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जया पार्वती व्रत 2023 : ऐसे की जाती है माता पार्वती और भगवान भोलेनाथ की पूजा, ऐसे करें पारण - जया पार्वती व्रत का तरीका

जया पार्वती व्रत 2023 के लिए कुछ विशेष नियमों व तौर तरीकों का पालन किया जाता है, जिसमें पूजा से पारण तक के नियम शामिल हैं. कुंवारी कन्याएं खास तौर पर उसे मानती हैं...

Jaya Parvati Vrat 2023 Puja Vidhi and Vrat Paran
जया पार्वती व्रत 2023 पारण

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Published : Jul 1, 2023, 2:46 AM IST

नई दिल्ली :जया पार्वती व्रत 2023 को अविवाहित कन्याओं और विवाहित महिलाओं के द्वारा खास संकल्प लेकर लगातार 5 साल, 7 साल, 9 साल, 11 साल या 20 वर्षों तक किया जाता है. इसके लिए लंबे समय तक अपने संकल्प को निभाने की कोशिश करनी होती है. गुजरात में रहने वाली कुंवारी कन्याएं अपने लिए मनवांछित वर की कामना से विवाहित स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु व अपने सुखी वैवाहिक जीवन के लिए किया करती हैं.

जया पार्वती व्रत व पूजा को करने के कुछ नियम व तरीके हैं, जिसे सबको अपनाना चाहिए, तभी ये पूजा पूर्ण व फलदायी मानी जाती है. व्रत को करने वाले 5 दिनों तक अन्न व नमक के साथ भोजन करने से बचती हैं. इस अवधि के दौरान गेहूं और ज्वार के साथ कुछ सब्जियों का भी उपभोग नहीं करती हैं.

ऐसे करें जया पार्वती व्रत व पूजा
जया पार्वती व्रत को शुरू करने के लिए बालू या रेत का एक हाथी बनाकर उस पर 5 दिनों तक 5 तरह के फल, फूल और प्रसाद को चढाया जाता है. साथ में माता पार्वती और भगवान शिव की तस्वीर या मूर्ति रखकर नियमित पूजा की जाती है.

जया पार्वती व्रत के पहले दिन एक छोटे बर्तन में मिट्टी के साथ ज्वार अथवा गेहूं के दानों को डालकर बो दिया जाता है और उसे पूजा स्थल पर 5 दिनों के लिए स्थापित कर दिया जाता है. हर दिन पूजा करते समय इस पर जल चढ़ाया जाता है. धीरे-धीरे इसमें अंकुर निकलने लगते हैं.

जया पार्वती व्रत करने वाले पारण वाले दिन के पहले रात्रि में जागरण किया करती हैं और गौरी तृतीया के रूप में मनाती है. कहीं-कहीं पर पूरी रात भजन-कीर्तन व जगराते करते हुए मां पार्वती व शिव की आराधना करती हैं.

इसके बाद पारण वाले दिन सुबह गेहूं व ज्वार की बढ़ी हुई बेदी को पात्र से निकालते हैं और उसे आस पास की पवित्र नदी या तालाब में प्रवाहित कर दिया करते हैं. इसके बाद ही व्रत का पारण किया जाता है.

जया पार्वती व्रत का पारण
जया पार्वती व्रत के दौरान भी अन्य महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठानों की तरह पारण की परंपरा है. महिलाएं तालाब से बेदी को प्रवाहित करने के बाद जब वापस लौटती हैं तो अनाज, सब्जियां और नमक युक्त पौष्टिक भोजन करके अपना व्रत खोलती हैं, जिससे 5 दिनों का ये व्रत पूर्ण हो जाता है.

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