JEE ADVANCE 2023 में प्रभव खंडेलवाल को मिली छठीं रैंक कोटा. आज विश्व की कठिन और देश के सबसे प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा जॉइंट एंट्रेंस एग्जाम (जेईई) एडवांस्ड का परिणाम घोषित हो गया. कोटा से कोचिंग कर रहे प्रभव खंडेलवाल छठी रैंक लेकर टॉप टेन में जगह बनायी है. उन्होंने कोटा की शिक्षा नगरी को ही इसका पूरा श्रेय दिया है. साथ ही उनका कहना है कि जॉइंट एंट्रेंस एग्जाम मेन में उनकी 61वीं रैंक थी. इस कमजोर रैंक के चलते वह उस दिन काफी परेशान रहे, लेकिन बाद में उन्होंने शिक्षकों के साथ बात कर पूरी स्ट्रैटजी को बदल दिया और रिवीजन किया. पूरे सिलेबस को 1 महीने से भी कम समय में पूरा रिवाइज किया. जिसके चलते ही उन्हें टॉप 10 में जगह बनाने में सफलता मिली है.
प्रभव मूलतः राजस्थान के भरतपुर जिले के रहने वाले हैं. उनके पिता मनोज गुप्ता बैंक में कार्यरत हैं वहीं मां रेखा गुप्ता गृहणी हैं. प्रभव अपने माता पिता के इकलौते औलाद हैं, इसलिए उसकी मां पिछले दो साल से कोटा में उसके साथ रहकर उसकी तैयारी में मदद कर रही थी. जिसकी बदौलत ही उन्हें यह सफलता हासिल हुई है. साथ ही प्रभव का कहना है कि कोटा कोचिंग की फैकल्टी ने मुझे काफी गाइड किया. उन्होंने मुझे लगातार प्लानिंग बना कर दी. मेरे डाउट्स को भी वे लगातार क्लियर करते रहते थे. क्लास में पढ़ने के बाद मैं अपने सभी डाउट्स के नोट बनाया करता था. फिर उन्हें पहले खुद सॉल्व करने का प्रयास करता था. उसके बाद ही फैकल्टी से मदद लेता था.
लक्ष्य था टॉप 100 में आने का :प्रभव का कहना है कि उन्होंने तय कर लिया था कि आईआईटी बॉम्बे से कंप्यूटर साइंस में बीटेक करना है. इसलिए उन्होंने पहले से ही लक्ष्य बनाया था कि टॉप 100 में ही उन्हें आना होगा. तभी उन्हें वहां एडमिशन मिल सकती है. मैं वहां इसलिए जाना चाहता हूं कि वहां का पूरा सिस्टम काफी अच्छा है. कई सारी कंपनियां प्लेसमेंट के लिए वहां आती है. साथ ही वहां की पढ़ाई पूरे देश में कंप्यूटर साइंस में अव्वल है. आईआईटी बॉम्बे विश्व के कई संस्थानों को टक्कर देता है.
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मोबाइल का लिमिटेड यूज, पैरंट्स और दोस्तों से बात :प्रभव का कहना है कि बचपन से ही उसके माता पिता ने उसे काफी सपोर्ट किया. वे इकलौते थे. कोटा में काफी अच्छा माहौल है. यहां पर जो पढ़ाया जा रहा था उसको ही काम करते गए तो आप सफलता प्राप्त कर लेंगे. कोटा में कई बच्चे डिप्रेशन में चले जाते हैं, इस सवाल पर प्रभव ने कहा कि ऐसे बच्चों को अपने फ्रेंड से या पैरंट से रेगुलर बातचीत करनी चाहिए. उससे डिप्रेशन कम हो जाता है और काफी मदद मिलती है. हालांकि मेरे साथ ऐसा नहीं हुआ है, मैं कभी भी बोर हो जाता था, तब फ्रेंड से ही बात करता था. पढ़ाई के अलावा मैं फ्रेंड से ही बात किया करता था. इसके अलावा मैं कोई एक्टिविटी या स्पोर्ट्स में पार्टिसिपेट नहीं करता था. मोबाइल का फोन का उपयोग भी काफी सीमित किया करता था, केवल पढ़ाई के लिए मोबाइल का यूज किया करता था.