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जेट एयरवेज की समाधान योजना को मंजूरी से पहले सरकार से समर्थन पत्र चाहते थे : SBI पूर्व चेयरमैन

एसबीआई के पूर्व चेयरमैन रजनीश कुमार ने किताब लिखी है. रजनीश कुमार का कहना है कि जेट एयरवेज के मुद्दे से निपटना देश के सबसे बड़े ऋणदाता के प्रमुख के रूप में अपने महत्वपूर्ण कार्यकाल के दौरान सबसे कठिन कार्यों में से एक था.

रजनीश कुमार
रजनीश कुमार

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Published : Oct 19, 2021, 7:56 PM IST

नई दिल्ली : भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के पूर्व चेयरमैन रजनीश कुमार (former chairman Rajnish Kumar) ने कहा है कि बैंक के निदेशक मंडल के सदस्य संकटग्रस्त जेट एयरवेज (Jet Airways) की समाधान योजना को मंजूरी देने से पहले सरकार का समर्थन पत्र (letter of support) चाहते थे.

कुमार ने 'द कस्टोडियन ऑफ ट्रस्ट' नाम की अपनी किताब में लिखा है कि जेट एयरवेज के मुद्दे से निपटना देश के सबसे बड़े बैंक के प्रमुख के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान सबसे कठिन कामों में से एक था.

उन्होंने एयरलाइन की समाधान योजना से जुड़े घटनाक्रमों को याद करते हुए लिखा है कि ज्यादातर बैंक जेट एयरवेज के लिए एक समाधान योजना का समर्थन करने से काफी बच रहे थे और यह बदकिस्मती से सफल नहीं हुआ क्योंकि प्रवर्तक निर्धारित जरूरी शर्तों को पूरा नहीं कर पाए.

कुमार ने लिखा है, 'मेरे लिए भी, यह सबसे चुनौतीपूर्ण मामलों में से एक था, यहां तक ​​​​कि एसबीआई का निदेशक मंडल भी इस मुद्दे पर मेरा समर्थन करने में असहज महसूस कर रहा था. ऐसा नहीं था कि मेरे पास उनका समर्थन या सद्भावना नहीं थी, बल्कि इसकी वजह यह थी कि उन्हें लग रहा था कि इससे बैंक की प्रतिष्ठा पर काफी बड़ा जोखिम पैदा हो रहा था.'

उन्होंने किताब में आगे लिखा है, 'नतीजतन, वे वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) या नागर विमानन मंत्रालय से समर्थन का एक स्पष्ट पत्र हासिल किए बिना इस तरह के फैसले का हिस्सा नहीं बनना चाहते थे. मैंने एसबीआई के प्रमुख के अपने दो साल के कार्यकाल में कभी भी ऐसी मुश्किल स्थिति का सामना नहीं किया था, लेकिन मैंने इस अनुभव से काफी कुछ सीखा और यह बाद में यस बैंक के संकट का हल करने में मेरे काम आया.'

कुमार ने पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया द्वारा प्रकाशित किताब में लिखा है कि आखिरकार, एयरलाइन ने 17 अप्रैल, 2019 को परिचालन बंद कर दिया जो भारत में नागर विमानन के इतिहास में एक बुरा दिन था जब देश की सर्वश्रेष्ठ एयरलाइनों में से एक को बंद करना पड़ा.

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(पीटीआई-भाषा)

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