्र में भले ही अब सरकारी अधिकारी कर्मचारियों को हैलो की जगह "वंदे मातरम" के साथ फोन पर बातचीत शुरू करने के आदेश दिए गए हैं, लेकिन झाबुआ की एक महिला शिक्षक पिछले 28 साल से अभिवादन का यही तरीका अपना रही है. वे महाराष्ट्र सरकार के नव नियुक्त सांस्कृतिक मामलों के मंत्री सुधीर मुनगंटीवार के एक आदेश के बाद से एमपी में सुर्खियों में आ गई हैं. Don't Say Hello On Phone
ऐसे हुई वंदे मातरम बोलने की शुरुआत:1994 में जब झाबुआ की शासकीय उमावि रतितलाई में पदस्थ सहायक शिक्षक देवयानी नायक के घर पर पहली बार लैंड लाइन टेलीफोन लगा था, उसी वक्त से उन्होंने हैलो की बजाए अभिवादन स्वरूप वंदे मातरम कहना शुरू कर दिया था. अब जबकि मोबाइल फोन आ गए हैं, तब भी उनके अभिवादन में किसी तरह का बदलाव नहीं आया है. वंदे मातरम शब्द अब उनके जीवन का अहम हिस्सा बन चुका है, उनके मन में इस तरह से अभिवादन करने का विचार भी इसलिए आया, क्योंकि वे शुरुआत से हिंदी साहित्य से जुड़ी हैं. जब उनके घर में टेलीफोन लगा तो उन्होंने सोचा कि हैलो की जगह किसी अन्य हिंदी शब्द का इस्तेमाल किया जाना चाहिए, लिहाजा उन्होंने वंदे मातरम बोलना शुरू कर दिया. Jhabua teacher Devyani Nayak