रांची: हर महीने दो पक्षों में दो एकादशी आती है. वैसे तो हर महीने की एकादशी का व्रत मनुष्य को शुभ फल देता है, मगर जया एकादशी का व्रत मानव को कठिनाई से मुक्ति दिलाता है. इस व्रत को करने से पूर्वजों को भी प्रेत योनि से मुक्ति मिल जाती है. सनातन धर्म में यह भी मान्यता है कि जया एकादशी के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से व्रती को अक्षय पुण्य की प्राप्ति तो होती ही है, उसके कुल के वारिसों को भी राजयोग मिलता है.
जया एकादशी व्रत करने वाले जरूर सुनें वह कथा, जो श्रीकृष्ण ने युद्धिष्ठिर को सुनाई थी
12 फरवरी यानी शनिवार को जया एकादशी है. माघ महीने के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी जया एकादशी होती है. इस व्रत को करने से पितरों को भी प्रेत योनि से मुक्ति मिलती है. अगर आप जया एकादशी का व्रत करते हैं तो वह कथा जरूर सुनें, जो भगवान कृष्ण ने युद्धिष्ठिर को सुनाई थी.
Jaya Ekadashi
पंडित जितेंद्र जी महाराज के अनुसार, जया एकादशी को लेकर मान्यता है कि यह व्रत हजार वर्ष तक स्वर्ग में वास करने का फल देता है और बुरी योनि से मुक्ति दिलाती है. इस बार 12 फरवरी को जया एकादशी है, लोग इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की आराधना कर व्रत रख सकते हैं. पंडित जितेन्द्र जी महाराज बताते हैं कि जया एकादशी करने की विधि ठीक उसी प्रकार है, जैसे भगवान विष्णु के पूजन की विधि होती है. इस दिन भक्त इन मंत्रों का उच्चारण कर भगवान विष्णु की उपासना कर सकते हैं.