ग्वालियर के फूलबाग स्थित सिंधिया कालीन 100 साल पुराने मंदिर में मौजूद राधा कृष्ण की मूर्तियों को जन्माष्टमी पर खास जेवरातों से सजाया जा रहा है. प्रतिमाओं को रत्न जडित आभूषणों से सुसज्जित किया जा रहा है जो एंटिक हैं और इनकी कीमत लगभग 100 करोड़ रुपये से भी ज्यादा है. हीरे-मोती, पन्ने जैसे बेशकीमती रत्नों से सुसज्जित भगवान के मुकुट और अन्य आभूषण हैं. देश की आजादी से पहले तक भगवान इन जेवरातों से श्रंगारित रहते थे. लेकिन देश आजाद होने के बाद से जेवरात बैंक के लॉकर में कैद पड़े थे. जो 2007 में नगर निगम की देखरेख में आए और तब से लेकर हर जन्माष्टमी पर राधा-कृष्ण की प्रतिमाओं को ये बेशकीमती जेवरात पहनाए जाते हैं, जन्माष्टमी के दिन सुरक्षा व्यवस्था के बीच इन जेवरातों को बैंक के लॉकर ले निकलकर राधा और गोपाल जी का श्रंगार किया जाता है. (gwalior janmashtami 100 crores ornaments)
कौन कौन से खास गहने पहनेंगे राधारानी और नंदलाल: फूल बाग स्थित गोपाल मंदिर की स्थापना 1921 में ग्वालियर रियासत के तत्कालीन शासक माधवराव प्रथम ने की थी. उन्होंने भगवान की पूजा के लिए चांदी के बर्तन और पहनाने के लिए रत्न जडित सोने के आभूषण बनवाये थे. इनमें राधा कृष्ण के 55 पन्नों और सात लड़ी का हार, सोने की बांसुरी, सोने की नथ, जंजीर और चांदी के पूजा के बर्तन हैं. जन्माष्टमी पर इन रत्नों जड़ित जेवरातों से राधा कृष्ण का श्रृंगार किया जाता है. इस बार भी 24 घंटे तक राधा-कृष्ण इन जेवरातों से श्रंगारित रहेंगें, इस स्वरुप को देखने के लिए भक्त सालभर का इंतजार करते हैं. यही वजह है कि भक्तों का दर्शन के लिए तांता लगा रहता है. इनमें विदेशी भक्त भी शामिल हैं. (Gwalior Gopal Temple)